श्री. गिरिराज कुसार द्वारा प्रस्तुत इस कृति में भारतीय पुरापाषाण काला के विभिन्न पहलुओं पर पयों की गई है। प्रथा इसकी उत्पति एवं विकास तथा प्राचीनता एवं कालक्रम आदि। इसके अलावा, यह भारतीय लोकाचार एव संवेदना से भी करणी निकटता रखती है। प्रागैतिहासिक मनुष्य अपने आस-पास की शुद्ध और सुंदर प्रकृति के प्रथम खोजकती थे। मनुष्य ने वनस्पतिची और जीवों सहित इसके सभी रूपों में इसकी खोज की और अपने खाली समय में स्मृति के आधार पर इसे चट्टानी की सतह पर चित्री के रूप में या उत्कीर्णन के रूप में अंकित किया। इससे उन्हें ब्रहमांड के रहस्य को समझने में सहायता मिली जी उनकी रचनाओं के साथ-साथ उनकी आवनाओं, संवेदनाओं, हर्ष, दुःख और विषाद में भी परिलक्षित होता था जिसके साथ उन्हें अपना जीवन जीना पड़ता था। जब उनके पास पर्याप्त शिकार होता था और अपने भोजन से सतुष्ट होते थे, तो वे अपनी रचनात्मकता के माध्यम से अपनी प्रसन्नता और आनंद को चित्र रूप में अभिव्यक्त किया करते थे। वे संभवतः आदिम समाजों में प्रयुक्त किए जाने वाले डोल और ऐसे सगीत वाद्ययंत्रों के साथ पुरुषों और महिलाओं के समूह मुक्त नृत्य-दृश्य चित्रित करते थे। शैल चित्र एवं उत्कीर्णन भारतीय पुराकला की अभिव्यक्ति का उत्तम माध्यम है, जो अप्रतीकात्मक से लेकर प्रतीकात्मक अभिव्यक्तियों तक विकास के कई चरणों से गुजरी है।
लेखक ने भारतीय शैल कला को विचित्र परिदृश्थों और समृद्ध जैव विविधता के बीच इसके विभिन्न रुपों का सजीव निरुपण किया है। उन्होंने न केवल शैल कला में रूपांकनों के उद्भव एवं विकास का वर्णन किया है. अपितु दस्तावेजीकरण, संरक्षण और प्रबंधन, संबंधित उत्खनन, विधियों और अध्यारोपण के अध्ययन, पूर्ण और सापेक्ष तिथियों सहित ओ.एस.एल. टी.एच सतह प्रदीप्ति, सूक्ष्म शरण, एएमएस सी 14, डेटिंग और यू डेटिंग. प्रतिकृति आदि सहित वैज्ञानिक जांच का विशद चित्रण भी किया है।
लेखक ने अपने खोजी शोध के माध्यम से न केवल ऊपरी पुरापाषाण और मध्यपाषाण युग में शैल कला के विकास के चरणों को वर्गीकृत करने का प्रयास किया है, अपितु मवेशियों को पालतू बनाने की शुरआत कुबडहीन और कूबडयुक्त मवेशियों, रयों और धातुओं की विद्यमानता तथा देश भर में भारतीय शैलकला में ऐतिहासिक काल के प्रारंभ की ओर अग्रसर लिपियों के प्रादुर्भाव जैसे महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर भी प्रकाश डाला है जिससे न केवल उच्च-अध्ययन के छात्रगण अपितु विद्वज्जन और सामान्य पाठक दोनों ही आकर्षित होंगे।
Hindu (हिंदू धर्म) (13447)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (715)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2074)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1544)
Yoga (योग) (1154)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24553)
History (इतिहास) (8927)
Philosophy (दर्शन) (3592)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist