| Specifications |
| Publisher: National Paperbacks, New Delhi | |
| Author Shrikant Upadhyaya | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 150 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8.5x5.5 Inch | |
| Weight 150 gm | |
| Edition: 2024 | |
| ISBN: 9789392176203 | |
| HBX201 |
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रहीम
दोहावली का दूसरा नाम
है। इसके संपादन में
संपादकीय हैसियत और इसकी व्याख्या
में लेखकीय औकात विद्यमान है।
दोहावली में कब में
फैली अव्यवस्था को दूर किया
गया है, एक एक
दोहे को मंत्र का
पद देकर प्रतिष्ठापित किया
गया है तथा वैदिकता
प्रदान की गयी है।
अभी तक संपूर्ण रहीम
दोहावली पर न कोई
टीका थी और न
कोई व्याख्या। लगभग तीन सौ
दोहों में से किसी
तरह सी-डेढ़ सौ
दोहों पर जो टीकाएं,
है भी, में घुलघुल
और सपाट हैं। गौरव
दोहे अर्थ गौरव की
प्रतीक्षा कर रहे थे।
प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से
पहली बार हिंदी संसार
को दोहावली के समग्र दोहों
पर जवलंत व्याख्या मिलने जा रही है।
लेखक की भाषा शैली
से गुजरना अपने आप में
एक सुखद अनुभव होगा।
ऐसी व्याख्या शायद ही कहीं
और मिले। वास्तव में, लेखक ने
अपने कवित्व की री में
बहकर व्याख्या नहीं, कणिका. ही लिख डाली
है। रहीम के ये
दोहे हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि
हैं, जो बीसवीं सदी
के राष्ट्रीय जीवन में मूल्यों
की पुनस्र्थापना में सहायक सिद्ध
होंगे। आशा है, रहीम
साहित्य के अध्येताओं तथा
सामान्य पाठकों के लिए यह
एक अनिवार्य ग्रंथ सिद्ध होगा।
नाम:
श्रीकान्त उपाध्याय जन्म: 3 जनवरी, 1938 को तौकलपुर, पोस्ट
भिखनापुर (प्रतापगढ़), यू.पी. में
शिक्षा: एम.ए. (हिंदी)
इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा पी-एच.डी. सागर विश्वविद्यालय
से अंडमान तथा निकोबार प्रशासन
के शिक्षा विभाग में पोस्ट ग्रेजएट
तक अध्यापन (1964-1981), तथा राष्ट्रीय रक्षा
अकादमी, खड़कवासला, पुणे से रीडर
के पद से सेवानिवृत्त
(1982-1996).
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