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मॉरीशस की साहित्यिक सुगंध: Literary Fragrances of Mauritius

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Specifications
Publisher: Star Publications Pvt. Ltd.
Author Edited By Sunita Pahuja
Language: Hindi
Pages: 312
Cover: HARDCOVER
9x5.5 inch
Weight 520 gm
Edition: 2025
ISBN: 9789395247283
HBO910
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Book Description
भूमिका

अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिण-पूर्व में हिंद महासागर में स्थित द्वीप मॉरीशस अपने नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व-विख्यात है और इसकी तुलना स्वर्ग से की जाती है। दक्षिणी अक्षांश पर 19°50′ और 20°32′ के मध्य और पूर्वी अक्षांश पर 57°18′ और 57°46' पर स्थित मॉरीशस देश का क्षेत्रफल 2040 वर्ग किलोमीटर है और इस दृष्टि से यह विश्व का 179 देश है। भारत से लगभग 3180 मील की हवाई दूरी तय करते हुए, परमपिता परमात्मा की कृपा, सत्गुरू की मेहर और बड़े-बुजुर्गों के शुभाशीष से इस सुदूर टापू पर तीन वर्ष का प्रवास करने का सुअवसर मुझे मिला जब मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में स्थित भारतीय उच्चायोग में द्वितीय सचिव (हिंदी एवं संस्कृति) के पद पर वर्ष 2020 से 2023 तक के लिए प्रतिनियुक्ति पर मेरा चयन हुआ।

मॉरीशस द्वीप के प्राकृतिक सौंदर्य की तरह ही इसके बहुभाषीय-बहुसांस्कृतिक स्वरूप में बसी इसकी अंतर्निहित सुंदरता ने भी मन मोह लिया। भारत-मॉरीशस के सुदृढ़ राजनैतिक, आर्थिक और राजनयिक संबंधों में अनोखापन लाने वाली साझी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और लोगों के बीच भावनात्मक संबंध अत्यधिक प्रभावित करते हैं। भाषा, साहित्य और संस्कृति की निकटता इन्हें और भी प्रगाढ़ बनाती है। इस बीच वर्ष 2022-23 इस दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहा कि एक ओर जहाँ भारत ने अपनी स्वतंत्रता के पचहत्तर वर्ष पूरे करने का जश्न 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' मनाया वहीं भारत और मॉरीशस के राजनयिक संबंधों की पचहत्तरवीं वर्षगांठ भी मनाई गई। इस उपलक्ष्य में अनेकानेक आयोजन किए गए जिनमें मॉरीशस गणराज्य की सरकार के साथ-साथ देश की अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं की भी सक्रिय भूमिका रही। मेरे कार्यक्षेत्र का संबंध भाषा और संस्कृति से होने के चलते और मॉरीशस में स्थित द्विपक्षीय संस्था विश्व हिंदी सचिवालय में भारत का प्रतिनिधित्व करते, मुझे नियमित रूप से समय-समय पर आयोजित, अधिकांश कार्यक्रमों में हिस्सा लेने और बड़ी संख्या में लोगों से मिलने के अवसर मिलते रहे। नए-नए अनुभव मुझे नित्य समृद्ध करते रहे। सभी हिंदी प्रेमियों और हिंदी सेवियों से मेरे निकट व घनिष्ठ संबंध बन गए थे। अक्सर हिंदी लेखकों से उनकी रचनाओं के बारे में चर्चा-परिचर्चा होती, कभी मंचों पर इन्हें सुनने का मौका मिलता तो कभी पत्र-पत्रिकाओं व सोशल मीडिया पर इन्हें पढ़ने का।

भारत में रहते हुए तो यदा-कदा मॉरीशसीय साहित्य और साहित्यकारों के बारे में पढ़ा ही करती थी। मॉरीशस में आगमन करोना काल में होने के चलते मुझे और मेरे पतिदेव को 14 दिन तक क्वारन्टीन में रहना पड़ा था। मॉरीशस के साहित्यकारों से संबंधित कुछ चुनिंदा पुस्तकें मैं भारत से अपने साथ लेकर आई थी जिनकी बदौलत मेरे वे 14 दिन बेहद खूबसूरती से बीते। बिना किसी व्यवधान के घंटों इनके बारे में पढ़ते-पढ़ते मैंने मॉरीशसीय हिंदी साहित्य के बारे में बहुत कुछ जान लिया था।

अनेकानेक कार्यक्रमों में अक्सर हिंदी लेखकों से मिलते, बतियाते इस पुस्तक का बीज मन में अंकुरित होने लगा। इसी बाबत एक बार भारतीय उच्चायोग में उप उच्चायुक्त महोदय, श्री विमर्श आर्यन जी से बातचीत करते हुए मैंने अपने मन की बात कही कि मैं मॉरीशस के हिंदी रचनाकारों का एक संकलन तैयार करने की इच्छुक हूँ। उन्होंने इसे सहर्ष स्वीकृति देते हुए मुझे प्रेरित किया। जब इस बारे में महामहिम श्रीमती के. नंदिनी सिंग्ला जी से चर्चा की तो उन्होंने भी इस पर प्रसन्नता जताई। इस योजना के बारे में जब मैंने भारत में प्रसिद्ध भाषावैज्ञानिक डॉ. विमलेशकांति वर्मा जी को बताया तो उन्होंने सहर्ष मेरा मार्गदर्शन किया। फिर मॉरीशस में श्रीमती अंजू घरभरन और श्रीमती कल्पना लालजी से परामर्श किया तो दोनों ने ही सहयोग का वायदा किया। आप दोनों भारतीय महिलाएँ हैं जिनका विवाह मॉरीशस में हुआ अतः वे 44 वर्षों से भी अधिक समय से मॉरीशस-निवासी हो गई हैं। जितना भारत की मिट्टी से जुड़ी हैं उतना ही मॉरीशस के कण-कण की महक से भी परिचित हैं। श्रीमती कल्पना लालजी ने समय-समय पर सुझाव देकर मनोबल बढ़ाया तो श्रीमती अंजू घरभरन ने सहर्ष सह-संपादक की भूमिका निभाई। अंजू जी ने रात-रात भर साथ बैठकर रचनाकारों की सूची तैयार करवाई, अनेक उभरते रचनाकारों के बारे में भी बताया, हमने उनसे रचनाएँ मंगवाईं, उनमें से विषय और विधा के आधार पर चयन किया, कुछेक दिवंगत साहित्यकारों की रचनाएँ उनकी प्रकाशित पुस्तकों से चुनने में भी मदद की। अनेक रचनाकारों की सहमति, परिचय, तस्वीर आदि प्राप्त करने में भी अंजू जी ने बहुत साथ दिया। सभी के सहयोग से मॉरीशस के 44 रचनाकारों की 64 रचनाओं का यह संकलन "मॉरीशस की साहित्यिक सुगंध" पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। यों तो इससे पूर्व भी प्रसिद्ध विद्वानों द्वारा मॉरीशस के सृजनात्मक हिंदी साहित्य के संकलन प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें मॉरीशस में कवि गणेशी (कौलेसर सिंह) की पहली प्रकाशित कविता 'होली' से लेकर लगभग सभी साहित्यकारों को शामिल करते हुए समकालीन लेखन का भी समावेश है। मेरे इस छोटे से प्रयास की उनसे तुलना तो संभव नहीं है पर मैंने पुस्तक के आकार और समय की सीमा के चलते यथासंभव संख्या में रचनाकारों द्वारा विविध विधाओं में किए गए सृजन को इस छोटे-से संकलन में समेटने का प्रयास किया है। मॉरीशस के समृद्ध व विपुल साहित्य और प्रबुद्ध साहित्यकारों की बड़ी संख्या के होने से अनेक महत्वपूर्ण साहित्यकारों और अनेकानेक रचनाओं को इसमें समाविष्ट करना संभव नहीं था। इस संकलन में कविता, कहानी, लघुकथा, संस्मरण, लेख, आलेख, निबंध, शोध-शोध-पत्र इत्यादि को शामिल करते हुए विधा और विषय की विविधता बनाए रखने का प्रयास किया है। इसमें स्थापित लेखकों का समावेश तो है ही कुछ ऐसे नवोदित लेखकों और कवियों, कवयित्रियों को भी शामिल किया है जो काफ़ी समय से लिखते तो रहते हैं परंतु वे चुपचाप लिखकर दराज़ में रखते रहते हैं, छपने का सायास प्रयास नहीं करते। यद्यपि अनेक रचनाएँ हिंदी प्रेम से सराबोर हैं, तथापि विषय की विविधता बनाए रखने की भी कोशिश की है। इस संकलन में ऐतिहासिक गिरमिटिया काल से जुड़ी रचनाएँ भी शामिल हैं और आधुनिक युग के कुछ संदर्भों की रचनाएँ भी। मूल रचनाओं की वर्तनी, व्याकरण व शैली को यथावत् रखने का प्रयास किया है ताकि उनकी मौलिकता बनी रहे और पाठकों को मॉरीशस में प्रयुक्त भाषा की वास्तविक झलक मिले।

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