| Specifications |
| Publisher: Bhasha Bhawan, Mathura | |
| Author Shatrughanlal Shukla | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 128 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8.5x5.5 Inch | |
| Weight 140 gm | |
| Edition: 2024 | |
| ISBN: 8188522791 | |
| HBS759 |
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मन्त्रों की
शक्ति अदम्ये है। उनका प्रभाव असंदिग्ध है। भारतीय संस्कृति में मन्त्रों को चिर-प्राचीन
काल, प्रागैतिहासिक काल से मान्यता प्राप्त है। यहाँ जीवन के प्रत्येक क्षेत्र, कार्य,
प्रर्याजन और आयाम को मन्त्रों से मण्डित किया गया है। मानव जीवन की सभी आवश्यकताओं
(दैहिक, दैविक, भौतिक) को पूर्ति में मन्त्रों को समर्थ सहायक स्वीकार किया गया है।
'मन्त्र' क्या है- एक विशिष्ट ध्वनि अथवा ध्वनि-समूह, जो किसी वर्ण अथवा वर्ण समूह
के उच्चारण की प्रतिक्रिया के रूप में उत्पन्न होती हैं। ध्वनि का प्रभाव सर्व स्वीकृत
है। विभिन्न ध्वनियों की विभिन्न तरंगें (स्वर-लहरी) चराचर को प्रभावित करती हैं। हम
अपने दैनिक जीवन में वभिन्न प्रकार की ध्वनियाँ सुनते रहते हैं। उनकी प्रभाव-प्रतिक्रिया
हमें तत्काल सम्बोधित कर देती है। निरर्थक अथवा सार्थक शब्द की ध्वनि पर हम विशेष ध्यान
देते हैं, परन्तु यह हमारी एकांगी चेतना है। वस्तुतः हम जाने-अनजाने, चाहे अनचाहे सभी
प्रकार की ध्वनियों से प्रभावित होते रहते हैं। उदाहरण के रूप में हम वाद्य-ध्वनियों
को देखें ढोलक, नगाड़ा, सितार, मृदंग, मँजीरा, बाँसुरी और तबला-हारमोनियम सबकी ध्वनि
एक अलग प्रभाव (तुष्टि अथवा विरक्ति) की सम्पुष्टि करती है। पारस्परिक सम्भाषण में
भी हम किसी की मधुर वाणी से अतिशय आनन्दित होते हैं और किसी का घोर कर्कश स्वर मन में
उसके प्रति वितृष्णा उत्पन्न कर देता है। मन्त्रों की ध्वनि इससे भी अधिक प्रभावशाली,
सूक्ष्मस्पर्शी, सम्वेदनकारी और वातावरण, मानसिकता में परिवर्त्तनशील होती है। किसी
देवता की लम्बी-चौड़ी स्तुति, जो प्रभाव नहीं उत्पन्न कर पाती, छोटा-सा मन्त्र उसे
तत्काल कर दिखाता है, कारण कि उसके ध्वनि प्रभाव में एक विशिष्टता निहित होती है। आदि-महर्षियों
ने मन्त्रों की रचना करने के पूर्व उनके ध्वनि प्रभाव पर वर्षों तक अनुसंधान और शोध
किया गया था। अनेकों बार के परीक्षणों में आश्वस्त होकर ही उन्होंने भिन्न-भिन्न उद्देश्यों
की पूर्ति के लिए, विविध मन्त्रों का सृजन किया, और लोकहितार्थ उनकी प्रयोग-विधि बतायी
।
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