इल्ची ली एक दूरदृष्टा, शिक्षक, अन्वेषक और पथप्रदर्शक हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन ऊर्जा के सिद्धांतों को सिखाने, उन पर शोध करने, और मानव मस्तिष्क की पूरी क्षमता को विकसित करने के तरीकों का विकास करने में लगा दिया है।
पैतीस से भी अधिक सालों से, उनके जीवन का उद्देश्य रहा है लोगों की रचनात्मकता और उनके सामर्थ्य का विकास करने में उनकी मदद करना। इसके लिए उन्होंने कई सफल माइंड-बॉडी ट्रेनिंग तरीकों का विकास किया है जैसे की बॉडी एण्ड ब्रेन योग और ब्रेन एजुकेशन। उनके सिद्धांतों और उनकी प्रणाली ने पूरी दुनिया में कई लोगों को स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित किया है।
ली एक न्यू यॉर्क टाइम्स बेस्ट सेलिंग लेखक हैं जिन्होंने ४० से ज्यादा किताबें लिखी हैं, जैसे कि ""दि कॉल ऑफ सेड़ोना जनीं ऑफ दि हार्ट"", ""चेंज - रेयलाईजिंग योर हाइएस्ट पोटेनशीयल"" और ""दि पॉवर ब्रेन फाइव स्टेप्स टू उपग्रेडिंग योर ब्रेन ऑपरेटिंग सिस्टम""।
ये एक अति सम्मानित मानवतावादी भी हैं जो यूनाइटेड नेशन्स और अन्य संस्थाओं के साथ वैश्विक शांति के लिए काम करते हैं। उन्होंने अर्थ सिटिज़न मूवमेंट को भी शुरू किया, जो अर्थ सिटिज़न्शिप के लिए जागरूकता फैलाने और उसे अपने जीवन में उतारने के लिए एक ग्लोबल अभियान है।
ली यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रेन एजुकेशन, दि ग्लोबल साइबर यूनिवर्सिटी और दि इंटरनेशनल ब्रेन एजुकेशन इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष भी हैं। इल्ची ली और उनके काम के बारे में अधिक जानकारी पाने के लिए ilchi.com पर जाइये।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आप १२० वर्ष के हैं? शायद आपके मन में यह विचार तब आया जब आपने इस पुस्तक का शीर्षक पढ़ा, 'मैंने १२० वर्ष जीने का निर्णय किया है।'
शायद आप इस विचार से पहले से परिचित हों कि आप ९० अथवा १०० वर्ष तक जीवित रहेंगे, पर १२० वर्ष सुनने में कुछ अटपटा लगता है। आप स्वयं से यह प्रश्न पूछ सकते हैं, ""इस लेखक ने जवानी के कौन-से गुप्त झरने की खोज की है?"" लेकिन में आपको स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूँ कि मेरे पास कोई जादू की गोली नहीं है जो यह गारंटी दे कि आप या अन्य कोई भी व्यक्ति १२० वर्ष तक जीवित रहेगा। में अभी अपने ६० के दशक के अंतिम वर्षों में हूँ और मैं इस बात की भी गारंटी नहीं दे सकता कि में स्वयं कितना लंबा जीवित रहूँगा। हालांकि, मैंने निर्णय कर लिया है कि मैं १२० वर्ष तक जीवित रहूँगा। यहाँ पर मुख्य शब्द है 'निर्णय'। मैंने यह स्पष्ट, अटूट निर्णय किया है कि में १२० वर्ष की उम्र तक जीवित रहूँगा। मेरे लिए यह जानना संभव नहीं है कि मेरे जीवन का वह अंतिम दिन कब आएगा, परंतु में यह जानता हूँ कि ऐसा जीवन संभव है और में अपना जीवन इस उम्मीद के साथ जी सकता हूँ कि में इतना लंबा जीवित रहूँगा, खासकर अगर मैं स्वस्थ जीवनशैली को अपनाता हूँ और उद्देश्य की गहरी भावना के साथ अपना जीवन जीता हूँ। जैविक शोध से पता चला है कि एक व्यक्ति के सेल्स १२० वर्ष के लिए काम करने और स्वयं की नकल बनाने की क्षमता रखते हैं, और अगर नई टेक्नोलॉजी की सहायता ली जाए तो शायद इससे भी अधिक। इतना लंबा जीवन जीने की अपेक्षा करना बिल्कुल भी अवास्तविक नहीं है।
इस किताब की कल्पना तब की गई जब मैंने अपने जीवन के ६० के दशक के अंतिम वर्षों में प्रवेश किया था। मैंने सोचा कि मैं अपने बाकी के वर्षों के साथ क्या करना चाहता हूँ? अपने जवानी के दिनों में मैंने सोचा था कि मेरा जीवन ६० वर्ष की आयु तक समाप्त हो ही जाएगा, क्योंकि उस समय औसतन जीवनकाल बहुत लंबा नहीं था और ६० वर्ष एक लंबे जीवनकाल के रूप में देखा जाता था।
लेकिन आज कहानी अलग है। लोग नियमित रूप से २० से ४० वर्ष अधिक जीवित रहते हैं। फिर भी, दुख की बात यह है कि हमारी संस्कृतियाँ अभी भी उसी तरह काम करती हैं जैसे जीवन अवधि ६० या ६५ ही हो और इससे अधिक जीने वाला व्यक्ति एक उद्देश्यहीन भाव से, बिना किसी उत्साह के अपना जीवन बिताता है। और तो और, बहुत से वृद्ध लोग अपने जीवन के प्रति उदासहीन हो जाते हैं क्योंकि वे नहीं जानते कि कैसे स्वास्थ्य और शक्ति को बरकरार रखकर स्वयं को सक्रिय रखें। अब क्योंकि हम पहले से अधिक जीवित रहते हैं तो हर कोई बाद के वर्षों में अच्छे से जीने का तरीका जानने की कोशिश कर रहा है। आज हमारे जीवन में मानो बाढ़ सी आ गयी है, फिटनेस कम्पनियाँ, पोषक तत्वों के सप्लायर, इंटरनेट, स्वास्थ्य गुरु और कई पुस्तकें हमें सफलतापूर्वक बढ़ती उम्र के लिए सलाह दे रहे हैं। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि इन सलाहों में कुछ कमी है। इनमें वह कमी है जिसे मैं आत्मा कहता हूँ। मेरा मानना है कि जीवन के दूसरे भाग में हमारा सबसे महत्वपूर्ण काम है एक ऐसे उद्देश्य को ढूँढना जो हमारे शेष जीवन को अर्थपूर्ण बनाएगा। इस उद्देश्य से ही हममें हर पल को जीवंत रुप से जीने की भावना आती है। इसके बिना ८० वर्ष तक रहना भी ऊबाऊ और व्यर्थ लग सकता है।
मैंने यह किताब ४० साल से अधिक उम्र के पाठकों के बारे में सोचकर लिखी है जिन्होंने अपने जीवन की दूसरी पारी के बारे में सोचना शुरु कर दिया है। लेकिन यह किताब एक सार्थक जीवन जीने में किसी की भी मदद कर सकती है, चाहे वह व्यक्ति किसी भी उम्र का हो। यह सच है कि अगर हमारी जवानी में असमय मृत्यु नहीं हो जाती तो हम सभी को एक दिन बुढ़ापा अनुभव करना ही है। एक परिपूर्ण वृद्धावस्था के लिए योजना बनाना उतनी ही सामान्य प्रक्रिया होनी चाहिए जैसे कैरियर पथ की योजना बनाना या रिटायरमेंट फंड में पैसा जोड़ना। बुढ़ापा वह भविष्य है जो सभी की प्रतीक्षा कर रहा है और अभी आप अपना जीवन कैसे जी रहे हैं, यह आपके अंतिम दशकों पर बहुत प्रभाव डालेगा। जब में अपने बाद के वर्षों की योजना बनाता हूँ तो में उन्हीं सिद्धांतों पर भरोसा करता हूँ जिन्हें मैंने बहुत समय पहले अपनाया था, जब मुझे यह विश्वास हो गया था कि न केवल मानव जाति के लिए एक नए भविष्य की रचना करना संभव है, बल्कि व्यक्तिगत जीवन को भी बदलना संभव है, जब हम अपने उच्चतम ""स्व"" को पा लेते हैं। पिछले ३७ वर्षों में मेरा यह मिशन रहा है कि लोग अपने वास्तविक स्वरूप को जान पाएं और जितना संभव हो सके अपने उच्चतम ""स्व"" को पा लें।
"
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist