| Specifications |
| Publisher: Pratishruti Prakashan, Kolkata | |
| Author Parmila Budhwar | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 168 | |
| Cover: HARDCOVER | |
| 9x6 inch | |
| Weight 322 gm | |
| Edition: 2014 | |
| ISBN: 9789383772025 | |
| HBD664 |
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स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कविता ने विभिन्न वादों, विवादों और विचारधाराओं से प्रभावित होते हुए अपना स्वरूप ग्रहण किया है। मुझे भवानीप्रसाद मिश्र की कविताएं अपनी सहजता और बोधगम्यता के कारण इसलिए भी आकर्षित करती रही हैं क्योंकि वे सीधे-सच्चे मन की निश्छल अभिव्यक्तियां हैं। आज से पच्चीस वर्ष पूर्व 'भवानीप्रसाद मिश्र व्यक्तित्व एवं कृतित्व' विषय को अपने शोध कार्य हेतु चयनित किया था, तो मुझे इन्हीं काव्य गुणों ने आकृष्ट किया था।
'जिस तरह हम बोलते हैं/ उस तरह तू लिख' जैसी पंक्ति लिखने का साहस वही पारदर्शी आत्मा कर सकती है जो जीवन और काव्य के बीच कोई कृत्रिमता या दिखावा नहीं सहन करती। अपने शोध अध्ययन के मध्य मैंने यह अनुभव किया कि समकालीन कविता में मिश्र जी अपनी इसी सादगी और इकहरेपन के कारण सबसे पृथक हैं। उनकी कविताएं हमारी संवेदना को जगाती हैं और उसका विकास करती हैं।
मैंने प्रयोगवाद, प्रगतिवाद और नयी कविता तीनों काव्यान्दोलनों की सक्रिय प्रवृत्तियों के मध्य मिश्र जी के व्यक्तित्व और काव्य-संसार को मूल्यांकित करने की चेष्टा की है। उनके जन्म शताब्दी वर्ष में इसे पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित कर मैं उनके विराट व्यक्तित्व को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि दे रही हैं। यदि इस पुस्तक से भवानीप्रसाद मिश्र के अध्येताओं को यत्किंचित प्रकाश मिल सके तो अपने आप को धन्य समझेंगी। इस पुस्तक को प्रकाशित करवाने का श्रेय मेरे पति डॉ. जयनारायण बुधवार को है, जिनकी प्रेरणा के बिना मैं इसे साकार ही न कर पाती। में श्री लक्ष्मण केडिया जी के प्रति भी आभार व्यक्त करती हूँ, जिन्होंने इसे प्रकाशित कर आपके समक्ष प्रस्तुत किया।
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