भारत की शिक्षा व्यवस्था में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 तथा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या-2023 ने ज्ञान आधारित तथा जीवनमूल्य आधारित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से देश की अगली पीढ़ी को गढ़ने की एक नई दृष्टि दी है। भारत को विश्व की अपराजेय ज्ञान महाशक्ति के रूप में विकसित करने की दिशा में यह एक क्रान्तिकारी पहल है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या-2023 में पंचकोशात्मक विकास तथा पंचपदी अधिगम पद्धति का उल्लेख हुआ है। विद्या भारती ने इससे पूर्व ही भारतीय शिक्षा दर्शन एवं मनोविज्ञान पर आधारित पंचकोशात्मक एवं समग्र विकास की संकल्पना विषय पर एक पुस्तक प्रकाशित की है। प्रस्तुत पुस्तक पंचपदी अधिगम पद्धति पर एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करती है।
पंचपदी शिक्षण पद्धति अभिनव, विशिष्ट तथा वैज्ञानिक आधार से युक्त है।
यह ज्ञानार्जन की प्रक्रिया में छात्रों की कर्मेन्द्रियों तथा ज्ञानेन्द्रियों अर्थात बहिःकरण एवं अन्तःकरण चतुष्ट्य के विकास पर बल देती है, न कि केवल कक्षा शिक्षण के बाहरी साधनों-संसाधनों उपकरणों के प्रयोग पर।
भारत में शताब्दियों से ज्ञानार्जन की पंचपदी पद्धति का उपयोग होता रहा है। इस पुस्तक में पंचपदी के पाँचों पदों की संक्षिप्त विवेचना की गई है -
अधीति अर्थात शिक्षक छात्र के मध्य सीखने के लिए शारीरिक-मानसिक तैयारी; बोध अर्थात प्रस्तुत किए गए विषय की अवधारणात्मक स्पष्टता; अभ्यास अर्थात सीखे हुए विषय की पुष्टि; प्रयोग अर्थात सीखे हुए विषय को पुस्तकीय ज्ञान से आगे जीवन में व्यावहारिक प्रयोग करने की क्षमता का विकास तथा प्रसार अर्थात स्वयं प्राप्त ज्ञान का विस्तार, हस्तान्तरण तथा समाज के हित में उपयोग करने की सिद्धता। इन पाँचों पदों को क्रमशः एक के बाद दूसरे का प्रयोग करने जैसा कोई नियम नहीं है। इन सभी पदों का परस्पर सह-सम्बन्ध है। उदाहरण के लिए, यदि बोध पद में अवधारणात्मक स्पष्टता के लिए उसका प्रयोग करने की आवश्यकता है तो प्रयोग के चौथे पद को दूसरे पद के साथ जोड़ा जा सकता है। इसी प्रकार शिक्षक या वरिष्ठ छात्र द्वारा किया जा रहा प्रसार ही विद्यार्थी या कनिष्ठ छात्र के लिए अधीति है।
आशा है कि यह पुस्तक सम्पूर्ण शिक्षा जगत और विशेष रूप से कक्षा शिक्षण से प्रत्यक्ष जुड़े हुए शिक्षकों की आवश्यकता की पूर्ति करेगी। पुस्तक के अंत में संदर्भ उदाहरण के रूप में कुछ आदर्श पाठयोजनाएँ भी दी गई हैं। इस उपयोगी सामग्री के संकलन, निर्माण तथा प्रकाशन के लिए मैं विद्या भारती की विद्वत् टोली का अभिनन्दन करता हूँ। विद्वान पाठकों से निवेदन है कि पुस्तक की विषयवस्तु पर समीक्षात्मक टिप्पणी कर इसमें अपेक्षित सुधार करने में सहयोग करें।
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