P भूमिका
मनोभाव चित्रण, आधुनिक समीक्षा, का एक महत्त्वपूर्ण विवेच्य विषय है। जिसकी ओर हिन्दी के चिन्तको, साहित्यकारों, गंभीर पाठकों और विश्वविद्यालय की उच्च कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्रों का ध्यान आकृष्ट हुआ है। संभवतः इसी आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए 'कुँवर दिनेश के काव्य में मनोभाव चित्रण' पर एक समीक्षात्मक ग्रन्थ पाठकों के समक्ष है। मैंने इस कार्य को इसलिए स्वीकार किया कि मनोभावों की काव्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है, किन्तु विशद् रूप से इनका वर्णन उपेक्षित है। इनका विश्लेषण कठिन कार्य है यह केवल उथले स्तर में अभिव्यक्त किया और प्रवृत्तियों का विश्लेषण मात्र नहीं बल्कि मनुष्य चित्त के अतल गांभीर्य में स्थित भावों का अन्वेषण भी है। यह पुस्तक पाँच अध्यायों में विभक्त है। इसके पहले अध्याय में कवि कुँवर दिनेश सिंह का व्यक्तित्व व कृतित्व सहित उनका प्रारम्भिक पारिवारिक परिवेश पाठकों के समक्ष रखा है। इसी अध्याय के अन्तर्गत कवि की शिक्षा, साहित्यिक अभिरुचि के साथ-साथ उनकी रचनाधर्मिता सम्बन्धी उपलब्धियों का विश्लेषण हुआ है। दूसरा अध्याय भाव अनुभाव व साहित्य से सम्बद्ध है जहाँ मनोभाव, भावाभिव्यक्ति अनुभूति, भाव दर्शन, प्रेमानुभूति, जीवनानुभूति, शब्द, अर्थ, भाव, कल्पनाबुद्धि को कुँवर दिनेश सिंह के काव्य से जोड़ा गया है। तीसरा अध्याय कुँवर दिनेश सिंह के काव्य में बिम्ब व प्रतीक विधान को समक्ष रखता है। जहाँ बिम्ब को मनोविज्ञान, काव्य शास्त्रीय दृष्टि से विवेचित व विश्लेषित किया गया है। प्रतीक विधान में, प्रतीकों का महत्त्व के साथ-साथ परम्परागत प्रतीकों व वैयक्तिक प्रतीकों का विवेचन हुआ है। याय समाहार को लेकर है, जहाँ समग्र अध्यायों का सार संक्षेप में विवेचित हुआ है। इस पुस्तक की प्रस्तावना और रूपायन में जो सहयोग स्वयं कुँवर दिनेश सिंह ने दिया, उनका में शब्दों में वर्णन नहीं कर सकता। घण्टों विषय की चर्चा करना मेरी समीक्षा में आई जटिलता को सरलता में बदल देना जैसी उनकी अभूतपूर्व भूमिका मेरे लेखक कार्य का ठोस आधार बनी है। इनके लिए में श्रद्धानवत हूँ। प्रणत हूँ गुरुवर प्रो. चमनलाल गुप्त जी का जिनका आशीर्वाद सदैव मेरे साथ है। जिन्होंने रूपरेखा तथा तत्सम्बन्धी अनेक प्रश्नों से जूझने की दिशा में मुझे सम्बल प्रदान किया । आभारी हूँ डॉ० गोपाल चौहान जी का जिन्होंने अग्रजतुल्य स्नेह देकर मुझे सम्बल दिया व लेखन के लिए मुझे एक शान्त कक्ष दिया। विनत हूँ अग्रज डॉ० तुलसीरमण, प्रो० अनिल ठाकुर का जिन्होंने जीवन के कठिन दौर में हर प्रकार से सहायता प्रदान की। श्रद्धानवत हूँ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ० अमरदेव जी का जिनका आशीर्वाद प्रतिपल मुझे मिलता रहा। अनुजतुल्य संजीव मेघटा जिनका टंकण कार्य में प्रतिपल सहयोग रहा है उनके प्रति भी मैं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ। रमा कनौजिया व श्याम कनौजिया का भरसक सहयोग मेरे लिए शब्दातीत है। आभारी हूँ भरत बिष्ट व बड़े भाई ललित ठाकुर का जिनका अतुलनीय सहयोग मुझे प्राप्त हुआ है। श्रद्धानवत हूँ श्री जयराम ठाकुर जी का जिनकी प्रेरणा, प्रोत्साहन कई रूपों में मेरे जीवन में रही है। इनकी मुखर, स्पष्ट और कुछ मौन पृष्ठभूमि एक शक्ति के रूप में मुझे सम्बल देती है। मेरी जीवनसरणी का सफल कदम सदैव इनका ऋणी रहेगा। सविता व जाह्नवी का अतुलनीय सहयोग ही मेरे कार्य की सफलता है।
लेखक परिचय
का. इन्द सिंह ठाकुर पिता का नाम श्री लेद राम जन्म तिथि ठाकुर 26.06.1973 स्थाई पता शैक्षणिक योग्यता अध्यापन अनुभव डा. इन्द्र सिंह गांव मुराह, डा. यात्री तह थुनाग जिला गण्डी (हि. प्र.) * 10वी, हिमाबल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला, वर्ष 1989। * 12वीं (भाषा संकाय), हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला, वर्ष 1991 * बी.ए. (ऑनर्ज), विद क्लासिक, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला, वर्ष 1994। * एम.ए. हिन्दी, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला, वर्ष 1997| * एम. फिल, हिन्दी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र, वर्ष 1999 2000 | विषयः अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं में संवेदना और शिल्प। * पीएब. डी., हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला, वर्ष 2005। विषयः आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री के साहित्य में संवेदना और शिल्प का स्वरूप। * राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा हिमाचल प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित उत्तीर्ण। 12 वर्ष महाविद्यालययीय स्तर । वर्तमान में उत्कृष्ट शिक्षा केन्द्र राजकीय महाविद्यालय शिमला में सहायक प्रोफेसर हिन्दी विभाग में सेवारत। संजौली प्रकाशन समीक्षात्मक पुस्तकें शब्द कोश कुल 8 हिन्दी-हिन्दी शब्द कोश, लक्ष्मी प्रकाशन दिल्ली (आई. एस.एस.एन.81-88601-15-2) वर्ष 2010 पुस्तक समीक्षा शोध पत्र प्रकाशन राष्ट्रीय / अन्तरराष्ट्रीय शोध जर्नल में : राष्ट्रीय/अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भागीदारी व शोध पत्र प्रस्तुति सपादन सदस्यता.
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