लेखक परिचय
11 जून 1935 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में जन्म। 1955 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए.। 1956 से कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध श्री शिक्षायतन कॉलेज में पाँच वर्ष अध्यापन । 1961 में डॉ. धर्मवीर भारती से विवाह के उपरान्त स्वतन्त्र लेखन-कार्य प्रारम्भ । रेडियो और दूरदर्शन के लिए विभिन्न कार्यक्रम किये। भारत सरकार की बालचित्र निर्माण संस्था से जुड़ीं, फ़िल्म सेंसर बोर्ड में नियुक्ति। न्यूयॉर्क में सम्पन्न विश्व हिन्दी सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी, प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी के साथ पत्रकार की हैसियत से अनेक देशों की यात्राएँ कीं। यज्ञ, प्रकाशन: रोमांचक सत्य कथाएँ (दो भागों में), प्रेम पियाला जिन पिया, ढाई अक्षर प्रेम के, सरस संवाद, सफ़र सुहाने, आधुनिक साहित्य बोध, एक दुनिया बच्चों की, यादें, यादें।... और यादें... पुस्तकों के अलावा अनेक पुस्तकों का सम्पादन, जिनमें प्रमुख हैं- अक्षर अक्षर धर्मवीर भारती से साक्षात्कार, मेरी वाणी गैरिक-वसना, साँस की क़लम से, धर्मवीर भारती की साहित्य-साधना, हरिवंशराय बच्चन की साहित्य-साधना, पुष्पांजलि (धर्मवीर भारती के प्रेमपत्र) आदि । पुरस्कार/सम्मान: 1955 में 'डॉ. राजेन्द्र प्रसाद अखिल भारतीय वाद-विवाद प्रतियोगिता' में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व किया और स्वयं राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी के कर कमलों से प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया 'साहित्य भूषण' (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान), 'भारती गौरव' (भारती पुरस्कार परिषद्, महाराष्ट्र); 'सारस्वत सम्मान' (आशीर्वाद संस्थान); 'साहित्यश्री' (स्वजन सम्मान); 'महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी सम्मान'; 'हिन्दी सेवा सम्मान' (कालिदास अकादमी, उज्जैन); 'चरागै-दैर' (गालिब अकादमी, वाराणसी); 'संस्कृति रत्न' (वाजाल संस्था); 'लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड-2019' (लिट् ओ फेस्ट)।
पुस्तक परिचय
प्रेम पियाला जिन पिवा चेखव की मर्मभेदी कहानियाँ, डिकेन्स के मानवतावादी उपन्यास, वेल्स की रोमांचक वैज्ञानिक कथाएँ और रिल्के की अद्भुत कविताएँ - विश्व-साहित्य के इन अमर हस्ताक्षरों की प्रेरणा का उद्गम कहाँ है? इनके कृतित्व के पीछे, निजी जीवन की कौन सी पीड़ाएँ थीं, कौन से गोपन प्रणय या उजागर अनुराग बन्धन थे? यह सब आप बहुत ही रोचक और कलात्मक रूप में जानेंगे प्रेम पियाला जिन पिया में। प्रामाणिक तथ्यों और अन्तरंग आत्मीय विश्लेषणों के कारण पुष्पा भारती के ये कथा-निबन्ध ऐसे बन पड़े हैं जिन्हें एक बार पढ़कर आप कभी भूल नहीं पायेंगे और फिर-फिर पढ़ना चाहेंगे, जीवन की अनेक उद्वेलित, प्रगाढ़, तन्मय और उदासीन मनःस्थितियों में। इन कथा-निबन्धों को पढ़कर बच्चन ने लिखा था कि 'भावभीनी, चित्रात्मक, साथ ही परिनिष्ठित शैली में गद्य लिखने की पुष्पा भारती की क्षमता अद्वितीय है।' शिवमंगल सिंह 'सुमन' का कहना था-'मैं मन्त्रमुग्ध-सा पुष्पा भारती की लेखनी
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