यह सच है कि कहानियां इतिहास को लांघती हैं, उसका प्रत्याख्यान करती हैं, कविता और नाटक को अपने भीतर अंतर्भूत करती हैं, नए मिथकों और दंतकथाओं को रचती हैं, कुछ पूर्वनिर्मित छवियों, अंधविश्वासों और आस्थाओं को तोड़ती-फोड़ती हैं और कुछ नई आस्थाओं और छवियों को जन्म देती हैं। हर समर्थ कहानी किसी न किसी पूर्व निर्मित मिथक का विध्वंस और उसके मलबे से किसी नए मिथक का निर्माण करती है। और सबसे बड़ी बात यह कि आज असंख्य पाठक चुपचाप किसी अच्छी कहानी की प्रतीक्षा करते रहते हैं। आज के माध्यम बहुल समाज में कहानी का एक अपना विशाल उपभोक्ता वर्ग है।
इस संग्रह में संकलित तीनों रचनाएं 'लघु उपन्यास' हैं या 'लंबी कहानियां,' इस 'गंभीर' विमर्श को आलोचकों के ज़िम्मे छोड़कर पाठक 'कहानियों' की तरह ही इनका आनंद लें।
एक जनवरी, 1952 में मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के छोटे से गांव सीतापुर में जन्मे उदय प्रकाश विज्ञान में स्नातक एवं हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त हैं। आपके अनेक कविता संग्रह, कहानी संग्रह, अनुवाद, निबंध आलोचना एवं संस्मरण प्रकाशित हो चुके हैं। कई भारतीय व विदेशी भाषाओं में भी उनकी रचनाओं के अनुवाद हुए हैं और बहुत लोकप्रिय भी रहे हैं।
आजकल आप स्वतंत्र लेखन, फ़िल्म निर्माण, अख़बारों तथा फिल्मों के लिए लेखन और पेंगुइन इंडिया से शीघ्र ही प्रकाश्य अपने पहले उपन्यास पर काम कर रहे हैं।
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