लेखक परिचय
इं० महीपाल सिंह, निदेशक केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण, ऊर्जा मंत्रालय ने आगरा विश्वविद्यालय में विज्ञान में स्नातक, अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में वी. एम. मी. इंजीनीयरिंग (इलेक्ट्रिकल) में स्नातक तथा इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय में एम. बी. ए. (आपरेशन रिजर्थ) में स्नातकोत्तर की डिग्रियां प्राप्त की है। श्री सिंह को पिछले 30 वर्षों में जल विद्युत ऊर्जा विकामः जल विद्युत ऊर्जा उत्पादन लक्ष्य निर्धारण, जल विद्युत गृहों में संस्थापित इकाईयों के अनुरक्षण का नियोजन; जल विद्युत गृहों के प्रचालन प्रबोधन, निर्माण प्रयोधन, तकनीकी आर्थिक मूल्यांकन एवं जल विद्युन इकाईयों के संस्थापन का अनुभव प्राप्न है। थी सिंह ने जल विद्युत ऊर्जा के विकाम पर अंग्रेजी एवं हिन्दी में 67 लेख लिखे हैं, जो विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें से कई पर उन्हें पुरस्कार पाप्त हुए हैं।
दो शब्द
विद्युत उत्पादन करने के अनेक साधन हैं। परम्परागत विद्युत स्रोतों में कोयला, लिगनाइट, पेट्रोलियम तेल, प्राकृतिक गैस, यूरेनियम आदि आते हैं। पृथ्वी पर ये स्रोत नवीकरणीय नहीं हैं. वहुत अधिक लम्बे समय में बनकर एकत्र होते हैं तथा सीमित मात्रा में उपलब्ध है। समाप्त हो जाने की स्थिति में इनको विस्थापित नहीं किया जा सकता है। इनके उपयोग से पर्यावरणीय समस्याएं भी बढ़ी हैं। वातावरण में हानिकारक गैसों के घनत्व के बढ़ जाने से ओजोन की परत घटने के कारण ग्लोवल वार्मिंग जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। इसलिए आज विश्व में ऊर्जा के अपारम्परिक नवीकरणीय माधनों के उपयोग पर जोर दिया जा रहा है।
ऊर्जा के अपारम्परिक एवं नवीकरणीय वैकल्पिक संसाधनों में जलीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, महासागरीय ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, वायोमास ऊर्जा, काष्ठीय ऊर्जा तथा सौर ऊर्जा आदि आते हैं। पृथ्वी पर सभी प्रकार की ऊर्जाओं का जनक सूर्य ही है। सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को विभिन्न प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है। सूर्य लगातार लगभग 1.94 कैलोरी/मिनट वर्ग सेन्टीमीटर अथवा 1358 बाट/वर्ग मीटर के विद्युत चुम्बकीय विकिरण उत्सर्जित करता रहता है। ऊर्जा की यह मात्रा पृथ्वी तक पहुंचते-पहुंचते वहुत कम हो जाती हैं, जिसे औसत रूप में 6-8 किलोवाट/वर्ग मीटर/ दिन माना जा सकता है। इसलिए तीवता से बढ़ती हुई विद्युत की मांग की आपूर्ति के लिए मीर विद्युत के दोहन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रस्तुत पुस्तक 'सौर विद्युत प्रौद्योगिकी में सूर्य एवं मौर ऊर्जा, मौर तापीय एवं विद्युत प्रौद्योगिकियों के उपयोग, सौर तापीय ऊर्जा एवं सौर ऊष्णन प्रणालियां, सौर विद्युत उत्पादन प्रौद्योगिकी, सौर प्रकाश वोल्टीय विद्युत शक्ति प्लांट, सौर तापीय विद्युत शक्ति प्लांट, मौर तापीय विद्युत प्लांटों की ऊर्जा भंडारण विधियां, सौर विद्युत प्रकाश व्यवस्था, विश्व में सौर ऊर्जा का विकास तथा भारत में सौर ऊर्जा का विकास पर प्रकाश डाला गया है।
'मौर विद्युत प्रौद्योगिकी' नामक यह पुस्तक मातृभाषा एवं राजभाषा हिन्दी में लिखी गई अपनी ही तरह की एक सम्पूर्ण एवं अनूठी पुस्तक है। इस पुस्तक में सौर विद्युत से संबंधित सभी पहलूओं को प्रस्तुत करने का प्रयल किया गया है तथा इससे संबंधित आवश्यक उपलव्ध प्रौद्योगिकी एवं सूचना को आसान एवं सुन्दरतम स्वरूप में प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक की विषय-वस्तु में जहां कहीं भी आवश्यकता पड़ी है, अंग्रेजी भाषा के शब्दों का भी उपयोग किया गया है ताकि पाठकगणों की समझ में प्रस्तुत भाव आसानी से आ जाए तथा कथन का सही-सही अर्थ ग्रहण किया जा सके। आशा की जाती है कि यह पुस्तक सौर विद्युत विकास से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को एक संदर्भ पुस्तक के रूप में लाभान्वित करने में सक्षम रहेगी। पुस्तक पठन के वाद पाठकों के किसी भी सुझाव का सदैव स्वागत है।