साहित्य का संस्कार मुझे परिवार से ही मिला है। कारण, मेरे पिताजी हिन्दी के प्राध्यापक थे और बड़े भाई भी इसी पेशे से जुड़े हुए है, स्वाभाविक है कि साहित्य से मैं कैसे अछूता रह सकता। मैंने पिताजी के संस्कार को आगे बढ़ाते हुए हिन्दी में अनुस्नातक किया और समय के साथ मैं भी पिताजी और भाई की अगली कड़ी बना। यानी 1993 से मैं आर्ट्स एण्ड कामर्स कॉलेज बालासिनोर में हिन्दी प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हूँ।
हिन्दी साहित्य में मुझे कथा-साहित्य पर विशेष रुचि थी। इस कारण अनुस्नातक में लघु शोध-प्रबन्ध लिखने का अवसर मिला तो मैंने कथा-साहित्य को चुना। उस लघु शोध-प्रबन्ध का विषय था 'बूँद और समुद्र' एक अध्ययन। इस उपन्यास के रचनाकार अमृतलाल नागर थे। धीरे-धीरे कथा-साहित्य से मेरी रुचि बढ़ती गई। फलतः मैंने पी-एच०डी० करने का निर्णय लिया। इसी बदौलत हमारे हिन्दी विभाग में मेहमान प्रोफेसर के रूप में आते डॉ० श्रीराम त्रिपाठी से चर्चा हुई और उन्होंने मेरे सुझाव को सहर्ष स्वीकार कर शेखर जोशी की कहानियाँ पढ़ने के लिए दी। जोशी जो की पहाड़ी परिवेश से जुड़ी कहानियाँ मुझे बेहद पसंद आईं। इस कारण श्रीराम त्रिपाठी साहब से हमने कहा कि मैं शेखर जोशी की कहानियों पर शोधकार्य करना चाहता हूँ। वे भी तैयार हो थे। शीघ्र हो मेरी इस बात को मानकर उन्होंने अपने निर्देशन में काम करने की अनुमति दे दी और मुझे विषय दिया गया। 'शेखर जोशी की कहानियाँ : नयी कहानी के संदर्भ में।' इस विषय के चयन के पीछे जोशी की रचना में चित्रित ग्रामीण पहाड़ो परिवेश है। शेखर जोशी की अधिक कहानियों में पहाड़ संबंधी संस्कृति का यथार्थ वर्णन मिलता है।' मेरा पहाड़' कहानी संग्रह में संकलित सभी कहानियाँ पहाड़ी परिवेश से संबन्धित हैं। उनके अन्य कहानी संग्रह का नाम 'बच्चे का सपना', 'नौरंगी बीमार है, 'शेखर जोशी की संकलित कहानियाँ' आदि हैं। मेरी जानकारी के अनुसार इस साहित्यकार पर बहुत कम काम हुआ है, साथ-साथ 'कोसी का घटवार' और 'नौरंगी बीमार है' कहानियों ने तो मुझे इतना अधिक प्रभावित किया कि उसे भूलना असंभव है। इस प्रकार उक्त विषय पर दिनांक-20-7-2004 को मेरा पंजीकरण हो गया। इस शोध-प्रबन्ध को छः अध्यायों में विभक्त किया गया है। जिसकी संक्षिप्त रूपरेखा इस प्रकार है-
मेरे शोध-प्रबन्ध का प्रथम अध्याय 'विषय प्रवेश' से संबन्धित है। इसके अन्तर्गत कहानी के उद्भव और विकास की चर्चा करते हुए कहानी की परिभाषा, कहानी के तत्व, हिन्दी की पहली कहानी, साहित्य के श्रेष्ठ कहानीकार प्रेमचन्द, प्रसाद, चन्द्रधरशर्मा' गुलेरी', जैनेन्द्र कुमार, पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र', विश्वम्भर नाथ शर्मा 'कौशिक', इलाचंद्र जोशी, भगवती चरण वर्मा, यशपाल, अज्ञेय, शिवप्रसाद सिंह, धर्मवीर भारती, नरेश मेहता, मोहन राकेश, राजेन्द्र यादव, कमलेश्वर, निर्मल वर्मा, मार्कण्डेय, फणीश्वर नाथ 'रेणु', उषा प्रियंवदा, मन्नू भण्डारी, गिरिराज किशोर, रामदरश मिश्र आदि का उदाहरण देकर संक्षिप्त परिचय दिया। साथ-साथ साठोत्तरी कहानी, अकहानी, सचेतन-कहानी, जनवादी कहानी, कहानीकार शेखर जोशी आदि पर संक्षिप्त विवरण कर निष्कर्ष की चर्चा की है।
द्वितीय अध्याय में नयी कहानी स्वरूप और विकास की चर्चा की गई है।
जिसके अन्तर्गत नयी कहानी की भूमिका, कहानी में नया क्या है?, नयी कहानी : लेखक के बही खाते से, पारंपरिक कहानी, नयी कहानी तथा उसकी नवीन यात्रा, नयी कहानी : सफलता और सार्थकता, नयी कहानी के कुछ हस्ताक्षर, नयी कहानी और शेखर जोशी की कहानियाँ, नयी कहानी की उपलब्धियाँ, नयी कहानी की सीमाएँ, निष्कर्ष आदि पर प्रकाश डाला गया है।
तृतीय अध्याय में शेखर जोशी की कहानियों का आलोचनात्मक अनुशीलन किया गया है। जिसमें मेरा पहाड़, नौरंगी बीमार है, बच्चे का सपना, शेखर जोशी की संकलित कहानियाँ, कोसी का घटवार आदि कहानी संग्रह में संकलित कहानियों का आलोचनात्मक अनुशीलन किया गया है। अंत में निष्कर्ष देने का प्रयास किया गया है।
चतुर्थ अध्याय में नयी कहानी के सन्दर्भ में शेखर जोशी की कहानियों का मूल्यांकन किया गया है। इसमें भी खासकर शेखर जोशी की कहानियों में चित्रित पहाड़ी और ग्रामीण परिवेश का अंकन हुआ है। साथ-साथ नयी कहानी के लक्षणों को केन्द्र में रखकर शेखर जोशी की कहानियों की आलोचना की गई है।
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