100% Ameer Banane Ke Durlabh Upaay
प्रस्तावना
आज के युग में जो भी पाप-पुण्य हो रहें हैं वे सभी पैसे पर आधारित हो गए है यदि धारकों के पास पैसा है तो धारक कुछ भी कर सकतें हैं। यदि धारक के पास पैसे की अधिकता है और धारक विवेकी है तो इससे समाज का सृजन कर सकता है यदि पैसे की अल्पता है तो चारक संयम रखकर ईश्वर में विश्वास करके सही ढंग से पैसे आगमन के भौतिक एवं आध्यात्मिक प्रयास कर सकता है वहीं यदि धारक बहुत पैसे वाला है और अविवेकी है तो वह अपने पैसे का गलत उपयोग करके समाज में अव्यवस्था ला देता है समाज को दुषित कर देता है यदि पैसाविहिन है विवेकी नहीं है तो भी वह वह अपराधजन्य कार्य करता है और समाज की अव्यवस्था का कारण बनता है इसलिए लेखक की इच्छा यह है कि गरीबी में मायुस न हों, उल्टे-सीधे काम न करें, संयम बनाकर रखें और प्रस्तुत पुस्तक के बताए मार्गों का अनुपालन करें, आप पुनः धनी बन जाएंगे। आप ईश्वर, अपने शास्त्र एवं संस्कृति में विश्वास कायम रखें। लेखक की सर्वप्रथम भगवान से यही प्रार्थना है कि धरा के सभी प्राणी विवेकी हों सभी सृष्टि के योगदान में अपना सही सहभाग दें। दरअसल यह जानने वाली बात है कि हम सभी भगवान के द्वारा रचे गए श्रमिक हैं जिसका काम अपनें जीवन को उच्चतर रखना है जिससे हम भगवान को जवाब दें सकें कि हमने उनकी रचना में अपना दायित्व सही से निभाया, दूसरा हमें उनकी रचना को और अधिक सुन्दर बनानें में अपनी सहभागिता देना है यह सहभागिता शारीरिक के अलावा धन द्वारा भी निभाई जाती है इसके लिए धन चाहिए तो धन कहाँ से आए इसी का समाधान इस पुस्तक में है, यह समझने वाली बात है कि जब हम सभी भगवान की ही कृति है तो भगवान किसी पर कम तथा किसी पर ज्यादा अनुग्रह थोड़े ही करेंगे अर्थात् भगवान ने सबको असीमित क्षमता और सार्मथ्य दिया है कि वह कुछ भी कर सकें। जब आदमी के पास धन होता है तो वह इसके भोग में लगा रहता है लेकिन जब वह गरीबी में आता है तो भागने-फिरने लगता है लेकिन सच तो यह है कि उसे यह मानना चाहिए कि सुख-दुख तथा गरीबी-अमीरी आती-जाती रहती है इस शाश्वत सत्य को समझना चाहिए। जब भी हम गरीबी से परेशान हो तो यह देखें कि आखिर गलती कहाँ हो रही है उसे सुधारे, निराश न हो जहाँ एक ओर काम बिगड़ने की कुछ सम्भावनाएं होंगी वहीं काम * बनने के हजार उपाय भी होंगे, जरुरत है अपने अगल-बगल देखने की। जब आप सारे प्रयास करके थक जातें हैं, निराश हो जाते हैं तो फिर भी एक संभावना आपके पास बची रहती है, वह है ज्योतिष, यंत्र, मंत्र, तंत्र व टोटके क्योंकि अध्यात्मिक दृष्टि से हम सभी स्वयं में धरती पर एक पिंड है हम सभी ग्रहों से घिरे हुए है चूंकि हम इन ग्रहों के अंतर्गत हैं इसलिए में ग्रह हमें प्रभावित करतें हैं समय, देश, काल के अंर्तगत हम प्रभावित होते रहतें हैं, हमारे रहने के स्थान, अक्षाँस, ये ग्रह, हमारे सही-गलत कर्म, हमारे पाप-पुण्य सब एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, ऐसी अवस्था में हमारा अध्यात्म व शास्त्र हमें इजाजत देतें है कि हम कुछ शास्त्रानुकूल युक्तियों को अपनाकर अपने धनसंबंधी समस्या का समाधान कर सकें। जिस प्रकार भिन्न-भिन्न समस्याओं के भिन्न-भिन्न प्रकार के समाधान होतें है उसी प्रकार लक्ष्मी आगमन के भी विभिन्न प्रकार के ज्योतिषिय, यंत्र, मंत्र, तंत्र व टोटकों की भी पद्धतियाँ है जिसे अपनाकर निश्चितरुप से धनवान बना जा सकता है। यह ध्यान देने की बात है कि हमारे भगवान विष्णु जो हमें सारी सुख-सुविधाएं प्रदान करते हैं, वे हमारे पालनहार हैं, पिता हैं, वहीं उनकी अर्द्धांगिनी माता लक्ष्मी हमारी भी माता हैं हम सभी उनकी संतान है, भला वह क्यों चाहेंगी कि हम गरीब रहें, यह तो हमारे कुछ कर्म और प्रारब्ध होतें है जिसके फलस्वरुप हम गरीब हो जातें हैं। माता की प्रार्थना में बड़ी शक्ति है, उनके ऊपर विश्वास यह ध्यान देने की बात है कि हमारे भगवान विष्णु जो हमें सारी सुख-सुविधाएं प्रदान करते हैं, वे हमारे पालनहार हैं, पिता हैं, वहीं उनकी अर्द्धांगिनी माता लक्ष्मी हमारी भी माता हैं हम सभी उनकी संतान है, भला वह क्यों चाहेंगी कि हम गरीब रहें, यह तो हमारे कुछ कर्म और प्रारब्ध होतें है जिसके फलस्वरुप हम गरीब हो जातें हैं। माता की प्रार्थना में बड़ी शक्ति है, उनके ऊपर विश्वास में बड़ी ताकत है यदि प्रस्तुत पुस्तक में सुझाए गए यत्नों को पाठक करेंगे तो निश्चित ही वाँछितफल की प्राप्ति होगी साधक की सभी मनोकामनाओं की पुर्ति होगी। ज्ञात हो कि लेखक या यूं कहें तो मैने स्वयं साधकों की समस्याओं को, धन की कमीं को देखते हुए, साधकों के दुख को समझते हुए द्रवित होकर काफी अध्ययन किया है, काफी प्रयोग किये है जो सफलतापूर्वक खरे उतरें है। एक वक्त मेरे साथ भी कुछ समस्याएं आई थीं, में भी क्लेश जैसे आर्थिक, पारिवारिक व अन्य परेशानियों से घिर गई थी पुस्तक में बताई युक्तियों को स्वयं के ऊपर प्रयोग करके देखा माता में, हमारी सनातन सस्कृति में, हमारे सनातन ग्रंथो में विश्वास करके उपाय किये आज मेरी सारी परेशानियाँ चलीं गई हैं आज मेरे सभी कार्य सुगमता से चल रहे हैं मेरी भगवान से, लक्ष्मी माता से प्रार्थना है कि जिस प्रकार से मेरी सभी परेशानियाँ खत्म हुई. मुझे सुख-समृद्धि व शाँति मिली उसी प्रकार पाठको की भी सभी समस्याओं का समाधान इस पुस्तक के माध्यम से निकले, यह पुस्तक पाठकों के लिए फलदायी हो। लेखक का यह ज्ञान स्वयं तक सीमित न रहे, इससे सभीजन लाभान्वित हों यह सभी तक पहुँचे इसलिए इस पुस्तक का लेखन किया गया है। पाठकों से अनुरोध है कि कृपया ईश्वर में असीम आस्था और नियम पूर्वक सुझाए हुए युक्तियों को करें। लाभ अवश्य होगा एवं मनोवांछितफल अवश्य मिलेगा।
पुस्तक परिचय
आज मंहगाई के दौर में हर कोई यही चाह रहा है कि वह धनवान हो परंतु अथक प्रयासों के बाद भी सफलता हाथ नहीं लग रही है, जिन समस्याओं का समाधान विज्ञान के पास भी नहीं है उनका सफल समाधान यंत्र-मंत्र-तंत्र-उपाय प्राचीच ग्रंथों, शास्त्रों में है। नियम-श्रद्धा और अटूट विश्वास के साथ किया गया उपाय व्यक्ति को 100% लाभ पहुंचाता है इस चमत्कारी पुस्तक को पढ़ने से सहज ही अध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति व उपाय करने से दरिद्रता-गरीबी दूर होकर धन-समृद्धि में शीघ्र वृद्धि होने लगती है।
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist