इतिहास और भूगोल/बहुत रोए हैं/ कितनी बार/चुल्लूभर पानी में/मुँह धोए हैं?/ डर कर सहम जाने/बिना तैयारी के साहस किए जाने / और फिर पीछे हट जाने वाली/कौमों का/इतिहास नहीं होता है।"
आजाद हुए देश के भविष्य का निर्माण तेजी से हो रहा था। देश प्रजातन्त्र की राह चल रहा था लेकिन धीरे-धीरे प्रजा हाशिए पर जा रही थी और तन्त्र उसके सीने पर सवार होने की दिशा में बढ़ रहा था। राष्ट्रीय लूट का पहला खेल के शवदेव मालवीय, कोयला खदान मंत्री का आठ हजार रुपये का था। पटेल ने चाहा था कड़ी कार्यवाही हो तो उत्तर मिला था पटेल ! आठ हजार रुपया क्या होता है? यह प्रजातंत्र में उस समय हो रहा था जब राष्ट्र इस दृष्टि से खड़ा हो रहा था। वर्तमान की अनिर्णय की स्थिति भारत के भविष्य का निर्माण कर रही थी। अब एक ऐसा दैत्य जो के शव देव की कोख से जनमा था उसके सम्मुख खड़ा हो सकना प्रजातन्त्र के बस का नहीं रह गया है। 'शेष समर का अग्निपथ' कविता संग्रह की कवितायें समकालीन भारत की दुखती रगो के पोर-पोर की असहनीय पीड़ा का मुखर दस्तावेज हैं।
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