प्रस्तुत पुस्तक मुख्यतया श्री प्रभात रंजन सरकार के वर्ष 1984 मार भ्रमण में दिए गए ऐतिहासिक विवरणों पर आत है। इस भ्रमण में उन्होंने पुरान तैयार करने के लिए अपने साथ स्व. आचार्य रघुनाथ प्रसाद को साथ लिया। गोरखपुर और वाराणसी में मुझे भी साथ रखा था। गोरखपुर के सभी विवरण उस समय समाचार पत्रों में छपे थे। किन्तु शेष विवरणों का नोट आचार्य रघुनाथ जी के पास पडे रहे और उनका प्रकाशन 1994 में पी. आर. सरकार ऑन हिस्टी नाम से छपा। यह पुस्तक भी तिथि क्रम से लिए गए नोट के रूप में है। उसी भ्रमण में कुछ अन्य लोग भी थे। स्थानीय लोगों ने भी सुना और नोट किया था। यह सभी विवरण यदि संग्रहित हो तो पुस्तक का कलेवर बदल सकता है और कुछ महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ सकते हैं।
लेखक ने इस बात पर बल दिया था और हम लोगों को शोध करने के भी संकेत दिए थे। मानव जाति के उदभव और विकाश का अनयोन्याश्रय सम्बंध नदियों और घाटियों से रहा है। इसी दृष्टि को प्रमुखता देने के लिए उन्होंने यह यात्रा भी की थी। उनकी इस प्रेरणा के आधार पर आचार्य रघुनाथ प्रसाद जी ने उक्त पुस्तक को पाँच अध्याय में बांटा था।
1. राप्ती गंडक वैली सभ्यता 2. गंगा, यमुना और सरस्वती वैली सभ्यता 3 जम्मू-कश्मीर 4. राजस्थान और गुजरात 5. राढ और मगध अंतिम तीन सभ्यताओं का नामकरण किया था, किन्तु वह उपलब्ध नही हुआ। उस समय विभिन्न स्थानों पर उनके फोटों भी लिए गए थे। इन सभी सामग्रियों को आधार बनाकर हम पाठकों को सत्यान्वेषी, ऐतिहासज्ञों, भूगोलविदों, भूतात्त्विक, पुरातात्त्विक, अन्वेषकों को नई दिशा प्रदान कर सकते हैं।
विषय वस्तु की ज्यादा जानकारी के लिए हिस्ट्री ऑन पी.आर. सरकार और सभ्यता का बिन्दु आदि राढ़ ये दो किताबे पढ़ने से आदि सभ्यता का इतिहास समझने में सुविधा होगी।
विषय वस्तु का पूरा चित्रण करने के लिए उनके प्रवचनों के कुछ अन्य अंश इसमें जोड़े गए हैं, जिससे पुस्तक की उपयोगिता बढ़ गई है। फिर भी इसमें और कुछ करना शेष है।
इस पुस्तक का संपादन आचार्य प्रतापादित्य, आचार्य पुण्येशानन्द अवधूत और सिद्धनाथ जी का सहकार्य मिला है। प्रकाशन इन सभी का आभारी है। इस पुस्तक में त्रुटि रहने की सम्भावना है। यदि पाठकों का कोई सुझाव हो तो प्रकाशन को भेजे।
The history of world is nothing but the history of India. The history of India is nothing but the history of Rajasthan. The history of Rajasthan is nothing but the history of Mewar and it includes Hadot area also. Again it will revive after 300 years.
भारतीय इतिहास के सामने दुनिया का इतिहास कुछ भी नहीं है। उसी तरह राजस्थान के इतिहास के सामने भारत का इतिहास कुछ भी नहीं है। मेवाड़ का इतिहास ही राजस्थान का इतिहास है जिसमें हडोत क्षेत्र भी शामिल है, फिर यह इतिहास 300 वर्षों के बाद पुनर्जीवित होगा।
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