| Specifications |
| Publisher: Rampur Raza Library, Uttar Pradesh | |
| Author Syed Sabahuddin Abdur Rahman | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 1264 | |
| Cover: HARDCOVER | |
| 9x6 inch | |
| Weight 2.01 kg | |
| Edition: 2008 | |
| HBH304 |
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इस समय पाठकों के हाथों में जो पुस्तक है वह वास्तव में उस लेख के संक्षिप्तीकरण का सूत्र है जो 27 अप्रैल 1972 ई० में साबू सिद्दीक टैकनिकल इन्सटीट्यूट के हाल में इस्लामिक रिसर्च एसोसिएशन बम्बई में आयोजित, श्री रफीक जकरिया मंत्री बम्बई सरकार की अध्यक्षता में पढ़ा गया। इस लेख को वहाँ उपस्थित सज्जनों एवं श्रोतागण ने अत्यन्त रूचिपूर्वक व चाव से सुना यद्यपि समय की कमी के कारण यह लेख अत्यन्त संक्षेप में पढ़ा गया परन्तु उपस्थित सज्जनों एवं श्रोतागण की रूचि को देखकर यह विचार उत्पन्न हुआ कि इस विषय को अत्यन्त विस्तार से अध्ययन करके और भी लाभदायक सामग्री एकत्र कर दी जाए तो न केवल बहुत से संदेह व भ्रातियाँ दूर हो जायेंगी बल्कि मैत्री, प्रेम व्यवहार एवं एकन्ना का वातावरण उत्पन्न करने में भी ऐसे ऐतिहासिक साहित्य उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। मैं लेख में निरन्तर वृद्धि करता रहा यहाँ तक कि यह लेख लेख न रहा बल्कि दो भागों की पुस्तक बन गई जिसका एक भाग प्रस्तुत किया जा रहा है। इसके अध्ययन से अनुमान लगाया जा सकता है कि हिन्दुस्तान में मुसलमान शासकों के काल में केवल युद्ध ही नहीं होते रहे अपितु उनके यहाँ सहिष्णुता, उदारता, बंधुत्व एवं पारस्परिक मित्रता भी स्नेह की कथाएँ, सान्त्वना, धीरज तथा अनुकंपा के किस्से लिपिबद्ध किये जाएँ तो उसी युग का इतिहास कष्टदायी होने के बजाए दिल को सान्त्वना देने वाला बन जाए। इतिहासकार की लेखनी भी विचित्र होती है। यह अग्नि ज्वाला भी है और ओस भी, काँटा है और फूल भी, विष भी है और विषहर भी, स्नेह व चुमकार भी है तो घृणा एवं वैमनस्य की तलवारों की झंकार भी, यह कलेजे को छेद करके असाध्य नासूर भी उत्पन्न कर सकता है तो दिलों को हर्ष व उल्लास भी प्रदान कर सकता है। इस लेख में ओस, फूल, स्नेह और हर्ष व आनन्द की कथाएँ सुनानी हैं।
























































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