Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.

चुनी हुई कविताएँ- Selected Poems: Works by the Author Who Received the Sahitya Akademi's First Children's Literature Award

$16.20
$24
10% + 25% off
Includes any tariffs and taxes
Specifications
Publisher: LITTLE BIRD PUBLICATIONS, DELHI
Author Prakash Manu
Language: Hindi
Pages: 168
Cover: PAPERBACK
8.5x5.5 inch
Weight 200 gm
Edition: 2024
ISBN: 9789393091925
HBZ581
Delivery and Return Policies
Usually ships in 3 days
Returns and Exchanges accepted within 7 days
Free Delivery
Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.
Book Description

भूमिका

'मैं और मेरी कविता : अर्ध सदी का सफर' शीर्षक से अपने एक आगामी संग्रह की भूमिका में लिखित 'कुछ सतरें मेरी भी' की ये पंक्तियाँ प्रकाश मनु के मन को, उनके स्वभाव को और 'व्यसन' को, जो कि साहित्य-मात्र का और कविता का व्यसन है-बखूबी परिभाषित कर देती हैं: "कविता का और मेरा पुराना साथ है, कभी-कभी तो लगता है, जन्म-जन्मांतरों का।" एक भावाविष्ट भारतीय के मुँह से जन्म-जन्मांतर का मुहावरा बड़ी सहजता से निकल सकता है-भले ही विज्ञान के छात्र और वैज्ञानिक दृष्टि के हामी प्रकाश मनु इसे बौद्धिक स्तर पर स्वीकार नहीं करते हों। शायद ! आखिर है तो यह एक दिलासा ही, जो अकाट्य मृत्यु की आशंका से भयभीत मनुष्य को, धर्म की ओर से दिए जाने वाले 'सनातन प्रश्नों' का एक संदिग्ध मगर आस्था पोषित उत्तर है, ऐसा उत्तर, जो विज्ञान, तर्क, भौतिक यथार्थ कभी नहीं दे पाता। पुनर्जन्म !

लेकिन मनुष्य रचित सृजन में पुनर्जन्म और जन्म-जन्मांतर बड़े रहस्यमय ढंग से चरितार्थ होता रहता है। आम तौर पर यह जानते हुए भी, खास तौर पर इस नुक्ते पर मेरा ध्यान तब गया, जब मैंने कृष्णा सोबती की जीवनी 'दूसरा जीवन' लिखते हुए यह पढ़ा, "किसी भी लेखक की नई जिंदगी उसके पूरे हो जाने के बाद फिर शुरू होती है।"

अवांतर होते हुए भी इस प्रसंग पर कुछ वाक्य लिखना जरूरी लग रहा है। एक तो यह एक अजीब सा ही दुःखांत-सुखांतक है: जीते-जी होने वाला मूल्यांकन कुछ इतर कारणों से दूषित-अतिप्रभावित हुआ हो, यह संभव है। निष्काम वस्तुपरक मूल्यांकन 'पूरे' हो जाने के बाद ही, मरणोपरांत ही होता है। अंतर्ध्वनि यह भी है- "जियत बाप से दंगम दंगा, मरत हाड़ पहुँचाए गंगा।" कबीर के जमाने से ही, कुछ उसी तर्ज पर, कि "घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध।" हिंदी में खासकर, लेकिन तमाम दुनिया की भाषाओं में यह होता रहा है। छोटे या बडे, अनेक लेखक अपने जन्म में अनाम या अल्पनाम खो गए। मरणोपरांत उनमें से कुछ पुनः जी उठे और विराट हो गए।

उदाहरणों की जरूरत शायद नहीं है। लेकिन सबसे अधिक कुतूहल कभी-कभी इस पर जरूर होता है मनुष्य स्वयं म्रियमाण है, मर्त्य है। लेकिन उसके रचे हुए में कविता-कला-साहित्य का कितना कुछ है, जो बार-बार जी उठता है-जी उठ सकता है। जन्म-जन्मांतर अगर है तो कवि का नहीं, कविता या अन्य ललित सर्जनाओं का है-कवि उनके निमित्त याद कर लिया जाता है, सो उसका 'दूसरा जीवन' शुरू हो जाता है। कविता-कला आदि मानो 'प्राकृतिक जगत' की जीवंत वस्तुओं जैसी हैं वनस्पतियों की तरह, कीट-पतंग-पशु-पक्षी-मनुष्यों की तरह, जो ऐन मूल रूप में नहीं, बल्कि परिवर्तित, परिशोधित वंशानुवंश जनमते-मरते बीजों से, भिन्न-भिन्न अवतारों में जन्मांतरित होती रहती हैं।

इसी तरह कविता (या कोई अन्य कला) अपने मूल शरीर में रहते हुए भी, हर युग में और हर ग्रहणशील मन-मस्तिष्क में कुछ नए ही 'रूप' (अर्थ, संकेत, आशय) में जन्म लेती रहती है। कोई आश्चर्य नहीं कि अपने गर्वोन्नत क्षणों में द्रष्टा ऋषि कहलाने वाला कवि कभी-कभी खुद को ईश्वर से होड़ करता हुआ महसूस करने लगता है!

मेरे अभिन्न मित्र प्रकाश मनु पर्याप्त विख्यात हैं। लेकिन बाल साहित्य, कहानी, उपन्यास के विस्तीर्ण जीवन वृत्तों का जैसा जो काम उन्होंने किया है; और कुछ अनोखे रचनाकारों को जिस समग्रता से प्रस्तुत किया है, उस काम का ऐतिहासिक महत्त्व है : भविष्य का इतिहास उसकी गुरुता और महत्त्व को उत्तरोतर पहचानेगा, यह विश्वास शायद अकारण नहीं है। अतः यहाँ आरंभिक विषयांतर को बृहत्तर संदर्भों में ही रखा माना जाए: इस जीवन के अलावा दूसरे जीवन (जीवनों) के लिए सदाशय शुभाशंसा की तरह।

प्रकाश मनु की सदाशयता पारदर्शी है। कहें कि पारदर्शिता और सदाशयता उनके मन, वचन और कर्म-तीनों की पहचान है। आप उन्हें बोलते हुए सुनें या उनका लिखा हुआ, पढ़ते हुए गुनें, उनकी यह पहचान अनजाने ही अपनी छाप छोड़ जाती है। 'चुनी हुई कविताएँ' की उक्त भूमिका आपको उनके व्यक्तिगत जीवन के उतार-चढ़ाव के अलावा उनके कवि-रूप की, काव्यगत अभिरुचियों के विस्तृत आकाश की भी सारभूत झलक दे देंगी। प्रकाश मनु ने इनमें से कई बातें और जगहों पर भी कही हैं, लेकिन यहाँ अधिक सघनता और संपूर्णता के साथ और 'संक्षेप' में समझा जा सकता है।

यहाँ 'संक्षेप' शब्द कुछ गुदगुदी के साथ आ रहा है। प्रकाश मनु से कोई भी बात संक्षेप में कैसे हो सकती है, यह मैं नहीं जान पाया। क्योंकि जो स्वभाव उनकी कविता का है, कवि का व्यक्तिशः भी वही स्वभाव है। देवेंद्र कुमार के साथ पहला कविता संग्रह 'कविता और कविता के बीच' निकालते समय उन्होंने सच कहा है: "मेरी कविताएँ ज्यादा बोलती और उबलती हुई कविताएँ" थीं-हैं। बोलते हुए प्रकाश मनु एक तीखी धार पर चलते हुए जान पड़ते हैं। श्रोता कभी-कभी उनके उस भावाविष्ट और लगभग सैंधते हुए गले से, थरथराते निकलने वाले शब्द-प्रवाह से घबरा सा जाता है। मानो उस खिंची हुई लंबी डोर से वे कभी भी लुढ़क सकते हैं और श्रोता को भी अपने साथ बहा या ढुलकाकर ले जा सकते हैं। प्रकाश मनु का बोलना और लिखना उनके समूचे अस्तित्व के भीतर से निकलता है, पोर-पोर से, रग-रग से। भुवनेश्वर और निराला को साक्षात् सामने बर्दाश्त करना, बताया जाता है, काफी कठिन होता था। मैंने अपने कुछ मित्रों से सुना है कि वे भावाविष्ट प्रकाश मनु को अधिक देर नहीं सह पाते थे। यहाँ तुलना या आलोचना नहीं, केवल एक खास खूबी का बयान किया जा रहा है।

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question
By continuing, I agree to the Terms of Use and Privacy Policy
Book Categories