| Specifications |
| Publisher: Raj Publishing House, Delhi | |
| Author Priya Anand | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 64 | |
| Cover: HARDCOVER | |
| 9.0x5.5 Inch | |
| Weight 210 gm | |
| Edition: 2014 | |
| ISBN: 81867301124 | |
| HBX938 |
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कहानियां जन
जीवन का ही प्रतिविंव हैं। हम जब भी नए लोगों से मिलते हैं कुछ न कुछ नया देखने को
उनमें मिल ही जाता है। यही परिचय आगे चलकर यादगार बनता है और किसी कहानी में ढल जाता
है। हैरत यही थी कि इस बार जब मैं अपनी यात्रा पर थी तो कहानी नहीं पूरे उपन्यास से
मेरा साक्षात्कार हो गया। पिछली शताब्दी के वक्त की एक खूबसूरत कहानी जिसके कई पात्र
जीवित थे। उनसे मिलना और बातें करके उन्हीं के अनुभव को जी लेना काफी मर्मस्पर्शी रहा।
यह एक शाश्वत प्यार की कहानी थी जो दुखांत में समाप्त हुई और इसे लिखते हुए वार-बार
मैंने यही सोचा कि प्यार की उम्र इतनी छोटी क्यों होती है। क्यों प्रेम की अनुभूतियां
ओस की सुंदर बूंदों की तरह इंद्रधनुषी आभा लिए सामने आती हैं और. धूप के तेज होते ही
मर जाती हैं। कहानी एक खूबसूरत हवेली से शुरू होती है जो एक मासूम प्यार की गवाह है।
एक ऐसे प्यार की जो कभी भी अपनी मंजिल नहीं पा सका, पर उसकी गहरी यादें उनकी स्मृतियों
में सुरक्षित जिन्होंने उसे अपने सामने घटित होते हुए.
प्रिया आनंद जन्म : 1 जनवरी, 1950 शिक्षा : एम. ए.
हिंदी साहित्य लेखन : पिछले 43 सालों से लेखन में सक्रिय। अब तक 300 के करीब लेख और
कहानियां विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। रचनाएं : तीन कहानी संग्रह, 'मोहब्बत
का पेड़' और 'बांस के जंगल में बांसुरी' 'मैं हवा हूं', एक उपन्यास, 'मेरा काबुली वाला'
तथा एक साक्षात्कार 'बंद दरवाजों की खिड़कियां' का प्रकाशन। पत्रकारिता : सन्
2000 से 2012 तक दैनिक 'दिव्य हिमाचल' में पत्रकारिता (संपादन विभाग)। संप्रति : स्वतंत्र
लेखन एवं पत्रकारिता।
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