Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.

मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार जैनेन्द- Manovaigyanik Upanyasakar Jainendra

$19.58
$29
10% + 25% off
Includes any tariffs and taxes
Specifications
Publisher: Chintan Prakashan, Kanpur
Author Sushil G. Dharmani
Language: Hindi
Pages: 216
Cover: HARDCOVER
9x6 inch
Weight 360 gm
Edition: 2012
ISBN: 9788188571499
HBM290
Delivery and Return Policies
Usually ships in 7 days
Returns and Exchanges accepted within 7 days
Free Delivery
Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.
Book Description

भूमिका

उपन्यास आधुनिक युग की देन है। काल की दृष्टि से हिदी उपन्यास साहित्य के विकास का इतिहास अत्यल्प है। नब्बे वर्षों की छोटी सी अवधि में, हिन्दी उपन्यास ने विकास के उस बिन्दु को छूने का प्रयास किया है, जिसे उपलब्ध करने में अंग्रेजी उपन्यास साहित्य को तीन शताब्दियों से भी अधिक समय लगा है।

हिन्दी उपन्यास जगत की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना है- प्रेमचन्द का आविर्भाव, जिनकी कृतियों में भारतीय जन-मानस ने अपने हृदय के स्पन्दनों को सुना। उन्होंने आदर्शोन्मुखी यथार्थ की स्थापना द्वारा कथा परम्परा के मार्ग को प्रशस्त किया। प्रेमचंदोत्तर युगीन उपन्यासकारों ने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय, राजनैतिक तथा मनोवैज्ञानिक आदि प्रवृत्तियों के विकास में विशेष योग दिया है।

नैतिक, सामाजिक और आर्थिक मूल्यों के विघटन के कारण कुण्ठाग्रस्त एवं जटिल मनोदशाओं वाले व्यक्तियों को पात्र रूप में ग्रहण कर आज के उपन्यासकारों ने मनोवैज्ञानिक उपन्यासों की रचना की। मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के द्वारा चरित्र-निर्माण और घटना-विकास किया गया। फ्रायड, एडलर, जुंग, बर्गसां तथा अन्य विभूतियों ने मानवात्मा के अन्तप्रदेश के कई स्तरों का आविष्कार किया। ऐसे मनोविज्ञान की सामग्री लेकर कलात्मक रूप देने की नवीन परम्परा का सूत्रपात उपन्यास में हुआ। अभिव्यक्ति के लिए आकुल आज के उपन्यासकार ने मनोविज्ञान की तकनीकों द्वारा मानस जीवन की समीपतम रेखा को पकड़ने का प्रयास किया है।

मनोवैज्ञानिक उपन्यास पात्रों और परिस्थितियों की स्थूल कथा न होकर परिस्थितियों और मानसिक घात-प्रतिघात में फँसे पात्रों का मनोविश्लेषण है, जिसमें पात्रों के मानसिक जगत की कथा है। ऐसे उपन्यासों के स्वगत कथन पात्रों के अन्तर्मन का परिचय करवाते हैं, जिनमें असंबद्ध क्षणों की अनुभूतियाँ हैं और मानसिक स्थितियों की अभिव्यक्ति मात्र शब्दों में नहीं, वरन् बिम्ब और प्रतीकों में होती है। इनके विश्लेषण हेतु रूढ़िगत परम्पराओं और शिल्प की जगह विशिष्ट प्रणालियों का प्रयोग होता है। ये मनोवैज्ञानिक उपन्यास हिन्दी साहित्य की महत्वपूर्ण उपलब्धि हैं।

अतः मनोवैज्ञानिक उपन्यासों के पठन के लिए पाठकों में एक विशेष रुचि परिष्कार की आवश्यकता है ताकि वह उपन्यासकारों की प्रत्यक्ष अनुपस्थिति में उनकी कृति का रसास्वादन कर पात्रों के प्रति संवेदना प्रकट कर सकें।

एम०ए० अंग्रेजी करते वक्त पाठ्यक्रम में लगे दोस्तोवस्की के उपन्यास 'क्राइम एण्ड पनिशमेन्ट' से मैं काफी प्रभावित हुआ। उसके नायक रास्कोलनिकोव की सोच प्रक्रिया ने मुझे आतंकित कर दिया और ऐसी जटिल मानवीय हरकतों के प्रति सोचने पर मजबूर किया। उसी दौरान रोमाँ रोला का 'ज्यों क्रिस्टॉफ', जेम्स जॉईस का 'पोर्ट्रेट ऑफ दि आर्टिस्ट एस ए यंग मैन' और डी०एच० लॉरेन्स का 'लेडी चेटरलीस लवर' पढ़ने का मौका मिला। उन उपन्यासों ने मुझे बहुत विचलित किया। एम०ए० हिन्दी करते वक्त हिन्दी के मनोवैज्ञानिक उपन्यासों से भी मैं परिचित एवं अवगत हुआ। जैनेन्द्र के 'सुनीता', 'मुक्तिबोध' और अज्ञेय के 'नदी के द्वीप' ने मेरी श्रद्धा बढ़ा दी।

लेकिन मन की बैचेनी और अकुलाहट शान्त न हुई और अधूरेपन के बोध ने मुझे इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए अनुप्रेरित किया।

विशेषतः मैं 'अन्तर्जगत' शब्द पर बल देना चाहता हूँ जो हमारी आत्म-चेतना की अभिव्यक्ति करता है। ऐसा जगत जिसे प्रत्येक व्यक्ति ज्ञातावस्था में अपनी विविध चेतनाओं की पर्तों तले दबा देता है। जिससे मानव मनुष्य तो बन सकता है लेकिन व्यक्ति नहीं बन सकता। वह आजीवन अपनी उन एषणाओं की परितृप्ति के लिए तड़पता रहता हैं

जैनेन्द्र ने अपने काल में परम्परागत मूल्यों से हटकर एक ऐसी पगडंडी अपनाई जो हमारे अन्धकारमय जटिल मनोभावों के बीच से होकर गुजरती है; और मानवीय अन्तः चेतना एवं उसकी पशुवृत्ति को प्रकाशित करती है। उन्होंने अपने ढंग से मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का कलात्मक वहन किया है।

वैसे मेरा अनुसंधानकार्य इस क्षेत्र में प्रथम नहीं है। सर्वप्रथम डॉ० देवराज उपाध्याय ने आधुनिक हिन्दी कथा-साहित्य और मनोविज्ञान शोध-ग्रंथ प्रस्तुत किया, परंतु विषय की विशदतां एवं विदेशी साहित्य के विस्तृत संदर्भों एवं विवेचन बाहुल्य के कारण केवल छुट-पुट विश्लेषण एवं व्याख्याएँ संभव हो सकी हैं, उसमें क्रमिक आकलन का अभाव खटकता है। इसी क्रम में डॉ० धनराज मानधाने का 'हिन्दी के मनोवैज्ञानिक उपन्यास' महत्वपूर्ण है, लेकिन उसमें विचार एवं दर्शन अछूते रह गये हैं।

इनके अलावा कुछ अन्य आलोचनात्मक ग्रंथों में भी मनोवैज्ञानिक उपन्यासों की प्रवृत्तियों का मात्र सामान्य विश्लेषण प्राप्य है, जैसे डॉ० रणवीर रांग्रा का 'हिन्दी उपन्यास में चरित्र का विकास', डॉ० एस०एन० गणेशन का 'हिन्दी उपन्यास साहित्य का अध्ययन', डॉ० रामदरश मिश्र का 'हिन्दी उपन्यासः एक अन्तर्यात्रा'। कुछ विद्वानों ने उपन्यासकार विशेष को लेकर आलोचनात्मक ग्रंथ प्रस्तुत किया है, जैसे- डॉ० देवराज का 'जैनेन्द्र के उपन्यासों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन' आदि। परंतु इनमें संक्षिप्त विश्लेषण ही प्रस्तुत हो पाया है और कई पहलू अछूते रह गए हैं।

1. अनुसन्धानार्थ उपलब्ध आलोचनात्मक ग्रंथों की त्रुटियों एवं सीमाओं को ध्यान में रखते हुए मैंने यथासंभव उनकी आपूर्ति करने की कोशिश की है।

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question
By continuing, I agree to the Terms of Use and Privacy Policy
Book Categories