| Specifications |
| Publisher: Penguin Books India Pvt. Ltd. | |
| Author Gauranga Das | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 303 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8x5 inch | |
| Weight 220 gm | |
| Edition: 2024 | |
| ISBN: 9780143457503 | |
| HBF870 |
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क्या आप हर बात में बहुत अधिक सोचते हैं? आप किसी बात पर जल्दी कोई फैसला न ले पाने के कारण रातों की नींद ख़राब करते हैं? जीवन, काम और संबंधों को अधिक उद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए उपयुक्त दिशा की तलाश में हैं?
अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था, 'अक्ल स्कूल में पढ़ाई करने से नहीं आती, बल्कि उसको हासिल करने के जीवनपर्यंत प्रयासों से आती है'।
मानसिक शक्ति कैसे बढ़ाएँ में मन को उन्नत और हृदय को रूपांतरित करने वाली 40 कहानियों के साथ गौरांग दास आपको आशाओं की ऊँचाइयों से परे, असहमतियों की घाटियों से होते हुए, आत्मवंचना के तलों से होकर अंतर्मन की खोज यात्रा पर ले जाते हैं। इस तरह वे आपको अपने हृदय के पास ले आते हैं, आपको समर्थ बनाते हैं कि आप द्वार खोलकर अपना परिचय प्राप्त करें और अंततः अपने वास्तविक रूप से आपका परिचय हो सके।
'गौरांग दास ने अपनी कहानियों के माध्यम से नैतिक मूल्य देते हुए मुझे निजी रूप से प्रेरित किया है। कहानी सुनाने की उनकी शैली विशिष्ट, सहज और ज्ञानसंपन्न है।' राधाकृष्णन पिल्लै, लेखक और चाणक्य इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ लीडरशिप स्टडीज़ के निदेशक
'वैश्विक व्यावसायिक समुदाय के लिए सफलता के मानक समय के साथ विकसित हुए हैं... योग कथाओं की यह पुस्तक ऐसा नज़रिया देती है जिससे यह बात समझ में आती है कि कुछ प्रतिमान कभी नहीं बदलते; बल्कि वे जीवन में सफलता को परिभाषित करने का काम करते हैं।'
गौरांग दास मुंबई में रहते हैं और लीडरशीप व माइंडफुलनेस की शिक्षा देते हैं। आइआइटी बॉम्बे से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने समाज सेवा के लिए संन्यासी बनने का फैसला किया। वे इस्कॉन की प्रशासनिक इकाई के सदस्य हैं और प्रभावी नेतृत्व के साथ वैश्विक स्तर पर मंदिरों की नेतृत्व प्रक्रिया में सक्रियता से काम करते हैं। उन्होंने अपना जीवन लोगों के दिल बदलने, उनकी सोच में सुधार लाने, स्थायी और आध्यात्मिक समुदायों की स्थापना करने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करने के लिए समर्पित कर दिया है। गौरांग दास एक ऐसे आध्यात्मवादी हैं, जो एक साथ कई पहलुओं पर काम करते हैं और जिनका लक्ष्य एक मूल्य-आधारित समाज का निर्माण करना है। इसके अलावा वह एक विचारशील ध्यान विशेषज्ञ, रणनीति को केंद्र में रखकर काम करने वाले अध्यापक, स्थिरता और जलवायु परिवर्तन के लिए काम करने वाले योद्धा और सामाजिक कल्याण के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करने वाले व्यक्तित्व हैं।
गौरांग दास इस्कॉन के गोवर्धन एकोविलेज (जीईवी) के निदेशक हैं, जिसकी स्थापना राधानाथ स्वामी ने की थी। भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले जीईवी ने चौंतीस से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं, जिसमें 'ग्रामीण विकास के उत्प्रेरक के रूप में इको-पर्यटन' के अपने अभिनव मॉडल के लिए 2017 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) पुरस्कार भी शामिल है। ग्रीन बिल्डिंग आंदोलन में उनके योगदान के लिए इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) ने उन्हें आईजीबीसी फेलो के रूप में मान्यता दी है।
वह गोवर्धन स्कूल ऑफ पब्लिक लीडरशिप के संचालन मंडल के सदस्य हैं, जो छात्रों को सिविल सेवा परीक्षा के लिए तैयार करने वाली संस्था है। उन्होंने विश्व स्तर पर हजारों युवाओं में उद्देश्य में स्पष्टता, चरित्न में पवित्नता और रिश्तों में करुणा को सफलतापूर्वक विकसित करते हुए कई युवा सशक्तिकरण पहलों का नेतृत्व किया है। वह भक्तिवेदांत रिसर्च सेंटर (बीआरसी) के प्रशासनिक निदेशक भी हैं, जो कामकाजी पेशेवरों, गृहिणियों और छात्रों को दर्शनशास्त्र के अकादमिक अध्ययन से जोड़ने, वैदिक साहित्य और पांडुलिपियों के पुस्तकालय बनाने और दर्शनशास्त्र में एमए और पीएचडी कार्यक्रमों की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई इस्कॉन की एक पहल है।
मैं पिछले सत्ताईस वर्षों से एक साधु का जीवन जी रहा हूँ। जब मैं लोगों को बताता हूँ कि मैं एक साधु हूँ तो जो छवि उनके मन में उभरती है वह न्यूनतम कपड़े पहने एक व्यक्ति की होती है जो घंटों तक शांति से ध्यान करता है। एक हद तक वे सही भी हैं। मैं प्रतिदिन दो घंटे से अधिक ध्यान करता हूँ, और हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करता हूँ। हालाँकि, बाकी बचे हुए बाईस घंटे शांति के विभिन्न रूपों से भरे हुए हैं। वे आध्यात्मिक रूप से प्रेरित निःस्वार्थ सेवा में शामिल होने वाली गतिविधियों से भरे हुए हैं।
ऐसी ही एक सेवा के लिए, मैं उन वैदिक साहित्यों के बारे में बात करने के लिए दुनिया भर की यात्रा करता हूँ जिनका मैंने गहन अध्ययन किया है और जिन पर मेरा जीवन आधारित है। विशेष रूप से तीन मुख्य पुस्तकें हैं, जिनमें प्रसिद्ध भगवद गीता ऐज इट इज भी शामिल है, विश्व स्तर पर हिंदुओं के लिए ज्ञान के मुख्य स्रोत के रूप में माना जाता है और जिससे इस पुस्तक के अधिकांश हिस्से लिये गए हैं। इसे कभी-कभी भगवान की पुस्तक के रूप में भी संदर्भित किया गया है। दूसरी पुस्तक श्रीमद भागवतम है जो वेद व्यास द्वारा भगवान पर 18,000 श्लोकों का एक व्यापक ग्रंथ है और जिसका अंग्रेजी में अनुवाद ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने किया है। इस पुस्तक को कभी-कभी भगवान की जीवनी के रूप में उद्धृत किया जाता है। तीसरी पुस्तक चैतन्य चरितामृत है, जो पंद्रहवीं शताब्दी के भगवान के अवतार श्री चैतन्य महाप्रभु के जीवन और शिक्षाओं के बारे में है। इस पुस्तक को कभी-कभी भगवान की डायरी के रूप में उद्धृत किया जाता है। इनमें से प्रत्येक पुस्तक की समाज में अपनी जगह है; इनमें से प्रत्येक पुस्तक सर्वश्रेष्ठ ईश्वर से जुड़ी सच्चाइयों की परतें जोड़ती है, बिलकुल उसी प्रकार जैसे बच्चों के एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाने पर उन्हें गणित के नए नियम सिखाये जाते हैं।
दुनिया भर में बोलने के अपने अनुभव से, मैंने महसूस किया है कि जब कहानियों को इनमें शामिल किया जाता है तो भगवद् गीता ऐज इट इज जैसे साहित्य में बताये गए सत्य को लोगों को स्वीकार करने में सहजता होती है। कहानियाँ सत्य के संदर्भ और क्रियान्वयन को प्रस्तुत करती हैं। कहानियाँ हमें पात्नों की भूमिकाओं में खुद की कल्पना करने और वे जो सबक सीख रहे हैं उसे अपने जीवन में लागू करने में मदद करती हैं। किसी कहानी के संदर्भ में 'आभारी होने' का पाठ सीखना आसान है, बजाय इसके कि केवल 'आभारी रहो' कहा जाए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि महाभारत और रामायण जैसे प्राचीन वैदिक साहित्य इतने लोकप्रिय हैं क्योंकि वे अपने उत्साह, जुड़ाव और गहराई में अद्वितीय कहानियों के माध्यम से सार्वभौमिक सत्य सिखाते हैं।
द आर्ट ऑफ़ रेजिलिएंस तीन भागों वाली श्रृंखला की पहली पुस्तक है। यह मनमोहक सांस्कृतिक कहानियाँ बताने और उनमें पाई जाने वाली सार्वभौमिक सच्चाइयों को प्रकाश में लाने के समान सिद्धांत पर आधारित है। जैसा कि पहले भी बताया गया है, मैंने इन कहानियों के पाठों को सामने लाने के लिए मुख्य रूप से भगवद गीता ऐज इट इज और अन्य वैदिक साहित्य का उपयोग किया है। मुख्य विषयों में मानव स्थिति (आत्मा) की आध्यात्मिक प्रवृत्ति को समझना, हमारे चारों ओर की दुनिया के घटक (प्रकृति), समय का हमारे जीवन (काल) पर प्रभाव, अतीत में हमारे कार्यों ने हमारे वर्तमान का निर्माण कैसे किया और कैसे हमारे वर्तमान कार्य हमारे भविष्य (कर्म) और हर चीज़ और हर किसी (ईश्वर) पर सर्वोच्च नियंत्रण के प्रभाव को प्रभावित कर सकते हैं, शामिल है।
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