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सृजन के वैचारिक आधार- Ideological Basis of Creation

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Specifications
Publisher: Satyam Publishing House, New Delhi
Author Raghavendra Narayan Singh
Language: Hindi
Pages: 203
Cover: HARDCOVER
9x6 inch
Weight 380 gm
Edition: 2024
ISBN: 9789359091686
HBU644
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Book Description

दो शब्द

प्रस्तुत पुस्तक 'सृजन के वैचारिक आधार' मेरे द्वारा लिखी गई पुस्तकों की भूमिकाओं का संकलन है। अब तक लिखी गई मेरी बावन पुस्तकों में दी गई भूमिकाओं को इस पुस्तक में इस आशय से एक ही स्थान पर संकलित किया गया है ताकि शोधार्थियों, पाठकों, समालोचकों और साहित्य प्रेमियों को मेरी पुस्तकों के विषय में मेरी व्यक्तिगत सोच की जानकारी एक ही पुस्तक में आसानी से प्राप्त हो सके। यह सम्भव नहीं कि कोई व्यक्ति किसी लेखक की समस्त पुस्तकों का अध्ययन करे, क्योंकि सभी पुस्तकों तक पहुँच बहुधा मुश्किल हुआ करती है। कभी-कभी पुस्तकें इसलिए भी नहीं मिल पातीं क्योंकि उनकी मुद्रित प्रतियाँ समाप्त हो जाया करती हैं और पुर्नमुद्रित प्रतियाँ या तो उपलब्ध नहीं होतीं, या प्रकाशक उन्हें पुनर्मुद्रित नहीं करते जिसके पीछे कई प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कारण हो सकते हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए मैंने अपनी सभी कृतियों की भूमिकाओं को 'सृजन के वैचारिक आधार' शीर्षक के अन्तर्गत पुस्तक का आकार दिया है जिससे प्रथमद्रष्ट्या किसी भी पाठक को मेरी हर पुस्तक के कथा के विषय में सहजता से ज्ञानार्जन हो सके।

इस सम्बन्ध में यह कहना समीचीन होगा कि यह संकलन एक तरह से मेरी पुस्तकों और उनके वैचारिक क्षितिज को उन पाठकों के समक्ष लाने में सफल होगा जो मेरे लेखन से भलीभाँति परिचित नहीं हैं और मेरे विपुल रचना संसार से अभी तक अनभिज्ञ हैं। जब कोई लेखक अपनी सर्जना की सीढ़ियों को तय करता हुआ एक दूरी तक निकल आता है तो लोगों को उसके लेखन के विषय में जानकारी प्राप्त करने की इच्छा जाग्रत होती है। विशेष रूप से शोधार्थी यह चाहते हैं कि लेखक की प्रत्येक पुस्तक के विषय से वे परिचित हो जाएं। ऐसा अनुभव मुझे तब हुआ जब कुछ शोधार्थियों ने मेरी पुस्तकों के विषय में मुझसे सूचना प्राप्त करने के लिए सम्पर्क किया। मेरे मन में इस विचार का बीजारोपण इन जिज्ञासु शोधार्थियों ने ही किया। मैंने स्वयं अंग्रेजी के महान आधुनिक कवि डब्ल्यू एच ऑडेन के साहित्य पर शोध करते समय उनकी भूमिकाओं का अध्ययन किया जो सौभाग्य से उनके साहित्य के अधिकारिक प्रवर्तक नेल्सन मेन्डेलसन ने उनकी रचनाओं के संकलित संस्करण में पुस्तक के अन्तिम भाग में दिया था। इससे मुझे डब्ल्यू एच ऑडेन के विचारों को समझने में काफी सहूलियत रही और मेरा शोधकार्य आसानी से सम्पन्न हो सका।

पुस्तकों की स्वयं लेखकों द्वारा लिखी गई भूमिकाएँ अत्यधिक महत्वपूर्ण होती हैं। ये भूमिकाएँ पुस्तक के कथ्य और लेखक की मौलिक सोच का प्रकटीकरण प्रामाणिक रूप से करती हैं। लेखक द्वारा प्रस्तुत किया गया विमर्श पाठक और समीक्षक दोनों के लिए महत्वपूर्ण होता है। आम पाठक को संक्षेप में पुस्तक के विषय में पुस्तक पढ़ने के पहले ही उसके विषय का ज्ञान हो जाता है जबकि समीक्षक को रचनाकार के विचारों से रूबरू होने का अवसर मिल जाता है। लेखक का अपनी पुस्तक के विषय में क्या विचार है, वह किस दृष्टिकोण से पुस्तक लिख रहा है, वह किस विचारधारा से प्रभावित है जैसे महत्वपूर्ण तथ्य हर पाठक और समीक्षक के लिए सम्बन्धित रचना का आकलन करने में सहायक सिद्ध होते हैं। आजकल लेखक को मृत घोषित करके उसकी रचना की समीक्षा करने का चलन आम होता जा रहा है। ऐसा पश्चिमी समीक्षकों और विचारकों के प्रभाव और चिन्तन के कारण ही हुआ है। कोई भी रचना उसके रचनाकार से कैसे अलग हो सकती है? रचनाकार की सोच और विचारधारा ही किसी रचना के विस्तृत संसार के निर्माण में अपनी भूमिका निभाते हैं। यही कारण है कि एक ही विषय पर लिखी गई दो रचनाएँ अलग हुआ करती हैं। उदाहरणार्थ तुलसीदास और महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामचरितमानस और रामायण में स्पष्ट रूपेण इसे देखा जा सकता है। श्रीराम के चरित्र पर लिखे गये थे दोनों रचनाएँ भिन्न स्वरूप और विमर्श इसलिए प्रस्तुत करती हैं क्योंकि उनके रचनाकार अलग-अलग हैं और उनकी कृतियों में उनका व्यक्तित्व अदृश्यरूप में समाहित है। तुलसीदास और महर्षि वाल्मीकि के राम दशरथनन्दन तो हैं

लेकिन वे दो दृष्टिकोण से हमारे समक्ष उपस्थित होते हैं। तुलसी के राम मर्यादापुरुषोत्तम हैं तो महर्षि वाल्मीकि के राम अयोध्यानरेश और एक महाकाव्य के महानायक हैं जो धर्म और सत्य की संस्थापना के लिए अवतरित हुए हैं। वाल्मीकि के राम में मनुज तत्व बहुतायत से है जबकि तुलसी के राम में दिव्यता का कोई ओर-छोर ही नहीं है।

आशा है 'सृजन के वैचारिक आधार' समस्त पाठकों साहित्यकारों, समीक्षकों और शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी और यह पुस्तक मेरे विचारों को सुस्पष्ट रूप से लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने में निस्सन्देह सफल होगी।

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