भादेश न रत-रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर अप्रतिम प्रतिभा के धनी थे। वे सच्चे देशभक्त थे। उन्होंने देश की महान् सेवा की। उन्होंने देश को कमजोर बनाने वाली समस्याओं को समझा और उनके कारणों को एक अन्वेषी के रूप में तह तक पहुँचकर जानने का अथक प्रयास किया। समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था को वे प्रजातंत्र के लिए घातक मानते थे। वे वर्ण व्यवस्था को जाति व्यवस्था की जननी मानते थे। मनुष्य मनुष्य के साथ अमानवीय व्यवहार करे, उसके साथ छुआछूत बरते, वह मनुष्य सभ्य नहीं कहा जा सकता और वह समाज, जो इसकी आज्ञा दे, वह समाज सभ्य नहीं कहा जा सकता। आज समाज की कुप्रथा को अवैध करार दे दिया गया है, जो बाबासाहेब के प्रयासों का ही परिणाम है।
बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के अंग्रेजी में प्रकाशित वाङ्मय का हिंदी के अतिरिक्त देश की अन्य आठ क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है।
मैं प्रतिष्ठान की ओर से माननीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री तथा सचिव, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार का आभार व्यक्त करती हूँ, जिनके परामर्श एवं प्रेरणा से प्रतिष्ठान के कार्यों में अपूर्व प्रगति आई है।
प्रस्तुत हिंदी खंड 15 'पाकिस्तान या भारत का विभाजन' में 'संवैधानिक सुधार एवं आर्थिक समस्याएँ' नामक शोधपूर्ण रचना समाहित है। मानविकी के अध्येताओं के लिए तो आधारभूत सामग्री है ही, साथ ही यह सामग्री समाज निर्माण के सुधी एवं सजग प्रहरियों के लिए चिंतन का आधार बनेगी। पाठकों के बहुमूल्य सुझावों की प्रतीक्षा बनी रहेगी।
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