भूमिका
जब हम गीत सूजन एवं संगीत रचना के इतिहास पर दृष्टिपात करते हैं तो पाते हैं कि मानवीय श्रमावधि के अंतर्गत ही उसके मुख से निःसूत हुआ है इसी के साथ-साथ प्राकृतिक घटनाओं, प्राकृतिक ध्वनियों तथा पशु-पक्षियों के मुख से निकलते हुए मधुर स्वर तथा कठोर स्वर, यह भी हम कह सकते हैं कि आरोह-अवरोह स्वर को सुनकर, उसे गीत के साथ समन्वित किया गया आगे चलकर संगीत भी अक्षर और शब्द के अनुरूप मात्राओं में आबद्ध किया जाने लगा। हम समझते हैं कि शास्त्रीय संगीत का आविर्भाव संगीतज्ञों ने इसी तरह किया, इसके पूर्व लोक-गीत एंव लोक-संगीत का अपना कोई व्याकरण नहीं था लेकिन कालान्तर में संगीत का अपना व्याकरण संगीतज्ञों ने लिपिबद्ध कर लिया। इसी व्याकरण के अनेक आयाम विकसित होते गए जिसके अंतर्गत ताल, लय व लयकारियाँ इत्यादि आते हैं। संगीत अध्ययन के दौरान मैंने संगीत शास्त्र की अनेक पुस्तकें पढ़ी और परीक्षाएं दीं तथा उत्तीर्ण भी हुआ लेकिन संगीत के अध्ययन सामग्रियों का अनुशीलन करने में स्पष्टता के अभाव में मुझे अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। संगीत संबंधी समस्याओं को ध्यान में रखकर मैं इस पुस्तक के लेखन की तरफ प्रवृत्त हुआ उसी प्रवृत्तिगत सारस्वत कार्य का यह पुस्तक प्रतिफलन है। इस पुस्तक में कुछ बातें स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है जो निम्नवत हैं- (१) संगीत ताल पुस्तक अध्ययन के दौरान मुझे ऐसी कोई पुस्तक नहीं मिली जिसमें सभी तालों का क्रमबद्ध लय एवं लयकारियों का विवेचन हुआ हो। (२) इस पुस्तक में सभी तालों का लय एवं कठिन लयकारियों का व्याकरणानुसार सुस्पष्ट विवेचन किया गया है। (३) विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के संगीत विषयों से बंधित परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर से संबंधित तथ्यों एवं बातों को इस पुस्तक में सुक्ष्मता से प्रस्तुत किया गया है ताकि संगीत के छात्र एवं छात्राओं को उत्तर देने में सुविधा हो जाए। (४) इस पुस्तक के लेखन में सरल एवं सुबोध शब्दों का प्रयोग किया गया है ताकि संगीत के विद्यार्थी आसानी से ताल, लय एवं लयकारियों को समझ सकें और पूछे जाने वाले प्रश्नों का समूचित उत्तर दे सकें। इस पुस्तक को मैंने विभिन्न अध्यायों में विभाजित करके उपर्युक्त विषय को प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक के लेखन में मुझे अनेक सुहृदय लोगों से भावनात्मक एवं वैचारिक सहयोग मिला है। मैं अपनी जीवन-संगीनी श्रीमती सुप्रिया पाण्डेय के प्रति आभार अभिव्यक्त करता हूँ जिन्होंने मुझे गृह-कार्य से बहुत हद तक मुक्त रखा जिसके कारण पुस्तक सृजन में मुझे अतिरिक्त समय मिलता रहा साथ ही साथ मैं अपने सुपुत्र कृष्णमा पाण्डेय को स्नेह दान करता हूँ जो मेरी आज्ञा का अनुपालन करते हुए घर पर सहयोग करते रहते हैं। मैं राष्ट्रीय स्तर के संगीतज्ञ श्री रामनरेश मिश्र, (ओबरा उत्तर प्रदेश) श्री संतोष पाठक (वापी, गुजरात), श्री अशोक झा (वाराणसी) एवं श्री रजनीश कुमार (पटना, बिहार) के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ जिन्होंने इस पुस्तक के लेखन कार्य के लिए प्रेरित किये एवं बहुमूल्य सुझाव भी दिये। अपने सहोदर अनुजों सुशील पाण्डेय, राजीव पाण्डेय एवं संतोष पाण्डेय, जिन्होंने हमें आज तक सहयोग करते आ रहे हैं, के प्रति भी मैं स्नेह निवेदित करता हूँ। अंत में डॉ. प्रो० ललन प्रसाद सिंह (सासाराम) के प्रति हार्दिक आभार अभिव्यंजित करता हूँ जिन्होंने इस पुस्तक को प्रकाशित कराने के लिए मुझे अनवरत प्रेरित करते रहे, साथ ही साथ पाण्डुलिपि का स्वयं साहित
लेखक परिचय
डॉ० कौशल किशोर पाण्डेय, स्टेशन प्रबंधक, सासाराम, डी०डी०यू०/पू०म०रे। जन्म 13/05/1978, औरंगाबाद (बिहार) के ग्राम ऊब, ओबरा। श्री त्रिदण्डी स्वामी गोपालाचार्य जी महाराज 'वेदान्त मार्तण्ड' के कृपा पात्र। अपने पिता-गुरु पं० दिनेश पाण्डेय (प्रबंध निदेशक, श्री कपिलदेव संगीत महाविद्यालय, औरंगाबाद व भास्कर आर्ट एंड प्यूजिक कॉलेज, औरंगाबाद, बिहार) से गायन व तबला वादन का विधीपूर्वक शिक्षा ग्रहण। डॉ० कौशल किशोर पाण्डेय प्रयाग संगीत समिति, प्रयागराज से प्रभाकर (गायन व वादन) व प्राचीन कला केन्द्र, चण्डीगढ़ से भास्कर (गायन व वादन), UGC-NET 2002, New Delhi. मगध विश्वविद्यालय से शोध प्रबंध विषयक "कवि गोपालदास नीरज के गीतों में सांगीतिक तत्त्वों का अनुशीलन" पर संगीत विधा से Ph.D. की उपाधि। परीक्षकः प्रयाग संगीत समिति, प्रयागराज, प्राचीन कला केन्द्र, चण्डीगढ़। आकाशवाणी व दूरदर्शन कलाकार। समयानुकूल श्री रणविजय शर्मा, (औरंगाबाद), स्व पं० कामेश्वर पाठक, गया घराना, श्री रजनीश कुमार, पटना, पं० रामनरेश मिश्रा, ओबरा उत्तर प्रदेश, पं० रामप्रकाश मिश्र, छपरा, श्री सुनील पाठक (औरंगाबाद, बिहार) से विधिवत गायन व वादन का शिक्षण। वर्तमान में पद्मभूषण पं० साजन मिश्र, वाराणसी से शास्त्रीय संगीत में अध्ययनरत ।
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist