यह लो मेरे चुस्त और मजेदार नाटकों की नई किताब, 'हमारा नंदू, जिंदाबाद', जो तुम्हारे लिए किसी खूबसूरत तोहफे से कम नहीं है। अच्छा, सच बताओ, तुम्हें नाटक अच्छे लगते हैं न! फिर ये नाटक अगर चुस्त और मजेदार हों, उनमें हास्य-विनोद की मीठी फुरफुरी हो, साथ ही दोस्ताना ढंग से खेल-खेल में कोई बड़ी बात कह देने का अनोखा कौतुक भी, तब तो सच ही वे न सिर्फ तुम्हें रिझाएँगे, बल्कि हमेशा-हमेशा के लिए तुम्हारे दिल में बस जाएँगे।
इस पुस्तक में शामिल तेरह नाटक ऐसे ही हैं, जिन्हें पढ़ते हुए तुम खूब खिल-खिल हँसोगे, पर साथ ही खेल-खेल में ऐसा कुछ सीखोगे भी, जिससे तुम्हारे जीवन में आगे बढ़ने के नए रास्ते खुल जाएँगे। तुम कभी कहीं अटकोगे नहीं, भटकोगे नहीं, और जीवन में मजबूती से एक-एक कदम आगे बढ़ाते हुए, एक दिन आखिर अपनी मंजिल पा ही लोगे। इस लिहाज से ये नाटक बड़े ही बेमालूम ढंग से तुम्हारे भीतर एक नया हौसला, हिम्मत, दिलेरी और आत्मविश्वास पैदा करते हैं, जिससे तुम हँस-हँसकर नई से नई मुश्किलों और मुसीबतों का सामना कर सको। तब कोई तुम्हारी राह नहीं रोक पाएगा। ये नाटक तुम्हें जीवन में आगे बढ़ने का मूल मंत्र सिखा देते हैं।
यों भी नाटक बच्चों की सबसे प्रिय विधा है, जो उन्हें सदियों से रिझाती आई है। सच पूछिए तो नाटकों में ही बच्चे का मन सबसे अधिक रमता है, क्योंकि इनमें उसकी समूची कला-प्रतिभा की अभिव्यक्ति होती है, जो कहीं और देखने को नहीं मिलती। फिर बच्चे जो कुछ अपने आसपास देखते-सुनते हैं, उसे खूबसूरत ढंग से नकल करके ज्यों-का-त्यों प्रस्तुत कर देने की कला में तो जैसे उन्हें महारत हासिल है। कई बार हम छोटे-छोटे बच्चों की इस अद्भुत कला पर चकित और विस्मित रह जाते हैं। हालाँकि यह सब वे इतने अनायास और आनंददायक ढंग से करते हैं कि देखकर मन मुग्ध हो जाता है। यही वजह है कि नाटकों के साथ बच्चों का बड़ा पुराना और गहरा रिश्ता है और उन्हें नाटकों में जितना आनंद आता है, उतना शायद ही साहित्य के किसी और रूप में।
फिर नाटक की एक खास बात यह भी है कि उसमें केवल किस्सा-कहानी, चुटीले संवाद, अनूठा दृश्य-विधान और गीत-संगीत ही नहीं होता, बल्कि समूची जिंदगी दर्शकों के सामने होती है, जिसमें वे दुनिया के तमाम रूप और शक्लें देखते हैं। गली-मोहल्लों, स्कूल के फंक्शनों या फिर राष्ट्रीय पर्वों पर जब कोई मन को छू लेने वाला अच्छा नाटक होता है, तो नाटक प्रस्तुत करने वालों के साथ ही उस रस में भीगने वाले एक साथ असंख्य लोग होते हैं। अनगिनत आँखें एक साथ भीगती हैं और अनगिनत होंठों पर एक साथ हँसी फुरफुराती है। ठहाके लगते हैं और लगता है कि हम किसी अगाध आनंद के सागर में गोते खा रहे हैं।
यों नाटक बच्चों की ऐसी दोस्त विधा है जिसमें उनकी कल्पना-शक्ति और रचनात्मक ऊर्जा का भरपूर इस्तेमाल होता है। फिर नाटक चाहे कोई भी हो-ऐतिहासिक, पौराणिक या हास्य-प्रधान नाटक, मीठी सीख देने वाला नाटक, या फिर विचित्र किस्म की रहस्यात्मकता लिए हुए मनोरम फंतासी नाटक। अंततः बच्चों का वही नाटक कामयाब माना जाता है जिसमें पूरी जिंदादिली हो और बच्चे जिसे देखते या पढ़ते समय पूरी तरह लीन हो जाएँ। साथ ही खेल-खेल में कुछ सीखें भी, और कोई अच्छा काम करने के लिए उनके मन में उत्साह पैदा हो। यही कारण है कि कोई अच्छा बाल नाटक बच्चों को एक अलग ही भावना में बहा ले जाता है। उन क्षणों में वे कुछ बदले-बदले से होते हैं और इस बदलाव का असर बहुत लंबे समय तक उनके भीतर से नहीं जाता।
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