स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में कटनी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बुन्देला क्रांति, सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम और इसके उपरान्त स्वतंत्रता आन्दोलन तथा गोवा मुक्ति आन्दोलन तक इस क्षेत्र के क्रांतिकारियों एवं सेनानियों की महत्वपूर्ण सहभागिता रही। राजा शंकरशाह-रघुनाथशाह एवं राजा सरयू प्रसाद का बलिदान कटनी क्षेत्र में हुए स्वतंत्रता संग्राम का स्वर्णिम अध्याय है।
कटनी जिले में हुए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से सम्बन्धित जानकारियाँ लगभग अल्पप्राप्त एवं अप्रकाशित हैं, जबकि स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी घटनाओं का विवरण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संघ कटनी द्वारा 1978 में 'कटनी का स्वतंत्रता संग्राम' नामक पुस्तक में प्रकाशित किया गया, और यह दस्तावेज इस क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम की घटनाओं का मूल स्रोत है, क्योंकि इसका सम्पादन स्वयं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने किया।
विजयराघवगढ़ राजपरिवार के ठाकुर जगमोहनसिंह द्वारा लिखित श्यामास्वप्न, ऋतुसंहार आदि तथा जबलपुर के ख्यातिलब्ध साहित्यकार डॉ. रामशंकर मिश्र द्वारा 'ठाकुर जगमोहन सिंह-व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर किया गया मूलस्रोतों पर आधारित शोधकार्य भी विजयराघवगढ़ राजवंश के इतिहास पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालते हैं।
इसके अतिरिक्त कटनी क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम की घटनाओं का विवरण राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली, नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय-वर्तमान में प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय, नई दिल्ली तथा राज्य अभिलेखागार, भोपाल में संरक्षित है। जिला गजेटियर जबलपुर, सतना, रीवा और बुन्देलखण्ड भी इस हेतु महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं। पं. द्वारकाप्रसाद मिश्र, आर.एम. सिन्हा, डॉ. महेशचन्द चौबे, डॉ. पी.एस. मुखारया, डॉ. जयप्रकाश मिश्र, डॉ. सुरेश मिश्र, श्री भगवानदास श्रीवास्तव, डॉ. श्रीमती एग्नेस ठाकुर, डॉ. प्रताप भानुराय आदि के द्वारा लिखे गए ग्रन्थ भी कटनी क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम पर प्रकाश डालते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक के प्रथम अध्याय में कटनी जिले की संक्षिप्त भौगोलिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उल्लेख किया गया है। द्वितीय अध्याय में इस क्षेत्र में अंग्रेजी शासन के प्रारम्भ सन् 1818 से 1857 तक की घटनाओं का विवरण है। इन दिनों यह क्षेत्र ठगों और पिंडारियों के आतंक तथा अंग्रेज अधिकारी कर्नल स्लीमैन द्वारा जनहित में कठोरता के साथ किये गये उनके दमन के कारण चर्चित था।
तीसरे अध्याय में 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारणों का संक्षेप में वर्णन किया गया है। इस अध्याय में 1857 के इतिहास में सुप्रसिद्ध इतिहासकारों विनायक दामोदर सावरकर, सुरेन्द्रनाथ सेन, पं. सुन्दरलाल के अतिरिक्त तत्कालीन घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी मोईनुद्दीन हसन एवं अन्य इतिहासकारों के विवरणों का यथा-स्थान उल्लेख किया गया है। चौथे अध्याय में कटनी क्षेत्र में 1857 की क्रान्ति के कारण, घटनाओं, विजयराघवगढ़ राजपरिवार, 1857 के कटनी क्षेत्र के प्रमुख सेनानी, क्रांति के प्रमुख स्थलों आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है। पांचवे अध्याय में 1857 की क्रान्ति के दमन व उसके उपरान्त इस क्षेत्र में क्रान्ति के प्रभाव एवं परिणामों का उल्लेख करते हुए इसकी असफलता पर प्रकाश डाला गया है। छठवें अध्याय में स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान इस क्षेत्र में जनजागरण, कांग्रेस की स्थापना, तिलक युग की घटनाएँ एवं इसके उपरान्त महात्मा गाँधी द्वारा चलाये गए सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन आदि को राष्ट्रीय घटनाक्रमों से जोड़ते हुए विवरण प्रस्तुत किया गया है। इसी अध्याय में गोवा मुक्ति आन्दोलन की भी संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत करते हुए 1 नवम्बर, 1956 को मध्यप्रदेश के पुर्नगठन तक का उल्लेख किया गया है। अन्त में संक्षेप में उपसंहार प्रस्तुत किया गया है।
इस महत्वपूर्ण कार्य को पूर्ण करने में जिन संस्थाओं, अधिकारियों, विद्वतजनों एवं महानुभावों ने मुझे सहयोग प्रदान किया है उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना मैं अपना परम कर्तव्य समझता हूँ। इस कार्य में बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए मैं, श्रीराम तिवारी, श्री शम्भूदयाल गुरु और प्रो. सुरेश मिश्र के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
कटनी जिले से संबंधित विशिष्ट एवं सामान्य जानकारी प्रदान करने के लिए मैं, कटनी जिले की तत्कालीन कलेक्टर श्रीमती अंजू सिंह बघेल एवं कार्यालय के अधिकारियों, कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ। कटनी की एडिशनल कलेक्टर डॉ. (श्रीमती) शशि कर्णावत के द्वारा किये गये सहयोग के प्रति भी मैं उनका आजीवन ऋणी रहूँगा। शास. मानकुंवरबाई महिला महाविद्यालय, जबलपुर की प्राचार्य डॉ. (श्रीमती) एग्नेस ठाकुर द्वारा किये गये सहयोग के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ।
राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली के सहा. संचालक डॉ. प्रमोद मेहरा ने अभिलेखागार में सामग्री संकलन में मेरी सहायता की। प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय, त्रिमूर्ति भवन, नई दिल्ली, राज्य अभिलेखागार एवं पुरातत्व संग्रहालय, भोपाल, माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपाल, जिलाध्यक्ष कार्यालय, जबलपुर के अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा दिये गये सहयोग के प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूँ।
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