'तनाव' विषय पर लिखी गयी यह मेरी तीसरी पुस्तक है। इस किताब में तनाव को हराने या उससे छुटकारा पाने के जो उपाय दिए गए हैं, वे शेप दोनों पुस्तकों से भिन्न हैं। दरअसल आज का मानव कोलाहल के माहौल के बीच अपने आपको तनाव और व्याकुलता से इतना घिरा हुआ पाता है कि 'तनाव' जैसे शब्द का अर्थ समझना उसके लिए मामूली-सी बात हो गयी है।
जिधर देखिए, उधर तनाव, बेचैनी और चिंता की सत्ता दिखाई देती है। तनाव कब विभिन्न माध्यमों के जरिए हमारे बीच आकर हमको अपना गुलाम बना लेता है। हमें अपनी गिरफ्त में जकड़ लेता है, इसका हमें पहले से कुछ भी पता नहीं चल पाता है। अगर यह पहले से ज्ञात हो कि तनाव की बला आफत बनकर आने वाली है तो ऐसा कौन मूर्ख होगा जो हँसकर उसका स्वागत करेगा अथवा उससे बचने के प्रयत्न नहीं करेगा ?
शान्त और खुशहाल जिंदगी जीने के लिए तथा जिंदगी में तरक्की प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि हम तनाव से हमेशा मुक्त होकर रहें। लेकिन तनाव एक ऐसी बला है, जो अपने आप हमको मुक्ति प्रदान नहीं करती बल्कि हमें खुद कोशिश और मेहनत करके तनाव से मुक्ति हासिल करनी होती है।... इसके लिए पहले तनाव के स्वरूप को गंभीरता से समझना जरूरी है। तनाव हमारे पास किन-किन कारणों से, किन-किन स्रोतों से आया है, उसे समझना जरूरी है। यद्यपि तनाव के रूप-स्वरूपों की विस्तृत चर्चा हमने अपनी अगली पुस्तक 'तनाव-प्रबंधन' (Stress-Management) में की है लेकिन इस किताब में तनाव को हराने के कुछ ऐसे सिद्धान्तों और तरीकों की चर्चा अवश्य की है, जो तरीके हमारी सामान्य (व्यावहारिक) जिन्दगी से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं। ये वे तरीके हैं, जो इंसान को खुद को समझने में तथा दूसरों को समझने में सहायता प्रदान करते हैं।
प्रिय पाठकगण ! तनाव सम्बन्धी इन अनेक पुस्तकों को लिखने के पीछे हमारी मंशा यही है कि आप सभी अपनी-अपनी जिंदगी में हर प्रकार के तनाव से मुक्त हो जाएँ। तनाव जैसा कोई मामूली रोग या मामूली समस्या भी आपकी जिंदगी में न रहे।
इस पुस्तक के दूसरे अध्याय में तनाव या TENSION शब्द के विस्तृत अर्थों (शब्दाथों) के बारे में बताया गया है। यद्यपि इस कार्य के लिए अलग से एक अध्याय अपेक्षित था, लेकिन पुस्तक की लेखन-धारा और भावधारा को ध्यान में रखते हुए उस विस्तृत विषय (शब्दार्थ विषय) को दूसरे पाठ से अलग नहीं किया गया है। पुस्तक लिखते समय शब्दार्थों का विचार अचानक ही पैदा हो गया था और मैंने सोचा था कि इसे दूसरे अध्याय का एक छोटा-सा उपविषय बना दूंगा लेकिन अंग्रेजी शब्द कोश से तनाव या tension के अर्थ ढूँढ़ते-ढूँढ़ते वह उपविषय ही मूल अध्याय से इतना बड़ा हो गया था कि बाद में उसे पृथक अध्याय का रूप देने की आवश्यकता महसूस हुई। लेकिन तब तक तनाव सम्बन्धी मेरी चौथी पुस्तक (तनाव प्रबंधन अथवा स्ट्रेस मैनेजमेंट) की रूपरेखा बन चुकी थी और मैंने सोचा कि शब्दार्थ के इस विषय की स्वतंत्र चर्चा मैं अपनी इस नई पुस्तक में नवीन अध्याय देकर करूंगा।
तनाव को हराने के विभिन्न तरीके सुझाने में मैं कितना सफल हो पाया हूँ, इसका फैसला तो पाठक इस पुस्तक को पढ़ने के बाद ही कर सकते हैं। विषय को रोचक और सुगम्य बनाने के लिए मैंने इस किताब में कार्टून चित्रों का भी प्रयोग किया है, जो पाठकों को पसंद आएँगे।
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