| Specifications |
| Publisher: Penguin Books India Pvt. Ltd. | |
| Author Edited By Sudha Murthy | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 172 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8x5 inch | |
| Weight 138 gm | |
| Edition: 2024 | |
| ISBN: 9780143460299 | |
| HBD247 |
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दिलचस्प लोगों की प्रेरणादायक सच्ची कहानियाँ जो कि सुधा मूर्ति की किताब के पन्नों में बसी हुई हैं हमारे ऊपर अपनी अमिट छाप छोड़ती हैं। लेकिन यह किताब केवल उन पुरुषों और महिलाओं की कहानियों को संकलित कर पाई है जिनसे सुधा मूर्ति की व्यक्तिगत भेंट अपने सामाजिक कार्यों के दौरान हुई। अवश्य ही अन्य लोगों के पास भी साझा करने के लिए ऐसी अनेक रोचक कहानियाँ होंगी।
एक नई शुरुआत जीवन की बीस सच्ची यादगार कहानियों का संग्रह है। इनका चयन स्वयं सुधा मूर्ति के हाथों उन प्रविष्टियों में से हुआ है जो कि पेंगुइन द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में आई थीं। ये कहानियाँ रोज़मर्रा के उलझन भरे पलों से जूझने के बारे में होने पर भी उम्मीद, विश्वास, दया और ख़ुशी-जिनकी जीवन में भरमार है-को अपने में समेटे हुए है।
प्रेरणादायक और हौसलाप्रद, यह एक ऐसा संकलन है जो कि हर उस पाठक को मंत्लमुग्ध और आनंदित कर देगा जिसे मानव-हृदय की अच्छाई में विश्वास है।
सुधा मूर्ति का जन्म वर्ष 1950 में, उत्तरी कर्नाटक के शिगाँव में हुआ था। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में एमटेक किया और अब इंफ़ोसिस फ़ाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं। सुधा मूर्ति अंग्रेज़ी और कन्नड़ भाषा की एक सफल लेखिका हैं। उन्होंने उपन्यास, तकनीकी किताबें, यात्रा-वृतांत, लघु कथाओं के संग्रह, नॉन-फ़िक्शन लेख और बच्चों के लिए चार किताबें लिखीं हैं। उनकी पुस्तकों का सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
सुधा मूर्ति को साहित्य में अपने योगदान के लिए वर्ष 2006 में 'आर. के. नारायण पुरस्कार' एवं 'पद्म श्री' और वर्ष 2011 में कर्नाटक सरकार द्वारा कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्टता के लिए 'अट्टीमब्बे पुरस्कार' से सम्मानित किया जा चुका है। 2023 में उनको 'पद्म भूषण' से भी सम्मानित किया जा चुका है।
मेरी पिछली पुस्तक के बाज़ार तक पहुँच जाने के बाद की बात है, एक दिन जब मैं ऑफिस से घर जा रही थी तो रास्ते में मैं अपनी साहित्यिक यात्ना के बारे में सोचने लगी, जिसके कभी हो पाने के बारे में मैंने कल्पना भी नहीं की थी। मेरा ध्यान इस बात पर गया, कि अब तक मैंने जो भी किताबें लिखी हैं, वास्तव में उनमें मेरे बारे में कुछ भी नहीं है। बल्कि उन सभी किताबों में मैंने उन लोगों के बारे में लिखा है जिनसे मैं मिली हूँ, उन जगहों के बारे में लिखा है जहाँ मैं गई हूँ और उन ज़िंदगियों के बारे में लिखा है जिनका हिस्सा बनने का मुझे सौभाग्य मिला है; और इस बात से मुझे बहुत आश्चर्य होने लगा।
मैं ख़ुद को भाग्यशाली समझती हूँ, कि मैं लोगों की मदद कर सकने की स्थिति में हूँ। मैं लोगों की शुक्रगुज़ार हूँ कि उनके दिलों में इतनी जगह है कि उन्होंने मुझे अपनी ज़िंदगी में झाँकने का मौका दिया और अपनी अत्यंत ही निजी भावनाओं और समस्याओं को मेरे साथ साझा किया। मैं ख़ुद को धन्य मानती हूँ कि उन्होंने अपनी कहानियाँ मुझे सौंप दीं और मुझे उनमें एक किरदार निभाने का मौका मिल गया। मेरी खुशकिस्मती है कि मुझे कभी-कभी उन कहानियों में नायक की भूमिका निभाने का भी मौका मिला; लेकिन ज़्यादातर मौकों पर मैं कहानियों में किसी सामान्य भूमिका में या फिर कथावाचक के रूप में ही रही हूँ।
आप मुझसे जुड़ा हुआ महसूस करते हैं क्योंकि मेरे और आपके जीवन-मूल्य एक समान हैं और हम दोनों ही इंसानी दिमाग की सोच की विविधताओं को देखकर ताज्जुब में पड़ जाते हैं।
इसलिए इस बार जब, एक शानदार संपादक और मेरी पक्की सहेली जिस पर मैं भरोसा कर सकती हूँ श्रुतकीर्ति खुराना और पेंगुइन में मेरे प्रकाशक उदयन मित्ना के साथ एक नई किताब पर चर्चा प्रारंभ हुई, तो मेरी इच्छा यह थी कि इस किताब के साथ मुझे आप तक और अपने सभी पाठकों तक पहुँचने का एक बेहतर मौका मिले; इस बार मैं कुछ अलग करना चाहती थी।
मैं आपकी ज़िंदगी के अनुभवों से सीखना चाहती थी; वे अनुभव जो आपको ज़िंदगी से सौगात के तौर पर मिले हैं। इस विचार को ध्यान में रखते हुए हमने एक प्रतियोगिता आयोजित करने का फैसला किया। हमने अपने पाठकों से यह निवेदन किया कि वे अपने जीवन की सच्ची और प्रेरणादायक कहानियाँ हमारे साथ साझा करें। मुझे इस बात की ख़ुशी है कि हम ऐसा कर सके, क्योंकि इस प्रक्रिया में जो अनकही कहानियाँ हमारे सामने आईं, वो इतनी खूबसूरत थीं कि उन्होंने हमें अपने मोहपाश में बाँध लिया।
इस किताब के विभिन्न कथाकार आपको ऐसी जगहों पर ले जाएँगे जिससे आज की युवा पीढ़ी में आपका भरोसा फिर से कायम हो जाएगा और आप उनके सच बोलने की हिम्मत को सराहने पर मजबूर हो जाएँगे। मुझे यकीन है कि आग्नेय नाम की बच्ची की कहानी आपके दिल को जीत लेगी और आपके मन में ये चाहत जाग उठेगी कि काश वो आपकी बेटी होती। भले ही उसने कुछ ऐसा किया था जिसे समाज गलत मानता है। फिर दूसरी तरफ, एक ऐसे लड़के की कहानी है जो अल्ज़ाइमर से पीड़ित अपने दादाजी के उग्र होने जाने के बाद बहुत बहादुरी से हर परिस्थिति में उनके साथ खड़ा रहता है।
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