'राष्ट्र-गुंजन - राष्ट्र के प्रति प्रेम और चेतना से ओतप्रोत गीतों की एक खूबसूरत माला है।"
'राष्ट्र-गुंजन देश भक्ति की भावनाओं से ओतप्रोत कविताओं की ऐसी गीत माला है जो हर भारतीय के दिल में अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम उत्पन्न करने की क्षमता रखती है तथा साथ ही हर देश वासी के मन में देश भक्ति की सच्ची लग्न पैदा कर देती है जिससे वह इंसान देशभक्ति के रस से भर जाता है और देश के प्रति अपने कर्तव्य को और अधिक जिम्मेदारी से निभाने के लिए तैयार हो जाता है। एक सच्चा देशभक्त चलते फिरते, सोते-जागते देश प्रेम से प्रेरित होकर जीवन की तमाम क्रियाओं को पूरा करते हुए देश राग की धुन गुनगुनाने लगता है। इन्हीं भावों में लिखी संग्रह की 51 कविताएँ आज भारत राष्ट्र को समर्पित करते हुए मुझे बेहद खुशी की अनुभूति हो रही है, क्योंकि राष्ट्र के प्रति मेरी सच्ची श्रद्धा, प्रेम, कर्तव्य और दायित्व इन 51 कविताओं में बखूबी रमा बसा है जो अब 'राष्ट्र- गुंजन' के माध्यम से देश वासियों को देश प्रेम के लिए प्रेरित करने का काम करेंगी।
'राष्ट्र- गुंजन की सभी कविताओं में देश प्रेम की भावना निहित है। वेदों की वाणी भी यही कहती है कि मातृभूमि से बढ़कर कोई सुख नहीं हो सकता। तभी तो एक सच्चे देश प्रेमी की अंतरात्मा से ये शब्द निकलते हैं -
"हे! माँ धरती तुम्हें नमन।
तेरे चरणों में पावन जल है।
तेरे आंचल में सुख का पल है।
तू देती हरी-भरी हरियाली।
दुःख- सुख में सबको बहलाती।
तू देती सबको शीतल पवन।
हे! माँ धरती तुझे नमन।।"
देश प्रेम केवल भावनाओं तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि कर्म और वचन के माध्यम से देश भक्त नागरिक के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाता है। एक देश प्रेमी हर पल देश की जनता के विकास और उत्थान के लिए प्रेरित होकर बदलते हुए समय के अनुसार जनता के समग्र विकास हेतु चिंतन करता है।
देश की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा सामरिक आवश्यकताएँ समय और परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती हैं। आज 21 वीं शताब्दी में देश को नए ज्ञान और नए स्वाभिमान की आवश्यकता है। इसी भावना से प्रेरित होकर 'राष्ट्र-गुंजन" के गीतों से स्वर उठते हैं -
"आवश्यकता है आज, हिंद को नव ज्ञान की। करने व्याप्त सर्वत्र अंशु स्वाभिमान की।। और इन गीतों से प्रेरित होकर देश के युवा अपना परिचय कुछ ऐसे
प्रस्तुत करते हैं जैसे कविता 'अपना परिचय' के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। आज का नया भारत अपने पड़ोसी देशों को कड़े शब्दों में यह संदेश देता है कि भारत 21वीं शताब्दी में एक सशक्त राष्ट्र बन चुका है और अब अगर किसी देश ने भारत की आन बान और शान की तरफ लाल आँखें दिखाई तो उसका अंजाम बहुत बुरा होगा। 21वीं शताब्दी के नवनिर्मित भारत के नौजवान कहते हैं-
'हम हैं भारत की नूतन पीढी,
भरे हुए नव भावों से।
बहुत कुछ सीख चुके हैं हम,
अपने इतिहास के घावों से।
छेड़छाड़ उचित नहीं,
हम ज्वालामुखी बन जाएंगे। कश्मीर आलाप अब त्याग दो,
नहीं तो सिंघ भी ले जाएंगे।।"
राष्ट्र भक्ति की इस सुदृढ़ विचारधारा को अधिक मजबूती के साथ प्रस्तुत करती हुई देश की वर्तमान पीढी अपने देश प्रेम को अभिव्यक्त करते हुए विश्व को आगाह करते हुए कहती है-
"हम हैं हिंदुस्तानी,
हमारा देश है महान।
करके कुछ दिलाएँगे,
हम भारत की संतान।।
" सिंह की एक दहाड़ से,
अरण्य कांप उठेगा।
अग्नि के प्रयोग से,
विश्व नाच उठेगा।
वज्र प्रहार के समक्ष,
रिपु रण छोड़ भागेगा।
भावी दौर हमारा होगा,
अब विश्व जान जाएगा।
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