अनेकानेक सनातनी धर्मग्रन्थों एवं सन्तों के मत को अपने में सैंजोये हुए यह श्रीराम-कथा निश्चय ही अपने-आप में भगवान् श्रीराम का चरितरूपी महासिन्धु है, जिसे पार पाना लौकिक जगत् के प्राणिमात्र के लिये दुष्कर ही नहीं, असम्भव है। श्रीरामचरितमानस पर अब तक अनेकानेक टीकाएँ, समालोचनाएँ एवं शंका- समाधानात्मक ग्रन्थ प्रकाशित हो गये हैं। अतः मैं यह नहीं कह सकता कि इस ग्रन्थ में सब कुछ नया है, फिर भी जो शंकाएँ सामने आयीं, उनका समाधान करने का अथक प्रयास किया है, मेरा यह लघुतम प्रयास है। जन-सामान्य द्वारा उठायी जा सकने वाली छोटी से छोटी शंका के भी शास्त्रीय प्रामाणिक निराकरण इस श्रीराम-कथा से आप को मिल सकेंगे।
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