एक लम्बी प्रतीक्षा के बाद, यह पुस्तक प्रकाशित करते हुए, हम अपार हर्ष का अनुभव कर रहे हैं। इस पुस्तक को मूर्त रूप प्रदान करने में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से अनेक विद्वानों, कलाकारों एवं सहृदय महानुभावों का अमूल्य सहयोग प्राप्त हुआ है। हम उन सभी के प्रति हृदय से कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
सर्वप्रथम गुरु मोहनराव जी के परिवार के सदस्यों, पुत्र द्वय डॉ० विनोद एवं श्री भरत तथा पुत्री श्रीमती इन्दिरा बेनेगल एवं भाई और प्रसिद्ध कला-लेखक श्री आनन्द सिरूर को हृदय की गहराइयों से धन्यवाद, जिन्होंने बड़ी उदारता से हमें गुरु जी के जीवन से सम्बंधित विषय सामग्री, इस पुस्तक के लिए उपलब्ध कराई, साथ ही अपने संस्मरण भी लिखकर भेजे।
पद्म विभूषण पं० बिरजू महाराज जी ने अपने आशीर्वचन से अभिसिंचित कर, पुस्तक को गरिमा प्रदान की है, आभार व्यक्त कर गुरु कृपा से उऋण नहीं हुआ जा सकता। ताल-योगी पद्म श्री पं० सुरेश तलवलकर जी ने विशेष कृपा कर, गुरुजी से जुड़े अपने संस्मरण साझा करने के लिए, अपना अमूल्य समय हमें दिया, उनका हृदय से आभार।
उन सभी कलाकारों, गुणीजनों और विद्वतजनों के प्रति हम हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिन्होंने हमारे निवेदन को सहर्ष स्वीकार करते हुए, गुरु मोहनराव जी के सम्बंध में अपने संस्मरण हमें बताकर अथवा प्रेषित कर, इस नृत्य मनीषी को श्रद्धांजलि अर्पित की। भातखण्डे संगीत संस्थान के हमारे सहयोगियों के प्रति भी हम आभार व्यक्त करते हैं।
पुस्तक को आकार देने में निरन्तर मार्गदर्शन के लिए हम साहित्य विदुषी पद्मश्री डॉ० विद्या बिन्दु सिंह तथा श्रद्धेय डॉ० शम्भूनाथ जी के प्रति भी कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। नृत्त की बन्दिशों को स्वविकसित 'ऐप' द्वारा लिपिबद्ध एवं संयोजित करने के लिए श्रीमती विभा रामास्वामी एवं श्रीमती अंजू अगस्त श्रीवत्स के तथा सांगीतिक रचना को स्वरलिपिबद्ध करने के लिए प्रो० सृष्टि माथुर के सहयोग को हम नहीं भूल सकते। भाषा परिमार्जन की दिशा में डॉ० सीमा वर्मा का विशेष सहयोग हमें प्राप्त हुआ। हम इन सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
पुस्तक के प्रकाशन एवं सज्जा के लिए श्री माधव भान जी के सुझावों और सहयोग के लिए हम उनके अत्यन्त आभारी हैं। पुस्तक के टंकण में श्री कम्बर नक़वी द्वारा धैर्यपूर्वक दी गयी सेवाएँ प्रशंसनीय हैं।
सीमित अवधि में पुस्तक के आवरण पृष्ठ को आकर्षक स्वरूप प्रदान करने के लिए 'डिज़ाइनर' सुश्री नीतू ग्रोवर एवं श्रीमती अंजू सरन (संस्थापक एवं निदेशक, आर्टिस्टिक क्रिएशन्स, न्यू जर्सी, यू०एस०ए०) के प्रति हम कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं तथा छायाचित्रों को संयोजित करने के लिए श्री योगेश आदित्य के प्रति आभार प्रकट करते हैं।
समय-समय पर शिष्यों, शुभचिंतकों तथा परिवारजनों के सुझावों ने इस पुस्तक को सम्बल और सुदृढ़ता प्रदान की है, उन सभी के प्रति हम हृदय से आभारी हैं।
उत्तर-प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ, भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय, लखनऊ, संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली; एन०सी०पी०ए०, मुम्बई आदि संस्थाओं से जो रिकॉर्डिंग्स तथा पुस्तकें उपलब्ध हुई, वह इस पुस्तक के लिए सहायक सामग्री के रूप में महत्वपूर्ण रहीं। इसके लिए हम इन सभी संस्थाओं के विशेष रूप से आभारी हैं।
अन्त में स्मृतिशेष रोहिणी भाटे, दिनकर कैंकिणी, शशिकला कैंकिणी, केशव कोठारी, दाऊजी गोस्वामी, विष्णु विनायक महादाने, सुशीला मिश्रा एवं मोहन नादकर्णी की दिव्य आत्माओं के प्रति, श्रद्धा के साथ अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिनके विचार इस पुस्तक में हम समाहित कर सके।
पुस्तक का प्रकाशन तभी सार्थक होगा, जब पाठकों की जिज्ञासा व रूचि जागेगी और उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त होगी।
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