भूमिका
गांधी पर आरोप: मिथक या यथार्थ कर या। कता पात्र कभी-कभी सत्य को भी प्रतीक्षा करनी पड़ती है सुनने वाले कानों की, देखने वाली आँखों की और समझने वाले धैर्यशील हृदय की। ईसा मसीह को सूली पर चढ़ा दिया गया। दो सदियाँ बीतीं, तब जाकर उन्हें ईश्वर का स्थान मिला। लगता है, सत्य को इतिहास में अपना स्थान पाने के लिए पीड़ा की अग्नि से गुजरना अनिवार्य होता है या सत्य के भाग्य में पहले तिरस्कार और बाद में गौरव लिखा होता है। भार एक महात्मा गांधी भी ऐसे ही एक पथिक थे सत्य, अहिंसा, प्रेम और करुणा के एकाकी राही। उन्होंने न कोई सत्ता चाही, न कोई ताजा वे नारे नहीं देते थे. आत्मा को पुकारते थे। उन्होंने लाठी नहीं उठाई, चरखा चलाया। और फिर भी, उन्होंने एक सोई हुई सभ्यता को जगा दिया। गांधीजी ने आत्मा की गहराइयों से इस देश को पुकारा और करुणा से उसका जागरण किया। महान दार्शनिक रोम्या रोलां ने कहा था- "अपने जीवन में गांधी को जो प्रेम और सम्मान अपने देशवासियों से मिला, वह जीवित ईसा को भी नहीं मिला।" किन्तु आज जब किसी युवक की जिह्वा पर यह प्रश्न आ टिकता है "क्या गांधी ने भगत सिंह को नहीं बचाया?" या "क्या गांधी ने सुभाषचंद्र बोस को अपने रास्ते से हटा दिया?" तो मन भीतर तक काँप उठता है। ये केवल सवाल नहीं, यह उस वैचारिक ज़हर की बूंदें हैं, जो धीरे-धीरे हमारे ऐतिहासिक विवेक को गलाए जा रही हैं। यह सिर्फ सवाल नहीं, एक सुनियोजित अविश्वास की उपज है, एक वैचारिक वायरस, जो हमारी नई पीढ़ी की चेतना को प्रदूषित कर रहा है। यह वही गुलाम मानसिकता है, जो अपने ही नायकों को देखने के लिए दूसरे देशों की आँखें माँगती है। बापू शायद दो सौ साल पहले आ गए थे, इसलिए हम उन्हें समझ नहीं पाए। लेकिन समय बदल रहा है। दुनिया अब उन्हें समझने का प्रयास कर रही है। जिस गांधी को अपने ही देश में अप्रतिष्ठित किया जा रहा है, वह आज दुनिया के 150 से अधिक देशों में सम्मान और प्रेरणा का प्रतीक बन चुके हैं। 100 से अधिक देशों ने उनके नाम पर डाक टिकट जारी किए हैं। 80 से अधिक देशों की सड़कों, चौकों, उद्यानों को गांधी का नाम दिया गया है। दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, फ्रांस, जापान, रूस, घाना, अर्जेंटीना, मैक्सिको जैसे अनेक देशों में उनकी प्रतिमाएँ स्थापित की गई हैं केवल पत्थर की नहीं, विचारों की स्मृति के रूप में। गांधी अब केवल भारत के नहीं रहे। वे वैश्विक नैतिक चेतना के प्रतीक बन चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र हर वर्ष 2 अक्टूबर को "अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस" के रूप में मनाता है। न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 'शांति की दीवार' गांधी की विचारधारा को अमर करती है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला, बराक ओबामा और दलाई लामा जैसे विश्व नेता आज भी गांधी से प्रेरणा लेते हैं। दुनिया ने उन्हें अपनाया, समझा, पूजा पर क्या हम समझ पाए? मुझे आइंस्टीन के वे शब्द याद आते हैं, जो उन्होंने गांधी के बारे में कहे थे "आने वाली पीढ़ियाँ शायद ही विश्वास कर सकेंगी कि कभी हाड़-मांस का एक ऐसा पुतला इस धरती पर चला करता था।" कितना गहरा कथन है यह ! जब विज्ञान का सबसे तेजस्वी मस्तिष्क गांधी के व्यक्तित्व के आगे नतमस्तक हो जाए, तो क्या हमें अपने प्रश्नों की दिशा पर पुनर्विचार नहीं करना चाहिए? आज जब किसी छात्रा के मुँह से सुनती हूँ "क्या गांधी ने विभाजन होने दिया?" या "उन्होंने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये दिलाने के लिए अनशन क्यों किया?" तो भीतर कहीं एक हूक-सी उठती है। ये प्रश्न केवल अज्ञानता की उपज नहीं हैं यह एक रची हुई भूल है। एक पूर्वनियोजित वैचारिक हमला, जिसका लक्ष्य है गांधी के विचारों की हत्या। यह वह विषवेल है, जिसे साम्राज्यवादियों ने बोया था और जिसे आज दुर्भाग्यवश हमारे ही कुछ लोग सींच रहे हैं। सचमुच यह हमारी एक सुनियोजित
'लेखक परिचय'
डॉ० सुजाता चौधरी (लेखन- सुजाता के नाम से) शिक्षा एम.ए (इय) राजनीतिशाख एवं इतिहास, एल.एल.बी.पी. एच. डी., पत्रकारिता में डिप्लोमा। प्रकाशन अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लेख और कहानियाँ प्रकाशित आकाशवाणी भागलपुर से अनेक कहानियां प्रसारित प्रकाशित रचनाएँ उपन्यास 1. दिल का क्या रंग करू, 2. कश्मीरः दर्द का सैलाब, 3. क्या कहूँ जो अबतक नहीं कहीं, 4. सौ साल पहले चम्पारण का गाँधी, 5. में पृथा ही क्यों न रही, 6. नीलांचल चन्द्र, 7. नोआखाली एक व्यक्ति की विजयी सेना, 8. तेन त्यक्तेन, 9. योद्धा संन्यासी।कहानी संग्रह : 1. वे नहीं हारे, 2. प्रधानमन्त्री की चिट्ठी, 3. आखिरी फैसला, 4. अगले जनम मोहे बिटिया ही दीजियो, 5. बात नहीं कहने की। गाँधी साहित्य : 1. महात्मा का अध्यात्म, 2. बापू और स्त्री, 3. गांधी की नैतिकता, 4. गांधी और सुभाष, 5. गांधी और भगतसिंह, 6. बापू कृत बालपोथी, 7. चम्पारण का सत्याग्रह, ४. सत्य के दस्तावेजा अन्य प्रकाशित रचनाएँ: 1. संक्षिप्त श्रीमद्भागवतम्, 2. श्री चैतन्यदेव, 3. प्रेमपुरुष। प्रकाशन के क्रम में 1. कहाँ है मेरा घर? (कविता संग्रह), 2. सरदार पटेल जीवनी, 3. लाल फ्राक वाली मां (कहानी श्री संग्रह) कार्यक्षेत्र श्री रास बिहारी मिशन ट्रस्ट एवं बा बापू सेवा ट्रस्ट की मुख्य न्यासी। इस ट्रस्ट द्वारा प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के लिए तीन सीबीएसई विद्यालयों का संचालना विशेषतया बालिका शिक्षा के लिए प्रयासरत, महिला स्वाबलंबन एवं शक्तिकरण हेतु रोजगार एवं प्रशिक्षण का संचालन। वृन्दावन में महिलाओं के लिए आश्रम का संचालन, निराश्रित जनों के लिए भोजन की व्यवस्था, चेरिटेबल विद्यालयों का संचालन। देशभर में तीस बा बापू एकल पाठशाला का संचालन। चैरिटेबल अस्पताल और प्रिवेंशन स्वास्थ्य सेंटर का संचालन। यूट्यूबर: सिर्फ महात्मा गांधी पर चार सौ वीडियो का निर्माण। सम्मान : महात्मा गांधी- केंद्रीय विश्वविद्यालय च श्रजकिशोर प्रसाद सम्मान, सिंधुरथ सम्मान, रायपुर, महम्यान, "बापू और स्त्री" फ़िल्म का निर्माण।
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