मानती हूँ कृतज्ञता ज्ञापन मात्र औपचारिकता है फिर भी जिनकी मैं कृतज्ञ हूँ उनका स्मरण न करने पर मेरे मन में ग्लानि होगी।
अत्यंत श्रद्धा से स्मरण कर रही हूँ अपने पूज्य पिताजी स्व. ओंकार सिंह चौधरी जी को जो मेरे रचनात्मक अनुष्ठान में सदैव उपस्थित रहे। अपनी पूज्य माँ का मैं सादर वन्दन करती हूँ।
आदरणीय ससुर जी श्यामवीर सिंह जी और सासु माँ के प्रति भी श्रद्धावनत हूँ जिनका सहयोग और मार्गदर्शन सदैव मिलता रहा है। हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ अपनी बेटी पाखी और बेटे सुहान का जिनके प्रति वात्सल्य ने मुझे संवेदनशील बनाए रखा।
मैं अपनी दोनों दीदीयो (ननदे) नलिनी दी एवं मीनाक्षी दी के प्रति आभार व्यक्त करती हूँ। जिन्होंने सदैव मुझ पर विश्वास किया है। मेरे अग्रज भानु भैया और अनिल भईया व दोनों भाभियों का भी सहयोग हमेशा साथ रहा है। बड़ी दीदी कमलेश का भी आभार व्यक्त करती हूँ।
भावना दी का भी इस रचनात्मक अनुष्ठान में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष सहयोग रहा है। मैं उन्हें धन्यवाद देकर उनके अधिकार क्षेत्र को सीमित नहीं करना चाहती।
परिवार के सभी सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित करती हूँ जिनके सहयोग, प्रेम व शुभकामनाओं के बिना हर उपलब्धि अधूरी है। इन संवेदनाओं के मनकों को माला में पिरोने का गुरूभार कुसुमलता सिंह दीदी को ही दूँगी जिन्होंने मार्गदर्शन, सहयोग व प्रकाशन सभी का भार प्रेम से उठाया है। मेरी स्मृतियों के रेखाचित्रों को पुस्तक रूप में पहुँचाकर मुझे अनुगृहीत किया है।
अंत में, मैं अपने सभी मित्रों, संबंधियों व सभी शुभेच्छुओं के प्रति जिनका नामोल्लेख नहीं कर सकी हूँ, कृतज्ञतापूर्वक नतशिर हूँ।
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist