पुस्तक परिचय
कुण्डलिनी वह दैवी शक्ति है जो कुंडली मारे हुए मूलाधार में सोयी है! यह हमारे भीतर स्थित सभी पदार्थों में विद्द्मान है! कुण्डलिनी की खोज अत्यंत दुरूह है! लेकिन इस पुस्तक में इससे सम्बंधित छोटी-से-छोटी बातें तथा व्यावहारिक विधियां बतायी गई है जिससे साधक इसे जाग्रत कर सके! इसमें कुण्डलिनी योग के सिध्दान्त की व्याख्या भी दी गयी है! यह कुण्डलिनी योग साधना का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करते है!
हमें आशा है की यह पुस्तक सभी पाठकों के कुण्डलिनी योग सम्बन्धी संदेहों का निराकरण कर सकेगी!
आध्यात्मिक जागृति के आकांशी पाठकों को सही स्वामी शिवानंद जी महाराज के बारे में बताना अनावश्यक प्रतीक होता है! श्री स्वामी शिवानंद जी महाराज नै ऋषिकेश स्थ्तित अपने आश्रम से स्वयं अपनी आध्यात्मिम पूर्णता से प्राप्त ज्ञान एवं शान्ति का सर्वत्र विकिरण किया ! उनकी ज्ञान वर्धक तथा आत्मोत्तानकारी पुस्तकों से उनका व्यक्तिव्य स्वयं ही परिलक्षित होता है तथा उनकी पुस्तक 'कुण्डलिनी योग' उनकी समस्त पुस्तकों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है!
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