मुझे प्रसन्नता है कि डॉ संजीव राय द्वारा लिखित यह पुस्तक अभिभावकों और बच्चों पर केन्द्रित है। वर्तमान युग में तकनीकी के बढ़ते प्रभाव ने बच्चों को गहन प्रभावित किया है, वहीं उनके अभिभावक और शिक्षक बदलते मूल्यों, बढ़ते स्क्रीन टाइम, ऑनलाइन गेम में उनकी संलिप्तता और उनके आक्रामक व्यवहार और भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में अभिभावकों के समक्ष आज के बच्चों की दुनिया को समझने की चुनौती है। उन्हें समझना होगा कि बदलती हुई दुनिया में हमारे बच्चे बिना तकनीक को अपनाये एक विशिष्ट पहचान स्थापित नहीं कर सकते हैं।
अभिभावकों से अपेक्षा है कि वे अपने बच्चों से सहजता से उपयोग किए जा रहे तकनीक व इसकी आवश्यकताओं, लाभ और ख़तरों के संदर्भ में चर्चा करें। अभिभावकों को अपने बच्चों पर परीक्षा का दबाव न बनाकर इसमें अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। परीक्षा में असफलता का भय मानसिक दबाव का बड़ा कारण बन रहा है। लेकिन समझना होगा कि क्या सफलता को केवल स्कूल-कॉलेज की परीक्षा में प्राप्त अंक से ही आँका जा सकता है?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा में तकनीकी और कौशल विकास पर बल दिया गया है। ऐसे में शिक्षकों को भी बच्चों के हित में स्वयं को तैयार करना होगा। बदलते परिप्रेक्ष्य में आज ऑनलाइन, हाइब्रिड और वर्चुअल शिक्षण भी हो रहा है। इंटरनेट और आर्टिफीसियल इण्टेलिजेंस से भी कई बदलाव हो रहे हैं। इन सभी मुद्दों पर केंद्रित यह पुस्तक अभिभावकों-शिक्षकों एवं नीति-निर्धारकों के लिए उपयोगी होगी, ऐसा मेरा विश्वास है।
मैं डॉ संजीव राय को इस पुस्तक लेखन हेतु हार्दिक बधाई देता हूँ एवं उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
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