भारत एक धर्मपरायण देश है जहां अनेक धर्म हैं, जिनकी मान्यताएं मानव जीवन को अत्यंत गहरे तक प्रभावित करती हैं।
भारत की राजनीति धर्म से प्रभावित होते हुए भी धर्मनिरपेक्षता के सापेक्ष सिद्धांतों से आप्लावित है। यद्यपि धर्म मनुष्य के बहुत निकट है, परंतु धर्म के स्वरूप और धर्मनिरपेक्षता के विषय में विद्वानों तथा जन साधारण की विभिन्न धारणाएं एवं मत प्रचलित हैं। यहां की राजनीतिक स्थितियां धर्मनिरपेक्षता के बहुत निकट हैं। ऐसा नहीं है कि धर्मों ने मानव जीवन को जिन नैतिक संदर्भों से संबद्ध किया है उन नैतिक संदर्भों से यहां की राजनीति प्रभावित न हुई हो। बावजूद इसके विभिन्न धर्मों की पृष्ठभूमि में सभी धर्मों को समान रूपेण आदर देने के दृष्टिकोण से राजनीति सीधे तौर पर धार्मिक आयामों में हस्तक्षेप नहीं करती। यही कारण है कि भारत में धर्मनिरपेक्षता को एक महत्वपूर्ण सिद्धांत के रूप में स्वीकार किया गया है।
अतः यह कहा जा सकता है कि धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत ईश्वर और धर्म के प्रति तटस्थ रहते हुए भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानव हित एवं समाज हित की ओर अग्रसर होने को प्रेरित करता है तथा पंथों (धर्मों) की पृथकता को समाप्त करने का प्रयास भी करता है, जिससे आपसी द्वेष, वैमनस्य को समाप्त कर मानव मूल्यों की रक्षा हो सके।
सभी धर्मों के प्रति निःस्वार्थ, उदार दृष्टिकोण, सद्भावना एवं सहभागिता पर आधारित भावना ही सही मायने में धर्मनिरपेक्षता है, जो कि आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
भारत में अनेक धर्म एवं संप्रदाय हैं जिनकी अपनी कट्टर एवं उदार भावनाएं तथा धारणाएं हैं।
धर्म मनुष्य के बहुत निकट है, परंतु धर्म के स्वरूप एवं धर्मनिरपेक्षता के विषय में विद्वानों, राजनीतिज्ञों एवं जन सामान्य के भिन्न-भिन्न मत एवं विचार हैं। धर्म की तरह ही राजनीति भी मनुष्य के बहुत निकट है। विभिन्न राजनीतिक दलों, संप्रदायों तथा व्यक्तियों ने समय-समय पर धर्मनिरपेक्षता का स्वार्थवश या पद लोलुपता से प्रेरित होकर सदुपयोग अथवा दुरुपयोग किया है।
भारतीय परंपरा में राजनीति को भी धर्म का एक हिस्सा माना गया है। धर्म का पालन करते हुए ही समाज में व्यवस्था और शांति आ सकती है। समाज में धर्माचरण को प्रेरणा, प्रोत्साहन और संरक्षण देने वाली विधि व्यवस्था को राजनीति माना गया है।
इनके माध्यम से मैंने धर्म एवं धर्मनिरपेक्षता के विषय में विभिन्न विचारों को राजनीतिक दलों एवं संप्रदायों के विचारों एवं धारणाओं का प्रतिपादन विश्लेषण एवं समीक्षा कर, धर्म एवं धर्मनिरपेक्षता के वास्तविक रूप को समझते हुए भारत में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता एवं उपयोगिता तथा उसके महत्व को स्पष्ट करने का प्रयास किया है।
इस प्रयास में अमूल्य सुझावों, मार्गदर्शन एवं प्रेरणा प्रदान करने के लिए मैं अपने गुरुजनों, सुधीजनों, मित्रों एवं परिवारजनों को हृदय से कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।
"
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist