Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.

विश्व हिंदी के भगीरथ (प्रवासी हस्ताक्षर): Vishva Hindi Ke Bhagirath (Pravasi Hastakshar)

$27
$40
10% + 25% off
Includes any tariffs and taxes
Specifications
Publisher: HINDI BOOK CENTER
Author Vimlesh Kanti Verma, Sunanda Verma
Language: Hindi
Pages: 400
Cover: HARDCOVER
9x5.5 inch
Weight 610 gm
Edition: 2024
ISBN: 9789395310963
HBO806
Delivery and Return Policies
Usually ships in 5 days
Returns and Exchanges accepted within 7 days
Free Delivery
Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.
Book Description
भूमिका

हिंदी आज विश्वभाषा के रूप में प्रतिष्ठित भाषा है। विश्व के अनेक देशों में हिंदी बोली और समझी जाती है। विभिन्न देशों में बसे हुए और विविध भाषा भाषी भारतीयों की अस्मिता की प्रतीक भी आज हिंदी है। हिंदी के इस विश्वव्यापी स्वरूप में उन भारतीयों की विशेष भूमिका है जो गिरमिटिया मजदूर के रूप में कभी अपना देश भारत छोड़कर विश्व के दूर दराज देशों में गये थे। वे अपनी गिरमिट अवधि पूरी कर वहीं बस गये और उस देश को उन्होंने अपनाकर उसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई पर अपनी भाषा और संस्कृति को उन्होंने नहीं छोड़ा, बड़े यत्न से उसे बचाए रखा और उसकी संरक्षा और प्रतिष्ठा के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे।

विश्व के मानचित्र पर यदि आप दृष्टि डाले तो सहज ही स्पष्ट हो जाएगा कि प्रशांत महासागर की गोद में बसे हुए रमणीक द्वीप फ़ीजी से लेकर हिंद महासागर के मारीशस और दक्षिण अफ्रीका देश और दूसरे कोने पर भारत से हज़ारों मील दूर करेबियन सागर के तट बसे हुए सूरीनाम, त्रिनिदाद और गयाना आदि देशों में भारतीय जा बसे और पीढ़ी दर पीढ़ी हिंदी के लिए संघर्ष करते रहे और इन दूर देशों में बसे हुए भारतीय हिंदी के माध्यम से आज भारत से जुड़े हुए भी है। हिंदी की इस विश्वयात्रा में फीजी, मारीशस, त्रिनिदाद, और दक्षिण अफ्रीका के उन अनेक साहित्यकारों, इतिहासकारों, भाषावैज्ञानिकों, शिक्षकों, कूटनीतिज्ञों और प्रशासकों की महत्वपूर्ण भूमिका है पर जिनकी दूरदृष्टि, संघर्ष और निष्ठा से आज भी भारत का हिंदी जगत अपरिचित सा है। प्रस्तुत पुस्तक 'विश्वहिंदी के भगीरथ [प्रवासी हस्ताक्षर]', प्रवासी भारतीय जगत के महत्वपूर्ण र कराने का एक विनम्र प्रयास है। सहयात्रियों से हिंदी जगत को परिचित विश्वहिंदी के भगीरथ (प्रवासी हस्ताक्षर]" में फ़ीजी, मारीशस, दक्षिण अफ्रीका तथा त्रिनिदाद के चयनित गिरमिट वंशज 14 वरिष्ठ हिंदी सेवियों के साक्षात्कार हैं, उनके परिचय वृत्त हैं और उनकी लिखी हुई रचनाएँ, अभिभाषण या वक्तव्य हैं जो उनके हिंदी कार्य से किसी रूप में सम्बद्ध हैं और भारत के हिंदी पाठकों को हिंदी के प्रति उनकी धारणाओं को स्पष्ट करने वाले हैं। हिंदी के विकास के लिए देश के सामने क्या चुनौतियां हैं, भारत सरकार की ओर से किस प्रकार के सहयोग की उन्हें अपेक्षा है, उनकी अपनी हिन्दी का स्वरूप क्या हैं आदि विषयों पर गहरा विचार मंथन इसमें आपको मिलेगा।

चयनित हिंदी सेवी हैं- कथाकार सुब्रमनी, भाषावैज्ञानिक राजेन्द मेस्त्री, राजनीतिज्ञ बृज लाल, ध्वज वाहक हीरालाल शिवनाथ, पत्रकार नीलम कुमार, रचनाकार बीरसेन जागासिंह, इतिहासकार बृज विलाश लाल, आचार्य राम भजन सीताराम, ध्वज वाहक सुनीता नारायण, आचार्य बिसराम राम बिलास, प्रशासक आर्यरत्न भुवन दत्त, अनुसंधाता इन्द्राणी राम परसाद, उन्नायक विरजानंद बदलू 'गरीब भाई' और संस्कृतिकर्मी वीणा लछमन ।

इस परियोजना का सबसे कठिन कार्य था ऐसे व्यक्तियों का चयन जिन्होंने अपने क्षेत्र में हिंदी को प्रतिष्ठित करने के लिए एक जुनून के रूप में जीवन भर कार्य किया। ये वे व्यक्ति हैं जिनका हिंदी के प्रति प्रेम आजीविका के कारण नहीं है, हिंदी से उन्हें कोई आर्थिक लाभभी नहीं है पर वे अपनी इच्छा से हिंदी को अपने देश में बढ़ाने का कार्य करते हैं केवल इसलिए क्योंकि वे पूर्वजों की अपनी भाषा हिंदी को किसी भी कीमत पर अपने देश में लुप्त होने से बचाना चाहते हैं, उनका मानना है कि भाषा गई तो संस्कृति गई।

"विश्वहिंदी के भगीरथ (प्रवासी हस्ताक्षर]" के लिए हिंदी सेवियों का चयन करते समय मेरे सम्मुख सबसे जटिल प्रश्न यही था कि प्रवासी देशों में हिंदी के लिए निष्काम भाव से एक लम्बे समय तक कार्य करने वाले व्यक्ति कौन हैं और इसकी पहचान कैसे हो? आज संस्थाओं द्वारा जिस प्रकार सम्मान और पुरस्कार दिए जा रहे हैं वे व्यक्ति की गुणवत्ता के परिचायक नहीं रह गये हैं और वे चयन के मानदंड नहीं बन सकते। पुरस्कारों की रीति नीति के विश्लेषण में हम न भी जाएँ तो हमें साफ़ दिखता है कि पुरस्कार उन लोगों को अधिकांशतः दिए जा रहे हैं जो कवि या कथाकार हैं, जिन्होंने अपने देशों में आत्मप्रचार के लिए अपनी एक संस्था बना रखी है जिसके वे अध्यक्ष बने हुए हैं और बहुत हुआ तो एक अनियतकालीन पत्रिका स्वयं निकालते हैं जो आत्मप्रशंसा और आत्म प्रचार का तथा भारत के उपयोगी लोगों से संपर्क साधने का माध्यम है और जिसे वे पुरस्कार/सम्मान पात्रता के लिए आवश्यक समझते हैं। उनका ध्येय है भारतीय पुरस्कार और सम्मान के लिए येन केन प्रकारेण अपनी पात्रता प्रमाणित करना। ये पात्रता पुरस्कार से, भारतीय विश्वविद्यालय के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में उनकी रचनाएँ आ जाने से या किसी छात्र द्वारा उनके साहित्य पर किसी विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि के लिए विषय स्वीकृत हो जाना या उपाधि प्राप्ति है। इस स्थिति पर देश के अनेक प्रतिष्ठित लोगों ने बड़े स्पष्ट रूप में संकेत किया है और यह विवाद का विषय रहा है। सौभाग्य से यह समस्या गिरमिटिया देशों के साहित्यकारों और हिंदी सेवियों के सम्बन्ध में उतनी नहीं है, यहाँ समस्या दूसरी है।

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question
By continuing, I agree to the Terms of Use and Privacy Policy
Book Categories