मैं उन विरले कार्यकर्ताओं में से हूँ, जिसे कुशाभाऊ ठाकरेजी के साथ संगठनात्मक दायित्वों के निर्वहन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। रीवा 1992 से राजगढ़, शाजापुर, रीवा में संगठन मंत्री पद से लेकर मध्य प्रदेश में सह-संगठन मंत्री और हरियाणा में संगठन महामंत्री तथा वर्तमान में अनुसूचित जनजाति और सहकारिता के नाते भा.ज.पा. में यात्रा ठाकरेजी के दिखाए मार्ग पर चलकर पूरी हुई है। उनके द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के कारण मुझे कार्य करने में कहीं भी कठिनाई और समस्या नहीं आई। मेरी स्मृति में उनसे जुड़े कई प्रसंग हैं और आज भी ठाकरेजी के सान्निध्य में कार्य करनेवाले मुझ जैसे कई कार्यकर्ता जब साथ बैठते हैं तो ठाकरेजी अनायास ही स्मृति में काँध जाते हैं। कुछ माह पहले मेरे साथ दुर्घटना हुई, जिसकी वजह से मुझे भाग-दौड़ करने में परेशानी का अनुभव हुआ। कार्यकर्ता बंधु मुझसे मिलने आते, चर्चाएँ होतीं और यदा-कदा ठाकरेजी का नाम निकल आता। तब मैंने सोचा कि क्यों न ठाकरेजी के जीवन-प्रसंगों पर उनसे जुड़े या उनके साथ संगठन का कार्य कर चुके ऐसे कार्यकर्ताओं से कुछ लिखवाया जाए जो आनेवाली पीढ़ी को राजनीति का सही मार्ग दिखला सके। बस मैंने तभी तय कर लिया कि स्वास्थ्य लाभ के साथ ही यह कार्य भी अपने मार्गदर्शन में पूर्ण करवाऊँगा।
वैसे तो ठाकरेजी पर अन्य कार्यकर्ता बंधुओं/साथियों ने लिखा है, किंतु उनके जीवन से जुड़े प्रसंग ही इतने हैं कि उनके लिए कई पुस्तकें भी छोटी पड़ जाएँ। इसी सोच के साथ शुरू हुई यह यात्रा आज आप सभी के समक्ष है। इस कार्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और दर्जन भर से अधिक पुस्तकें लिख चुके सिद्धार्थ शंकर गौतम का मुझे पूर्ण समर्थन एवं सहयोग प्राप्त हुआ है। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा जहाँ 15 वर्ष पूर्व मैंने कुशाभाऊ ठाकरे व्याख्यानमाला की शुरुआत करवाई तो वहाँ के समस्त बंधुओं ने भी इस कार्य को अपनी स्वीकृति देते हुए सहयोग किया। वहाँ के कार्यकर्ताओं ने व्याख्यानमाला के छायाचित्र उपलब्ध करवाए। विश्वविद्यालय के कुलपति, प्राध्यापक, कर्मचारियों ने भी व्याख्यानमाला के संदर्भ में लेख लिखे हैं।
मैं उन सभी बंधुओं/कार्यकर्ताओं का हृदय से धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने इस पुस्तक को पूर्णता प्रदान की। यह पुस्तक आनेवाली पीढ़ियों को जनहितैषी राजनीति का ककहरा सिखाएगी, ऐसा मेरा मत है। मुझे आशा है कि महान् युगद्रष्टा, संघ प्रचारक, भा.ज.पा. के पितृपुरुष स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरेजी के जीवन मूल्यों, सादगी, स्नेहमयी व्यवहार, संघर्षों और देश हेतु किए गए त्याग को रेखांकित करने के लिए यह पुस्तक 'श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे' प्रकाशित की जा रही है, जो राजनीतिक कार्यकर्ताओं, पाठकों के लिए प्रेरणादायी सिद्ध होगी।
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