भारत वर्ष के पुरातन वैभव के प्रतीक नगरों में मंदसौर का महत्वपूर्ण स्थान है। मन्दसौर स्वतंत्रता आन्दोलन का मुख्य केन्द्र रहा है। इसके उत्तर में मल्हारगढ़ तहसील है। इसके दक्षिण में रतलाम, पूर्व में सीतामऊ तहसील तथा पश्चिम में राजस्थान का प्रतापगढ़ जिला है। प्रतापगढ़ का आन्दोलन भी मन्दसौर जिले के आन्दोलन पर पूरी तरह अपना प्रभाव डालता रहा है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय में मन्दसौर में जो घटनाएँ घटित हुई वे अपने आप में अभूतपूर्व थी। इसका कारण भौगोलिक सामाजिक रूप से मन्दसौर की स्थिति थी यह अजमेर-महू राजमार्ग के बिलकुल मध्य में था। अजमेर और महू अंग्रेजी सेना के प्रमुख केन्द्र थे। इसके अतिरिक्त अजमेर और महू के बीच में अंग्रेजों की दो प्रमुख सैनिक छावनियाँ नीमच और नसीराबाद थी। मन्दसौर में रहकर इन छावनियों में स्वतंत्रता संग्राम का संचालन सावधानीपूर्वक किया जा सकता था। मन्दसौर ग्वालियर राज्य का जिला मुख्यालय था और ग्वालियर से दूर भी था, इसके साथ मन्दसौर मालवा का सम्पन्न व्यापारिक केन्द्र भी था। इसके अतिरिक्त मन्दसौर के चारों ओर चार राज्यों की सीमाएँ लगती थी, प्रतापगढ़, जावरा, सीतामऊ, होलकर। इन राज्यों के स्वतंत्रता आन्दोलन पूरी तरह सक्षम थे। मन्दसौर स्वतंत्रता संग्राम के एक बड़े बोद्धा शाहजादा फीरोज का मुख्यालय भी रहा था। यही कारण था कि मन्दसौर का स्वतंत्रता आन्दोलन सदा सतर्क एवं सचेत बना रहा। यद्यपि 1857 की क्रान्ति सर्वधा विफल सिद्ध नहीं हुई, प्रत्युत स्वतंत्रता प्राप्ति की प्रेरणा वह जन-जन में जगा गई।
राष्ट्रीय आंदोलन के द्वितीय चरण में भी मंदसौर और उसके आसपास की तहसीलों सीतामऊ, गरोठ, मल्हारगढ़ और भानपुरा आदि में वृहद स्तर पर आंदोलन हुए। इन आंदोलनों में मुख्य रूप से त्र्यंबक राव गोखले, गणपतलाल मनाना, गुलाबचन्द मेवाड़ी, माधवसिंह जैन, संत बद्रीलाल मण्डोवरा, रामनारायण त्रिवेदी, श्यामसुख गर्ग, शंकरलाल कटलाना आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इनके प्रयासों से अनेक लोग आंदोलन से जुड़ते रहे और आंदोलन सतत् रूप से गतिशील रहा।
प्रजामण्डल की स्थापना के उपरान्त तो मन्दसौर के समूचे कार्यकर्ता गाँव-गाँव में सक्रिय हो उठे। मन्दसौर तहसील का एक भी गाँव ऐसा नहीं बचा जहाँ स्वतंत्रता की आवाज न पहुंची हो। खादी की आवाज न पहुंची हो, तथा महात्मा गांधी की आवाज न पहुंचाई गई हो। प्रचार साहित्य का बांटना और उसे जनसाधारण को समझाकर उसकी भावना के अनुकूल उन्हें तत्पर करना यहाँ के कार्यकर्ताओं का प्रमुख कार्य था। 1942 ई. के भारत छोड़ो आन्दोलन में भी यहाँ जमकर प्रदर्शन किये गये। इस प्रकार मंदसौर क्षेत्र में जनता ने पूरी सक्रियता के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी की और आंदोलन को सफल बनाया।
प्रस्तुत पुस्तक 'मध्यप्रदेश में स्वाधीनता संग्राम मंदसौर' जिले में आंदोलन की गतिविधियों एवं प्रमुख घटनाओं को लेखबद्ध करने का प्रयास किया गया है। इस महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी प्रदान करने के लिए मैं स्वराज संस्थान संचालनालय, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन का आभारी हूँ तथा मेरे इस प्रयास में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग के लिए सभी का धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist