खेल हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग है। यह स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक और सामाजिक विकास का भी माध्यम है। खेल का महत्त्व यह है कि खेलने से हमारे शरीर की शक्ति बढ़ती है, हमारा मानसिक तनाव कम होता है और हम सामूहिक जीवन का आनंद ले सकते हैं। हमें नियमित रूप से खेलने का समय निकालना चाहिए ताकि हम अपने जीवन को स्वस्थ, सुखी और सफल बना सकें। खेल हमारे जीवन में अद्वितीय महत्त्व रखते हैं। यह हमारे स्वास्थ्य, मनोवैज्ञानिक विकास और सामाजिक विकास के लिए एक संपूर्ण उपाय है। खेलों के माध्यम से हमारा शारीरिक स्वास्थ्य सुधरता है और नई ऊर्जा का संचार होता है। यह हमारे मानसिक तनाव को कम करता है और हमें खुश रखता है। खेल हमारी शारीरिक और मानसिक स्थिति को सुधारने का अद्वितीय माध्यम है। जब हम खेल खेलते हैं, तो हमारे शरीर की कसरत होती है, हमारी हड्डियां, मांसपेशियां और स्नायु तंत्र की मजबूती को बढ़ाता है, इस प्रकार हम चुस्त, तंदुरुस्त और मजबूत बनते हैं। खेलने से हमारी श्वास नली सुचारू रूप से कार्य करती है और हमारा मस्तिष्क अच्छी तरह से कार्य चलाता है।
हमारे जीवन में खेलों का विशेष महत्त्व है। पढ़ने-लिखने या मानसिक श्रम के बाद जब बालक या युवा खेल के मैदान में जाता है, तो उसका मन स्फूर्ति एवं उत्साह से भर जाता है। वह हर कार्य को प्रसन्नतापूर्वक करने लग जाता है। खेलों से शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य वृद्धि होती है। स्वास्थ्य जीवन की आधारशिला है। स्वस्थ मनुष्य ही अपने जीवन संबंधी कार्यों को भलीभांति पूर्ण कर सकते हैं। स्वास्थ्य के संबंध में कुछ प्रसिद्ध लोकोक्ति हैं, जैसे-'पहला सुख निरोगी काया', 'जान है तो जहान है' आदि। यदि स्वास्थ्य मनुष्य का साथ नहीं देता, तो वह अपने कर्तव्यों का पालन सहज रूप से नहीं कर सकता। मनुष्य चाहे जितना भी पौष्टिक या संतुलित आहार क्यों न ले, यह तब तक शक्ति संवर्द्धन नहीं कर पाता, जब तक खेलकूद व व्यायाम को अपने जीवन का अंग न बना ले। खेलने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं, रक्त प्रवाह तेज होता है, पाचन शक्ति बढ़ती है. अस्थियां मजबूत होती हैं, शरीर का अनावश्यक पदार्थ पसीना बनकर बह जाता है, त्वचा स्वस्थ बनी रहती है, भूख बढ़ती है तथा शरीर सुडौल द सुगठित बन जाता है।
खेलकर प्रसन्नता का अनुभव करना केवल मनुष्यों का ही स्वभाव नहीं है, पशु-पक्षियों को भी किलोल करते हुए देखा गया है। कभी-कभार मदमस्त प्रकृति को भी भिन्न-भिन्न रंग बिखेरते हुए हम देखते हैं। खेल न केवल मानसिक तनाव को दूर करता है बल्कि हमारा मनोरंजन भी करता है। आज अनेक प्रकार की होने वाली खेल स्पर्धाएं इसका प्रमाण हैं। विद्यार्थी के जीवन में भी खेल का विशेष महत्त्व है। बालक जीवन में घटित होने वाली घटनाओं को खेल भावना से ग्रहण करने में अभ्यस्त हो जाते हैं तथा शिक्षा प्राप्ति में आने वाली बाधाओं को हंसते-हंसते पार कर सफलता के सर्वोच्च शिखर तक पहुंच जाते हैं। विद्यार्थी इसके साथ-साथ ही स्वावलंबी व अपने चरित्र का निर्माण करने में भी समर्थ होता है। खेलकूद से मनुष्य के जीवन में शक्ति का संचार होता है। जीवन में ताजगी और स्फूर्ति मिलती है। प्रत्येक मनुष्य के लिए आज यह आवश्यक हो गया है कि वह अपने आपको खेलों से जोड़कर, जीवन को सहज बनाकर जीने का प्रयास करे। यही सहजता उसके जीवन को आनंदित करने में सहायक होगी।
इस पुस्तक के लेखन में अनेक पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं एवं प्रतिवेदनों से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सहायता ली गई है, अतः उन सभी विद्वान लेखकों, सहायक ग्रन्थों तथा पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादकों और मूल स्रोतों के व्यास्थापकों का मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूं और अन्त में, मैं मुरारी लाल एंड संस के प्रकाशक श्री राजीव गर्ग जी का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने अल्प समय में इस पुस्तक का प्रकाशन सम्भव कराया।
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