| Specifications |
| Publisher: Penguin Books India Pvt. Ltd. | |
| Author Indra Vidyavachaspati | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 207 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8.00x5.00 inch | |
| Weight 160 gm | |
| Edition: 2024 | |
| ISBN: 9780143468110 | |
| HBC647 |
| Delivery and Return Policies |
| Ships in 1-3 days | |
| Returns and Exchanges accepted within 7 days | |
| Free Delivery |
मैं श्री इन्द्र विद्यावाचस्पति का अनुगृहीत है कि उन्होंने मुझसे यह प्र- स्तावना लिखने का आग्रह किया। मुझे प्रसन्नता तो यह होती है कि मुझे स्वामी श्रद्धानन्द जी को अंजलि देने का अवसर प्राप्त हुआ।
पिछले तीस वर्ष से भारतवर्ष बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। नई घटनाओं की परम्परा ऐसी होती है कि स्वामी जी की महत्ता, उन के बलिदान की अपूर्वता, उन के पवित हृदय की आकांक्षाओं, जाति, धर्म और राष्ट्र की उन की सेवा-भावना, साहित्यिक, सामाजिक और राजनीतिक विचारधाराओं और कार्यवाहियों का थोड़ा-सा विस्मरण हो गया है; किन्तु यदि भारत को महान राष्ट्र होना है तो देश के विश्व-कर्माओं का स्मरण नए जमाने के सामने लाना होगा। इसलिए यह आवश्यक है कि स्वामी जी के पवित्र जीवन, उन की सेवा-भावना, उनकी वीरता और कार्यदक्षता को हम हमेशा स्मरण में रखें।
जिस युग में स्वामी जी ने अपना कार्य किया, उस युग में जो निडर नेता थे, उन में स्वामी जी अग्रगण्य थे। जो नेता उत्साही थे, उन में स्वामी जी आगे थे। जिन महापुरुषों ने ऋषियों के जीवन पर अपनी जीवन-चर्या बनाई, उन में भी स्वामी जी अग्रगण्य थे।
वह युग तो लोकमान्य तिलक, लाला लाजपतराय, श्री अरविन्द, पंडित मदनमोहन मालवीय और गाँधीजी जैसे महापुरुषों का था। उन में स्वामी जी का 'भी स्थान है। वे तो वीर की तरह रहे और शहीद की तरह चले गए, तथा भारत के सामने एक आदर्श जीवन रख गए।
Send as free online greeting card