बुंदेलखंड की देशी रियासतों जिनमें टीकमगढ़-निवाड़ी भी सम्मिलित हैं, में स्वतंत्रता आंदोलन के लिए लोगों को प्रेरित करने में दो कारणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रथमतः इस क्षेत्र की सीमाओं का झाँसी, हमीरपुर, बाँदा, ललितपुर आदि से जुड़ा होना जिसके कारण बुंदेलखंड के इन स्थानों पर हो रही क्रांतिकारी घटनाओं की जानकारी लोगों को होती रहती थी और उनमें राष्ट्रवादी भावनाएँ जाग्रत होतीं थीं। द्वितीयतः महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद का अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों के संचालन और क्रांति के बिखरे सूत्रों को जोड़ने के लिए यहाँ अज्ञातवास पर रहना। वे यहाँ ओरछा के निकट सतार नदी के किनारे एक छोटी-सी कुटिया में हरिशंकर ब्रह्मचारी के नाम से रहते थे।
समय के साथ टीकमगढ़-निवाड़ी मेंबुंदेलखंड के अन्य क्षेत्रों में हो रहे स्वतंत्रता आंदोलन के प्रभाव से राष्ट्रवादी गतिविधियों की शुरूआत हुई। पंडित जवाहरलाल नेहरू जब टीकमगढ़ से मैहरौनी ललितपुर के लिए गुज़रे तो उनके भाषण व दर्शन से जनमानस को प्रेरणा मिली। टीकमगढ़ में सार्वजनिक पुस्तकालय और खादी भंडार की स्थापना की गई। यहाँ के स्वतंत्रता आंदोलन का एक अन्य पहलू ओरछा सेवा संघ और बुंदेलखंड सेवा संघ की स्थापना भी है जिन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति और उत्तरदायी शासन के लिए आंदोलन किए। लालाराम वाजपेयी के नेतृत्व में ओरछा जंगल सत्याग्रह बुंदेलखंड की किसी भी देशी रियासत में राष्ट्रवादी गतिविधियों की शुरूआत थी। स्वतंत्रता सेनानी नारायण दास खरे का बलिदान टीकमगढ़ के स्वतंत्रता आंदोलन की अविस्मरणीय घटना है। इस प्रकार पूर्व की एक छोटी रियासत वर्तमान टीकमगढ़ ने दोहरी दासता, ब्रिटिश शासन और निरंकुश राजशाही से मुक्ति प्राप्त करने हेतु कठोर यातनाओं से लेकर महान बलिदान तक का योगदान दिया।
इस शोधकार्य के दौरान मार्गदर्शन एवं उत्साहवर्धन करने के लिए मैं प्रकाश भटनागरजी, माखन सिंह चंदेल, बांकेजी का आभार व्यक्त करता हूँ। इस दौरान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संगठन को टीकमगढ़ जिले में संबल प्रदान कर रहे सुरेन्द्र मोहन दुबे और अशोक सिंधु का सहयोग मिला जो बेहद उपयोगी सिद्ध हुआ।
प्रस्तुत पुस्तक 'मध्यप्रदेश में स्वाधीनता संग्राम-टीकमगढ़-निवाड़ी' में स्वतंत्रता आंदोलन की गतिविधियों एवं प्रमुख घटनाओं को लेखबद्ध करने का प्रयास किया गया है। इस महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी प्रदान करने के लिए मैं स्वराज संस्थान संचालनालय, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन का आभारी हूँ तथा मेरे इस प्रयास में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग के लिए सभी का धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।
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