हर विधा का एक युग होता है। वर्तमान काल लघुकथा का काल है। रस्साकशी और दौड़ भाग के इस जटिल युग में भारी-भरकम रचनाएँ पढ़ने का समय कम ही लोगों के पास है। सोशल मीडिया आधुनिक चौपाल की भूमिका निभा रहा है जिसमें हर कोई स्वयं को पल-पल अभिव्यक्त कर रहा है। असम्पादित अभिव्यक्ति के इस दौर में हर गम्भीर पाठक लघु परंतु गहन विचार, उत्तम भाषा तथा कुशल शिल्प की कमी अवश्य अनुभव करता है। श्रेष्ठ लघुकथाएँ यह कमी पूरी करती हैं। मेरे विचार से लघुकथा का कलेवर भले छोटा हो, उसका मर्म विराट होना चाहिये। लघुकथा न केवल मनोरंजक हो वह पाठक को एक नयी दृष्टि भी प्रदान करे। प्रस्तुत पुस्तक इसी दिशा में एक विनम्र प्रयास है।
मेरी लघुकथाएँ हिंदी लघुकथा की सामान्य परिपाटी से अलग हैं। मैंने स्वयं को सायास ही पुराने विषयों, प्रचलित विडम्बनाओं, सामान्य अनुभवों और घटनाओं को दोहराने से बचाया है।
कम शब्दों में पात्रों की बातें आप जैसे प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का मेरा यह प्रयत्न कितना सफल हुआ है इसका निर्णय आपके हाथ में है।
इस प्रयास के फलीभूत होने के लिये मैं उन सभी का आभारी हूँ जिनका योगदान इस प्रकाशन में मुझे मिला, विशेषकर मेरे पात्रों का, क्योंकि उन्हीं के कारण मेरा अस्तित्व है। यदि पात्र न होते तो लेखक भी न होता।
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