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चयनित कहानियाँ: सुमन शाह- Selected Stories: Suman Shah

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Storytelling Category: 8
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Specifications
Publisher: Hindi Sahitya Academy, Gujarat
Author Edited By Mohan Parmar
Language: Hindi
Pages: 208
Cover: PAPERBACK
8.5x5.5 inch
Weight 230 gm
Edition: 2023
ISBN: 9789393777980
HBX924
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Book Description

संपादकीय

गुजराती कहानी के इतिहास को देखते हुए इस बात से आश्वस्त हुआ जा सकता है कि प्रारंभ से लेकर आजतक इसका निरंतर विकास होता रहा है। सन् १९१८ मे पहली कहानी 'गोवालणी' लिखी गयी। इसके बाद आधुनिक कहानी का उद्भव हुआ, जिसका समय १९५५ है। १९१८ से लेकर १९५५ तक कहानी को उसके शिखर तक पहुँचाने में जिन कहानीकारों ने योगदान दिया है, उन्हें भुलाया नहीं जा सकता। प्रारंभिक काल में धनसुखलाल महेता और कन्हैयालाल मुंशी जैसे लेखक कहानी के मूल से भली-भाँति परिचित हो चूके थे। इनके द्वारा लिखी गई कहानियों में भले ही कुछ अपूर्णता हो पर कहानी के पथनिर्देशक के रूप में ये सदा स्मरणीय रहेंगे। धूमकेतु के द्वारा गुजराती कहानी की धारा निरंतर प्रवाहित होती रही - इनका कहानीं में जो योगदान है वह अनन्य है। रा.वि. पाठक अपनी विशिष्ट शैली से कहानी की इस धारा को बनाए रखा। इसके बाद गुजराती कहानी की दशा और दिशा को जीवंत रखने में तीन कहानीकारों का योगदान महत्त्वपूर्ण है। वे हैं सुंदरम्, पन्नालाल पटेल और चुनिलाल मडिया। इस समय के ये तीनों महत्त्वपूर्ण कहानीकार हैं ऐसा कहने में जरा भी अतिशयोक्ति नहीं है। जबकि इन तीनों कहानीकारों की शैली एक दूसरे से भिन्न है। सुंदरम् ने पन्नालाल और मडिया से मात्रा में भले ही कम कहानियाँ लिखी हैं पर वे कभी कहानी के स्थापित लक्षणों तो कभी उसकी सीमाओ को तोड़ते हुए अपनी सर्जनात्मक शक्ति का परिचय देते हैं। धूमकेतु के बाद संख्या की दृष्टि से अधिक कहानियाँ लिखने का श्रेय यदि किसीको दिया जाए तो वे हैं पन्नालाल पटेल और चुनिलाल मडिया । इन दीनों कहानीकारों में कहानी का निरंतर प्रवाह इतना तीव्र और यथोचित है कि हमें इनकी सर्जनात्मक शक्ति पर आश्चर्य होता है साथ ही मान भी होता है।

धूमकेतु, रा. वि. पाठक, सुंदरम्, पन्नालाल पटेल, चुनिलाल मडिया के बाद परंपरागत कहानी और आधुनिक कहानी के संधिकाल में दो कहानीकार जयंति दलाल और जयंत खत्री उल्लेखनीय हैं। हिन्दी की आधुनिक कहानी (नई कहानी) और गुजराती की आधुनिक कहानी (नई कहानी) लगभग एक साथ आयी हैं। प्रसिद्ध समीक्षक नामवर सिंह ने निर्मल वर्मा की 'परिंदे' कहानी को हिन्दी की पहली आधुनिक कहानी (नई कहानी) माना है। लगभग इसी कालक्रम में गुजराती में सुरेश जोषी की कहानियाँ आयीं। सुरेश जोषी से गुजराती में आधुनिक (नई कहानी) कहानी का प्रारंभ हुआ है। ऐसा होने पर भी गुजराती में आधुनिकता का बीजारोपण इन दो कहानीकारों की कहानियों में हुआ है। कपोलकल्पित तत्त्व, प्रयोगात्मक तथा घटनाविहिनता सुरेश जोषी की ही देन है। यह कहने पर भी यह कहना पड़ेगा कि परंपरागत कहानी में मात्र विषयवस्तु की महिमा थी इसके स्थान पर चरित्रों, रचनाशैलियों में बदलाव और परिवेश की महिमा इन दो कहानिकारों के द्वारा हुई। परंपरागत कहानी की विशेषता विषयवस्तु की रैखिक मंडली थी। इन दोनों कहानीकारों ने कहानी के लिए विभिन्न विषयवस्तु को स्वीकारा, पर कहानी की मंडली में परंपरागत कहानीकारों से हरप्रकार से अलग हैं। यह अलगाव आधुनिक कहानी की दिशा की ओर जाने का निर्देश करता है। यही माना जाता है।

परंपरागत कहानी और उसके विकास का समय ३७ वर्ष तक माना गया है जबकि आधुनिक कहानी का समय मात्र २५ वर्ष का है। तो भी एक बात तो डंके की चोट पर कहनी पड़ेगी कि इस स्थित्यांतर के कहानीकारों ने गुजराती कहानी को सूक्ष्म और समर्थवान बनाया है। इस दिशामें इनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। सुरेश जोषी द्वारा इस दिशा में की गयी पहल चाहे कुछ धीमी पड़ गयी पर कहानी की इस धारा को नये-नये आयामों और लक्ष्यों के साथ नई दिशा की ओर ले जाता ही है। सुरेश जोषी द्वारा किए गए पुरुषार्थ को कभी भुलाया नहीं जा सकता। साहित्य का इतिहास लेखकों के सामर्थ्य से बनता है। सुरेश जोषी ऐसे ही सामर्थ्यवान लेखक हैं। गुजराती कहानी का इतिहास आज या कल विद्वानों द्वारा जब भी लिखा जाएगा, सुरेश जोषी द्वारा गुजराती कहानी में दिए गए योगदान को हमेशा याद किया जाएगा ।

आधुनिक कहानी में सुरेश जोषी के बाद प्रथम नाम यदि लिया जाए तो वे हैं- चन्द्रकान्त बक्षी। कहानी में घटना के महत्त्व को स्वीकार करते हुए उन्होंने सुरेश जोषी से अलग रास्ता अपनाते हुए आधुनिक कहानी का विकास किया है। मधुराय और किशोर जादव भी आधुनिक कहानी के महत्त्वपूर्ण कहानीकार हैं। मधु राय यथार्थ का कला में रूपान्तर करने के लिए वर्णित परिस्थितियों और तथ्यों का प्रयोग करते हैं। और इसके लिए ये नई-नई रचना पद्धति से कहानी की विविध आकृतियाँ प्रस्तुत करते रहते हैं। उनकी 'हरियाजूथ' या 'हार्मानिका' जैसी विशिष्ट शैली की कहानियों के प्रति आज के पाठकों को भी जबरदस्त आकर्षण हैं। किशोर जादव आधुनिक कहानी में अनेक कारणों से अलग हैं। उनकी महत्त्वपूर्ण विशिष्टता बताना हो तो कहा जा सकता है कि समग्र रचना में प्रगट होता एक विस्मयकारक तत्त्व का उनकी कहानियों पर आधिपत्य रहता है। इन विस्मयकारी तत्त्वों का संकेत हमें कहानी संरचना के आध्याहार घटकों में मिलता है। ऐसे घटक तत्त्वों को खोजने की प्रक्रिया ही किशोर जादव की कहानियों को आस्वाद्य बनाती है। राधेश्याम शर्मा यथार्थ को सीधे-सीधे रहस्यमय बनाते हैं। स्वप्निल भूमिका या उसकी अन्तसचेतना की सूक्ष्मता कहानी में हो तो भी पाठक को अटकलें कभी सच्ची लगें ऐसी संभावना संभव है। परन्तु राधेश्याम शर्मा की कहानियों में ऐसी अटकलों के लिए अवकाश नहीं है। यथार्थ के स्थूल अंशों को निचोड़ कर ये कहानी को सघन बनाते हैं।

आधुनिक कहानीकारों में श्री रघुवीर चौधरी, ज्योतिष जानी, भगवतीकुमार शर्मा, सरोज पाठक, विभूत शाह, महेश दवे, सुमन शाह, चिनु मोदी, घनश्याम देसाई, रावजी पटेल, प्रबोध परीख, इवाडेन, विजयशास्त्री महत्त्वपूर्ण कहानीकार हैं। सुरेश जोषी से विजय शास्त्री तक के कहानीकारों की कहानियाँ कलात्मक सिद्धियों की ओर की हैं। इन सभी कहानीकारों की प्रयोगात्मक प्रवृत्ति जगजाहिर है। रघुवीर चौधरी, भगवतीकुमार शर्मा या सरोज पाठक आधुनिक कहानी के समय में भी अपने ढंग से कहानी लिखनेवाले कहानीकार हैं। रघुवीर चौधरी की कहानियों में यथार्थ निरूपण में चरित्रों की दुविधात्मक स्थिति, संवादो में तार्किकता ध्यानाकर्षक हैं। १९८० के बाद की कहानी ने जो नया रूप धारण किया उसका बीज रघुवीर चौधरी की कहानियों में दिखाई देता है। सुमन शाह प्रारंभ में 'अवरशुंफेलुब' कहानीसंग्रह द्वारा आधुनिक कहानियो में अपना प्रदान दें चूके हैं। पर दूसरे कहानीसंग्रह 'जेन्ती-हंसा सिम्फनी' द्वारा अनुआधुनिक कहानी के साथ आपने नाता जोड़ा है। इनको दोनों धाराओं में सफलता मिली है। इसका कारण है कहानी-प्रीति ।

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