साहित्य को पाठ्यक्रम के संदर्भ में पढ़ना एक बात है और साहित्य की किसी विधा में शोधकार्य करना दूसरी बात है, क्योंकि साहित्यिक अनुसंधान की प्रक्रिया बहुत जटिल है। जब मुझे शोधकार्य करने का अवसर मिला तो आलोचना जगत में जिस रचनाकार को लेकर अधिक कार्य नहीं हुआ ऐसे रचनाकार रही मासूम रजा के 'कटरा बी आजूं' उपन्यास पर मैंने कार्य करना उचित समझा क्योंकि राहीजी की बेबाक लेखनी तथा राजनैतिक घटनाओं का यथार्थ वर्णन उनके उपन्यासों का मुख्य अंश रहा है, जो मुझे काफी प्रभावित करता है।
राहीजी उर्दू के जाने माने शायर और हिन्दी के महान उपन्यासकार माने जाते हैं। उनका प्रस्तुत उपन्यास 'कटय बी आर्जू' सन् 1978 में प्रकाशित बहुचर्चित उपन्यास है। जो कटरा मीर बुलाकी में बसने वाले लोगों की छोटी-छोटी आजूयें बयाँ करता है। साथ में इन्दिरा जी द्वारा लागू आपातकालीन स्थिति का सच्चा वर्णन करते हुए राजनीतिक विचारधारा का भी यथार्थ चित्रण करता है।
प्रस्तुत पुस्तक में अध्ययन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए संपूर्ण शोधकार्य को पाँच अध्यायों में विभक्त किया गया है जो निम्नानुसार है।
प्रथम अध्याय में राहीजी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रस्तुत किया है, जिसमें राहीजी के पारिवारिक जीवन से लेकर बहुमुखी व्यक्तित्व तथा साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला है। द्वितीय अध्याय में राहीजी के सभी उपन्यासों का परिचय दिया गया है। तृतीय अध्याय में 'कटरा बी आर्जु' उपन्यास के वस्तुपक्ष का निरूपण किया गया है तथा चतुर्थ अध्याय में उपन्यास के शिल्पपक्ष का निरूपण किया गया है। पंचम अध्याय में उपसंहार है तथा साथ में परिशिष्ट के अंतर्गत संदर्भ ग्रंथ सूची तथा पत्र-पत्रिकाओं की सूची दी गई है।
अनुसंधान के इस कार्य को पूर्ण करने के लिए अनेक पहलुओं से गुजरना पड़ता है। इन हर पहलुओं में कहीं न कहीं सुझाव एवं मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती है और मुझे भी इस कार्य में प्रारंभ से लेकर अंत तक काफी मेहनत तथा मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ी जिसमें मुझे सहायता तथा मार्गदर्शन देने वाले मेरे गुरुवर स्व. डॉ० कमलेशभाई त्रिवेदी जी की मैं हमेशा ऋणी रहूँगी। जिनके मार्गदर्शन में यह शोधकार्य संपन्न हुआ और आज पुस्तक के रूप में प्रकाशित हो रहा है। इसे पुस्तकाकार प्रदान करने हेतु मुझे मार्गदर्शन एवं सहयोग देने वाले परम श्रद्धेय डॉ० एम. के. चौधरी तथा डॉ० दिलीप मेहराजी का मैं आभार व्यक्त करती हूँ। साथ में हिन्दी स्नातकोत्तर विभाग के अध्यक्ष, डॉ० नवनीत चौहान, डॉ० दयाशंकर त्रिपाठी, डॉ० मदन मोहन शर्मा, डॉ० हसमुख परमार, मिलन तथा विष्णु भाई, डॉ० जगन्नाथ पंडित का भी मैं तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूँ, क्योंकि उनके सान्निध्य एवं सहयोग से मुझे हमेशा कुछ नया करने की प्रेरणा मिलती रही है। साथ में हमारे प्राचार्य आदरणीय डॉ० मनोज आर० पटेल एवं डॉ० मोहन भाई पटेल का भी मैं हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ। परम पूजनीय मेरे माता-पिता एवं परिवार के सभी सदस्यों तथा स्नेहीजनों की मैं आभारी हूँ, जिन्होंने मुझे इस कार्य के लिये प्रोत्साहित किया तथा संपूर्ण सहयोग दिया। मेरे जीवन साथी कमलेश जी का भी में तहेदिल से आभार व्यक्त करती हूँ कि उन्होंने घर-परिवार की जिम्मेदारियों में मेरा साथ दिया और सभी कार्य में मुझसे कदम से कदम मिलाते हुए हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है।
इस पुस्तक के प्रकाशन हेतु चिंतन प्रकाशन के प्रकाशक श्री रामसिंह भाई का भी मैं आभार व्यक्त करती हूँ। साथ में मेरे मित्र एवं सहकर्मी प्रा० भावना ठक्कर, प्रा० फाल्गुना पटेल, प्रो० शब्बीर सैयद का भी आभार व्यक्त करती हूँ।
इस शोधकार्य को पुस्तक का रूप प्रदान करने का यह मेरा प्रथम प्रयास है। जिसे प्रस्तुत करते हुए आज मुझे अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है। मेरा यह प्रयास सभी विद्वज्जन तथा पाठक वर्ग के सुझावों का आग्रही है; क्योंकि आपके सहयोग से मुझे उत्साह तथा प्रेरणा प्राप्त होगी।
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