यह पुस्तक भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और समाज सेवा के महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहराई से प्रकाश डालती है। इसमें ग्रामीण परिवेश, ग्रामीण भारत में समग्र विकास की अवधारणा, और ग्रामीण जीवन को बेहतर बनाने के लिए सुधारात्मक उपायों का विश्लेषण किया गया है। लेखक ने भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली सेवाओं में सुधार, ग्रामीण गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण, आत्म-सहायता समूहों और पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका पर भी विस्तृत विचार किया है। इसके अलावा, पुस्तक में ग्रामीण विकास के लिए विभिन्न सामाजिक फंड्स और संस्थाओं की भूमिका का विश्लेषण किया गया है. और यह बताया गया है कि किस प्रकार ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा, और सामाजिक सेवाओं को सुधारने के लिए संगठनों और योजनाओं की आवश्यकता है। पुस्तक उन लोगों के लिए उपयोगी है जो ग्रामीण विकास और समाज सेवा के क्षेत्र में कार्य कर रहे है या इस क्षेत्र में अध्ययन करना चाहते हैं।
किरण भारद्वाज एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षिका और लेखिका है, जो ग्रामीण विकास, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और समाज सेवा के क्षेत्र में कई दशकों से सक्रिय योगदान दे रही है। उन्होंने ग्रामीण भारत की सामाजिक और आर्थिक संरचना को समझने और उसमें सकारात्मक परिवर्तन लाने के उद्देश्य से अनेक जन-जागरूकता अभियानों, स्वयंसेवी योजनाओं और शोध कार्यों का संचालन किया है। उनकी लेखनी में जमीनी अनुभव, सामाजिक सरोकार और मानवीय संवेदनाएँ गहराई से परिलक्षित होती है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त समस्याओं जैसे शिक्षा की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता, बाल विवाह, और बेरोजगारी जैसे विषयों को अपनी रचनाओं में प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।
इस पुस्तक में भारतीय ग्रामीण परिवेश और उसके विकास के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। ग्रामीण भारत की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संरचना को समझना आवश्यक है, क्योंकि यह देश की कुल जनसंख्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ग्रामीण पर्यावरण में जीवन की गुणवत्ता, संसाधनों का प्रबंधन और सामुदायिक विकास के लिए आवश्यकताएँ शामिल हैं। समग्र समन्वित विकास की अवधारणा ग्रामीण क्षेत्रों में सभी स्तरों पर विकास सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह न केवल आर्थिक वृद्धि बल्कि सामाजिक समावेशिता को भी बढ़ावा देती है। बिजली सेवाओं में सुधार जैसे मुद्दे ग्रामीण विकास के लिए प्राथमिकता हैं, क्योंकि ये बुनियादी सुविधाएँ लोगों के जीवन स्तर को सीधे प्रभावित करती हैं।
यह आवश्यक है कि हम इन परिवर्तनों को समझें और उन्हें सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए रणनीतियाँ विकसित करें। स्व-सहायता समूहों का गठन भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो महिलाओं और गरीबों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद करता है। इसके अलावा, टीकाकरण कवरेज में सुधार जैसे स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे भी ग्रामीण विकास का अभिन्न हिस्सा हैं। पंचायती राज विभाग का योगदान भी ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण है है और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देता है। इस पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को इन सभी पहलुओं की गहन जानकारी प्रदान करना है ताकि वे भारतीय ग्रामीण विकास की चुनौतियों और अवसरों को समझ सकें और इस दिशा में सकारात्मक योगदान कर सकें।
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