| Specifications |
| Publisher: SAHITYA AKADEMI | |
| Author: चितरंजन दास (Chitranjan Das) | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 90 | |
| Cover: Paperback | |
| 8.5 inch x 5.5 inch | |
| Weight 150 gm | |
| Edition: 1988 | |
| NZA305 |
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पुस्तक के बारे में
सोलहवीं सदी में, ओड़िया साहित्य में पंचसखा या पाँच कवियों का समूह प्रकाश में आया। इस दल के वरिष्ठतम और सर्वाधिक प्रतिभासंपन्न कवि बलराम दास थे। इनका जन्म 1470 ई० के आसपास हुआ था। इन्होंने प्रसिद्ध ओड़िया रामायण की रचना की। जब महाप्रभु चैतन्य का आगमन पुरी में हुआ तो बलराम दास भी उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए।
सारलादास की महाभारत, जगन्नाथ की ओड़िया भागवत और बलराम दास की ओड़िया रामायण, ओड़िया-साहित्य की ऐसी तीन कृतियाँ हैं जो ओड़िसा के घर-घर में प्रचलित हैं।
बलराम दास की ख्याति रामायण कथा के वाचक से कहीं अधिक, एक कवि के रूप में रही है। वे एक ऐसे भक्त कवि के रुप में जाने जाते हैं, जो विरोध करते हैं। वैसे भी पंचसखा गुरुडमवाद के विरुद्ध थे। इसी विरोध के कारण कई विद्वानों की यह मान्यता है कि पंचसखा प्रच्छन्न बौद्ध थे।
ओड़िया के सुपरिचित विद्वान श्री चित्तरंजन दास ने प्रस्तुत विनिबंध में इस महान ओड़िया कवि के जीवन और कृतित्व का श्रमपूर्वक आकलन किया है।
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अनुक्रम |
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1 |
तीन कथाएँ |
7 |
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2 |
पंचसखाओं में ज्येष्ठतम बलराम दास |
15 |
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3 |
ओड़िया रामायण |
25 |
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4 |
बलराम दास की अन्य रचनाएँ |
41 |
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5 |
दरबारी वैष्णवों से विवाद |
53 |
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6 |
भाषा और समाज पर प्रभाव |
69 |
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7 |
विद्रोही भक्त |
79 |
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संदर्भ-ग्रंथ |
91 |
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