| Specifications |
| Publisher: Bharatiya Jnanpith, New Delhi | |
| Author Mohan Rakesh | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 111 | |
| Cover: HARDCOVER | |
| 9.0x5.5 Inch | |
| Weight 270 gm | |
| Edition: 2023 | |
| ISBN: 9789355189325 | |
| HBS388 |
| Delivery and Return Policies |
| Usually ships in 3 days | |
| Returns and Exchanges accepted within 7 days | |
| Free Delivery |
मोहन राकेश
जन्म : 8 जनवरी, 1925; जंडीवाली गली, अमृतसर (पंजाब)। शिक्षा : संस्कृत में शास्त्री,
अँग्रेज़ी में बी.ए.। संस्कृत और हिन्दी में एम.ए.। जीविका के लिए लाहौर, मुम्बई, शिमला,
जालन्धर और दिल्ली में अध्यापन व सम्पादन करते हुए अन्ततः स्वतन्त्र लेखन । प्रकाशित
कृतियाँ : इनसान के खंडहर, नये बादल, जानवर और जानवर, एक और ज़िन्दगी, फ़ौलाद का आकाश
और एक घटना (कहानी-संग्रह); अँधेरे बन्द कमरे, न आने वाला कल और अन्तराल (उपन्यास);
आख़िरी चट्टान तक (यात्रावृत्त); आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस, आधे-अधूरे, पैर
तले की ज़मीन, अंडे के छिलके, रात बीतने तक तथा अन्य ध्वनि नाटक (नाटक); परिवेश, बकलम
खुद एवं साहित्यिक और सांस्कृतिक दृष्टि (लेख व निबन्ध); राकेश और परिवेश पत्रों में
एवं एकत्र (पत्र); मृच्छकटिक और शाकुन्तल (अनुवाद) । अँधेरे बन्द कमरे का अँग्रेज़ी
और रूसी भाषा में अनुवाद । आषाढ़ का एक दिन नामक नाट्य-रचना के लिए और आधे-अधूरे के
रचनाकार के नाते संगीत नाटक अकादमी से पुरस्कृत-सम्मानित । निधन : 3 दिसम्बर 1972
(दिल्ली)।
ज्ञानपीठ ने
अनेक रचनाकारों की पहली पहली पुस्तक प्रकाशित की और कालान्तर में ये रचनाकार अपने-अपने
क्षेत्र के यशस्वी हस्ताक्षर सिद्ध हुए। मोहन राकेश ऐसे ही विलक्षण रचनाकारों में से
एक हैं। कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार, निवन्धकार आदि रूपों में मोहन राकेश ने नये
प्रस्थान निर्मित किए हैं। मोहन राकेश की परवतीं पीढ़ियों पर उनका प्रभाव यह सिद्ध
करने के लिए पर्याप्त है कि मोहन राकेश जैसे लेखक पर 'कालातीत' विशेषण शत-प्रतिशत खरा
उतरता है। जो रचनाकार अपने समय और समाज को 'यथासम्भव समग्रता' में देखता और चित्रित
करता है, उसका लेखन आने वाले समयों के लिए भी सार्थक बना रहता है। मोहन राकेश ने विराट
मानवीय नियति के विस्तार में जाकर जीवन की इकाइयों का मूल्यांकन किया है। व्यक्ति और
समाज के जाने कितने संवाद और विसंवाद उनकी रचनाओं में प्राप्त होते हैं। 'अस्मिता-विमर्श'
के इस युग में मोहन राकेश की अनेक रचनाएँ व्यक्ति की अस्मिता का संवेदनात्मक परीक्षण
करती हैं। आख़िरी चट्टान तक मोहन राकेश का यात्रा-वृत्तान्त है। विश्वास है स्तरीय
साहित्य के अनुरागी पाठक और विशेषकर मोहन राकेश के प्रशंसक इस पुनर्नवा संस्करण का
हृदय से स्वागत करेंगे।
Send as free online greeting card