भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही प्रत्येक क्षेत्र में संगीत का अपना प्रभाव रहा है। वे चाहे धार्मिक कृत्य हों अथवा सामाजिक, बच्चे के जन्म से लेकर मरण तक होने वाले विभिन्न कर्मकाण्ड, सबमें संगीत का महत्व दृष्टिगोचर होता है। वैदिक काल से लेकर आज तक मानव जाति में आदि मानव से लेकर आधुनिक मानव बनने तक अनेक सोपान तय किए। इस संपूर्ण काल में उसने जीवन जीने के लिए अनेक संसाधन जुटाने का कार्य किया। उसी मनुष्य ने प्राकृतिक संगीत का अनुभव कर गान विधि का प्रार्दुभाव किया, शब्दों का संचार उस गान विधि के साथ जोड़कर नाना प्रकार के लोकगीत, शास्त्रीय संगीत की रचना की ।
प्रस्तुत ग्रन्थ में संगीत के उपर्युक्त पक्षों को दृष्टिगत करते हुये शोध लेखों का संग्रह किया गया है। आशा है कि यह निबन्ध संग्रह संगीत के अध्येताओं तथा शोधकर्ताओं के लिये अत्यधिक उपादेय होगा।
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