प्राणिजगत में मकड़ियों ऐसी प्राणी हैं जो सभी घरों में या परों के परिसर में पाई जाती हैं, किंतु ये न तो कभी किसी का आकर्षण रहीं, न ही इनके प्रति किसी की उत्सुकता रही। इसके विपरीत सत्य तो यह है कि ये सदैव पृणा की दृष्टि से देखी जाती रही हैं, क्योंकि इनके जाले गंदे दिखाई पड़ते हैं। लोगों में इनके प्रति भय भी होता है क्योंकि यहः भ्रांति विद्यमान है कि ये मनुष्य को काटती है और इनका शरीर जहरीला होता है, किंतु वास्तव में सभी परेतू मकड़ियों निरापद होती हैं। इनके मनुष्य के लिए विपैले होने एवं हानिकारक जीव होने की भ्रांति दूर होनी चाहिए। मकड़ियों अद्भुत जीव हैं। आठ टाँगें, रेशम का स्रवण, जाले चुनने की कला, विविध प्रकार के आविप के उत्पादन की क्षमता और अपने रेशम के धागों पर झूलने की या उसके द्वारा ऊपर चढ़ने-उतरने की कलाबाजी मकड़ियों की ऐसी विशेषताएँ है जो इसे अन्य प्राणियों से भिन्न एक विशेष स्थान प्रदान करती हैं। ये बहुत कुशल शिकारी होती हैं और बहुत चालाकी से अपने शिकार को पकड़ती हैं।
अध्ययन और शोध के लिए मकड़ियों को पालतू प्राणी के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है। इन्हें पालकर और इनके व्यवहार की जटिलता का यदि अवलोकन करें तो आप आश्चर्यचकित रह जाएँगे। इनके व्यवहार के अनेक पहलू बेहद विचित्र हैं जो अन्य किसी प्राणी में नहीं पाए जाते। मकड़ियों के रोचक व्यवहार में मकड़ियों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से शिकार करना, विविध प्रकार के जाले बनाना, प्रेमालाप और प्रजनन विशेष रूप से सम्मिलित हैं। विभिन्न प्रकार की प्रजातियों में तो व्यवहार अलग-अलग होते ही हैं, परंतु समान प्रजाति के दो जीयों में भी विभिन्न परिस्थितियों में व्यवहार में भिन्नता मकड़ियों में देखी जा सकती है। मकड़ियों में सीखने की अपार क्षमता होती है। वे किसी कार्य को करने के पूर्व सोचती-समझती हैं और योजना बनाती हैं। इतना ही नहीं उनमें बेहतर विकल्प के साथ नई परिस्थितियों से निबटने का कौशल भी होता है। मकड़ियों की इन विशेषताओं के कारण अब अनेक वैज्ञानिकों का ध्यान मकड़ियों पर अनुसंधान की ओर खिंच रहा है। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष मकड़ियों की कई प्रजातियों विश्वभर में खोजी जा रही हैं। भारत में भी मकड़ियों की अनेक प्रजातियों खोजी गई हैं।
सभी प्राणियों का और विशेषतः शिकारी जीवों का पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करने में बड़ा योगदान होता है। अतः अगली चार जब आप दीपावली से पूर्व घर की साफ-सफाई करते समय या बगीचे में पानी देते वक्त मकड़ियों को देखें तो उन्हें मारने के बदले भाग जाने का अवसर दें। घर की छत पर और दीवारों के कोनों में बड़े जाले बनाने वाली मकड़ियाँ अनेक बीमारियों के वाहक मच्छरों और मक्खियों का शिकार करती हैं। आपके घर में या घर के बाहर इनकी उपस्थिति हमें और हमारे पौधों को स्वस्थ रखने का दायित्व निभाती हैं। अगर आप पिछले वर्ष मच्छर के काटने से होनी वाली बीमारियों से ग्रसित नहीं हुए हैं तो अपने परिवार को, नगर निगम को और सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को श्रेय देने के साथ श्रेय का सबसे छोटा हिस्सा उपेक्षित प्राणी मकड़ियों को भी अवश्य दें।
सभी घरों में सामान्य रूप से पाए जाने वाले तथा इतनी विशेषताओं वाले इस उपेक्षित प्राणी के प्रति जनसामान्य में अभिरुचि जागृत करना इस पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य है। इस पुस्तक में कई वैज्ञानिक तथ्यों को बहुत सरल और सहज तरीके से उल्लेखित किया गया है। आशा है कि वैज्ञानिक ही नहीं, आम पाठक भी इस पुस्तक को रुचि से पढ़ेंगे।
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