देश और इतिहास की सीमाएँ पार करके भारत का अगर कोई चरित्र सर्वप्रिय, सर्वश्रद्धेय और सर्वानुकरणीय रहा है तो वह हैं श्री राम।
विश्व के सर्वाधिक देशों, उनके साहित्य एवं जीवन में राम-कथा ही प्रमुख है। आर्य संस्कृति की जैसी उज्ज्वल छाप 'रामायण' ने छोड़ी है, वैसी किसी भी अन्य लोक-साहित्य ने नहीं।
वाल्मीकि के राम लोकनायक थे, तुलसी के राम ईश्वर का अवतार। इस पुस्तक में राम के विविध रूपों का समन्वय है-'जन-जन के राम।'
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